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Sankasthi Chaturthi 2023: इस दिन जरूर करें ये काम, सभी बाधाएं होंगी दूर

हिंदू धर्म में भगवान गणेश की पूजा का खास महत्व है.

Updated on: 06 May 2023, 05:26 PM

नई दिल्ली :

Sankasthi Chaturthi 2023 : हिंदू धर्म में भगवान गणेश की पूजा का खास महत्व है. इस दिन भगवान गणेश की पूजा करने से व्यक्ति के जीवन में आ रही सभी परेशानियां दूर हो जाती है और ऐश्वर्य की प्राप्ति होती है. इस बार ज्येष्ठ माह के कृष्ण पक्ष की संकष्टी चतुर्थी तिथि दिनांक 08 मई को मनाई जाएगी. इसलिए अगर आप इस दिन भगवान गणेश का आशीर्वाद पाना चाहते हैं, तो इस दिन उन्हें ये 5 चीजें अवश्य चढ़ाएं. तो ऐसे में आइए आज हम आपको अपने इस लेख में संकष्टी चतुर्थी के दिन भगवान गणेश को कुछ ऐसे चीजों को अर्पित करने के बारे में बताएंगे, जिससे आपके जीवन की सभी परेशानियां दूर हो जाएंगी.

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संकष्टी चतुर्थी के दिन भगवान गणेश को अवश्य चढ़ाएं ये चीजें

1. इस दिन भगवान गणेश की पूजा में उन्हें हरा दुर्वा जरूर चढ़ाएं. इसके अलावा काले तिल और गुड़ के बने लड्डू, सिंदूर, सुपारी चढ़ाकर उनकी पूजा करें. साथ ही पूजा के दौरान भगवान गणेश के आगे घी का दीपक अवश्य जालएं. भगवान गणेश की पूजा चंद्रोदय के बाद करना चाहिए. 

2. पंचाग के हिसाब से ज्येष्ठ मास की चतुर्थी तिथि दिनांक 8 मई को शाम 6 बजकर 18 पर शुरू होगी. जो अगले दिन 9 मई की शाम 4 बजकर 10 मिनट तक रहेगा. ऐसे में चंद्रोदय में चतुर्थी तिथि 8 मई की रात को ही है.

3. ओम अपवित्र: पवित्रो वा सर्वावस्थां गतोअपी वा।
य: स्मरेत पुण्डरीकाक्षं स बाहान्तर: शुचि:।।
इस मंत्र के जाप से भगवान गणेश की पूजा का शुरुआत करें. 

प्रणम्य शिरसा देवं गौरी विनायकम् ।
भक्तावासं स्मेर नित्यमाय्ः कामार्थसिद्धये ॥1॥

प्रथमं वक्रतुडं च एकदंत द्वितीयकम् ।
तृतियं कृष्णपिंगात्क्षं गजववत्रं चतुर्थकम् ॥2॥

लंबोदरं पंचम च पष्ठं विकटमेव च ।
सप्तमं विघ्नराजेंद्रं धूम्रवर्ण तथाष्टमम् ॥3॥

नवमं भाल चंद्रं च दशमं तु विनायकम् ।
एकादशं गणपतिं द्वादशं तु गजानन् ॥... 

द्वादशैतानि नामानि त्रिसंघ्यंयः पठेन्नरः ।
न च विघ्नभयं तस्य सर्वसिद्धिकरं प्रभो ॥5॥

विद्यार्थी लभते विद्यां धनार्थी लभते धनम् ।
पुत्रार्थी लभते पुत्रान्मो क्षार्थी लभते गतिम् ॥6॥

जपेद्णपतिस्तोत्रं षडिभर्मासैः फलं लभते ।
संवत्सरेण सिद्धिंच लभते नात्र संशयः ॥7॥

अष्टभ्यो ब्राह्मणे भ्यश्र्च लिखित्वा फलं लभते ।
तस्य विद्या भवेत्सर्वा गणेशस्य प्रसादतः ॥8॥ 

॥ इति श्री नारद पुराणे संकष्टनाशनं नाम श्री गणपति स्तोत्रं संपूर्णम् ॥