Garud Puran Path: गरुड़ पुराण का पाठ मृत्यु के बाद क्यों पढ़ा जाता है, जानें इसका महत्व
Garud Puran Path: गरुड़ पुराण हिंदू धर्म में एक महत्वपूर्ण ग्रंथ है जो मृत्यु के बाद के जीवन और किसी के कार्यों के परिणामों के बारे में मार्गदर्शन प्रदान करता है. इसके पाठ से न केवल दिवंगत आत्मा को शांति मिलती है बल्कि जीवित लोगों को मृत्यु के बाद उनके कर्मों के महत्व का भी एहसास होता है.
नई दिल्ली :
Garud Puran Path: गरुड़ पुराण हिन्दू धर्म के 18 महापुराणों में से एक है. यह वैष्णव सम्प्रदाय से संबंधित माना जाता है और इसमें भगवान विष्णु और उनके वाहन गरुड़ के बीच के संवादों को रचित किया गया है. गरुड़ पुराण को मृत्यु के बाद सद्गति प्रदान करने वाला माना जाता है. इसलिए, सनातन हिन्दू धर्म में मृत्यु के बाद गरुड़ पुराण सुनने का प्रावधान है. इस पुराण में धर्म, कर्म, नीति, दर्शन, योग, तंत्र, मृत्यु, मृत्यु के बाद का जीवन, स्वर्ग, नरक, प्रेत-योनि, ग्रह-नक्षत्र, ज्योतिष, आयुर्वेद, वास्तु, शिल्प, कला आदि अनेक विषयों का विस्तृत वर्णन मिलता है. इस पुराण में श्राद्ध-तर्पण, पितृ-पूजन, दान-पुण्य, व्रत-उपवास, तीर्थयात्रा, मंत्र-जप आदि के महत्व और विधि के बारे में भी विस्तार से बताया गया है.
गरुड़ पुराण की विशेषताएं
यह पुराण संवाद रूप में लिखा गया है, जिसमें गरुड़ भगवान विष्णु से प्रश्न पूछते हैं और भगवान विष्णु उनका उत्तर देते हैं. गरुड़ पुराण में 19,000 श्लोक हैं और इसे तीन भागों में विभाजित किया गया है: पूर्व खंड में सृष्टि, ब्रह्मांड, देवताओं, ऋषियों, मनुष्यों, पितृगणों, यमराज, नरक, स्वर्ग आदि का वर्णन है. मध्य खंड में मृत्यु, मृत्यु के बाद का जीवन, मृत्यु के समय मनुष्य के कर्मों का फल, श्राद्ध-तर्पण, पितृ-पूजन, दान-पुण्य आदि का वर्णन है. उत्तर खंड में मोक्ष प्राप्ति के उपाय, योग, तंत्र, मंत्र, ज्योतिष, आयुर्वेद, वास्तु, शिल्प, कला आदि का वर्णन है.
गरुड़ पुराण पढ़ने के नियम
गरुड़ पुराण का पाठ आमतौर पर मृत्यु के बाद किया जाता है, लेकिन इसे जीवित व्यक्ति भी पढ़ सकते हैं. ये पाठ किसी विद्वान ब्राह्मण या पुजारी द्वारा करवाना चाहिए. इस पाठ को करते समय शुद्धता का विशेष ध्यान रखना चाहिए. गरुड़ पुराण हिन्दू धर्म का एक महत्वपूर्ण ग्रंथ है जो मृत्यु, मृत्यु के बाद का जीवन, धर्म, कर्म, नीति आदि विषयों पर विस्तृत जानकारी प्रदान करता है. मृत्यु के बाद गरुड़ पुराण करवाने के पीछे कई धार्मिक और आध्यात्मिक मान्यताएं हैं.
धार्मिक मान्यताएं
मृत आत्मा की शांति के लिए ये पाठ करवाया जाता है. गरुड़ पुराण में मृत्यु, मृत्यु के बाद का जीवन, और आत्मा की गति के बारे में विस्तृत जानकारी दी गई है. ऐसा माना जाता है कि गरुड़ पुराण का श्रवण मृत आत्मा को शांति प्रदान करता है और उसे मोक्ष की प्राप्ति में सहायता करता है. गरुड़ पुराण में पापों के नाश के उपायों का भी वर्णन है. ऐसा माना जाता है कि गरुड़ पुराण का श्रवण मृत व्यक्ति के पापों को कम करता है और उसे शुद्ध आत्मा बनाता है. इस पाठ का श्रवण दान-पुण्य के समान माना जाता है. ऐसा माना जाता है कि गरुड़ पुराण का श्रवण करवाने से मृतक को पुण्य की प्राप्ति होती है.
आध्यात्मिक मान्यताएं
ये मृत्यु की अनिवार्यता और उसके प्रति सचेत रहने का संदेश देता है. मृत्यु के बाद गरुड़ पुराण का श्रवण करवाने से मृतक के परिजनों को मृत्यु के प्रति स्वीकृति प्राप्त करने में मदद मिलती है. इसमें आत्मा की यात्रा और आत्मिक उन्नति के मार्गों का भी वर्णन है. ऐसा माना जाता है कि गरुड़ पुराण का श्रवण मृत आत्मा को आध्यात्मिक उन्नति प्राप्त करने में सहायता करता है.
गरुड़ पुराण का श्रवण कब और कैसे करवाया जाता है
मृत्यु के बाद: गरुड़ पुराण का श्रवण आमतौर पर मृत्यु के 11वें या 13वें दिन करवाया जाता है.
विद्वान ब्राह्मणों द्वारा: गरुड़ पुराण का श्रवण किसी विद्वान ब्राह्मण या पुजारी द्वारा करवाना चाहिए.
विधि-विधान: गरुड़ पुराण का श्रवण करते समय कुछ विशेष विधि-विधानों का पालन किया जाता है. मृत्यु के बाद गरुड़ पुराण करवाने के पीछे धार्मिक और आध्यात्मिक दोनों तरह की मान्यताएं हैं.
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(Disclaimer: यहां दी गई जानकारियां धार्मिक आस्था और लोक मान्यताओं पर आधारित हैं. न्यूज नेशन इस बारे में किसी तरह की कोई पुष्टि नहीं करता है. इसे सामान्य जनरुचि को ध्यान में रखकर यहां प्रस्तुत किया गया है.)
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