Rajarajeshwar Temple: राजराजेश्वर मंदिर की क्या है खासियत जहां पीएम मोदी ने टेका माथा
Rajarajeshwar Temple: आज प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने दक्षिण भारत के राजराजेश्वर मंदिर में माथा टेका, अगर आप नहीं जानते तो आइए आपको बताते हैं इस मंदिर की विशेषताएं क्या हैं.
New Delhi :
Rajarajeshwar Temple: राजराजेश्वर मंदिर, जिसे बृहदेश्वर मंदिर के नाम से भी जाना जाता है, भारत के तमिलनाडु राज्य के थांजावुर शहर में स्थित एक भव्य हिंदू मंदिर है. यह मंदिर भगवान शिव को समर्पित है और चोल साम्राज्य के सबसे प्रसिद्ध और भव्यतम मंदिरों में से एक है. यह मंदिर 11वीं शताब्दी में राजा राजराज चोल प्रथम द्वारा बनवाया गया था, जिन्होंने 985 ईस्वी से 1014 ईस्वी तक शासन किया था. मंदिर का निर्माण 1003 ईस्वी में शुरू हुआ था और 1010 ईस्वी में पूरा हुआ था. ये दक्षिण भारत की चोल स्थापत्य शैली का एक उत्कृष्ट उदाहरण है. मंदिर ग्रेनाइट से बना है और इसकी विशाल संरचना, भव्य मूर्तियां, और अद्भुत शिल्पकारी इसे वास्तुकला का एक चमत्कार बनाती हैं. राजराजेश्वर मंदिर यूनेस्को विश्व धरोहर स्थल है और भारत के सबसे महत्वपूर्ण हिंदू मंदिरों में से एक माना जाता है. राजराजेश्वर मंदिर न केवल एक धार्मिक स्थल है, बल्कि यह भारतीय इतिहास और संस्कृति का एक महत्वपूर्ण स्मारक भी है. यह मंदिर दक्षिण भारत की समृद्ध विरासत का प्रतीक है और भारत की राष्ट्रीय पहचान का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है, आइए जानते है इस मंदिर की विशेषताएं क्या हैं?
राजराजेश्वर मंदिर की विशेषताएं
1. विशाल संरचना
यह मंदिर दक्षिण भारत का सबसे बड़ा मंदिर है, जिसका क्षेत्रफल लगभग 45,000 वर्ग मीटर है. मंदिर का विमान (शिखर) लगभग 60 मीटर ऊँचा है, जो इसे भारत के सबसे ऊंचे मंदिरों में से एक बनाता है. मंदिर में चार विशाल गोपुरम (प्रवेश द्वार) हैं, जो लगभग 45 मीटर ऊंचे हैं.
2. भव्य मूर्तियां
मंदिर की दीवारों और गोपुरमों पर हजारों मूर्तियां नक्काशी हुई हैं. इन मूर्तियों में देवी-देवता, ऋषि-मुनि, राक्षस, यक्ष, और नृत्य-संगीत के कलाकार शामिल हैं. मंदिर में भगवान शिव की प्रधान मूर्ति लगभग 10 फीट ऊँची है.
3. अद्भुत शिल्पकारी
मंदिर की दीवारों और गोपुरमों पर अद्भुत शिल्पकारी देखने को मिलती है. मूर्तियों को बारीकी से तराशा गया है और रंगों से सजाया गया है. मंदिर के स्तंभों और छतों पर भी सुंदर नक्काशी की गई है.
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4. समृद्ध इतिहास
यह मंदिर 11वीं शताब्दी में राजा राजराज चोल प्रथम द्वारा बनवाया गया था. यह मंदिर चोल साम्राज्य की शक्ति और समृद्धि का प्रतीक है. यह मंदिर दक्षिण भारत की कला और संस्कृति का एक महत्वपूर्ण केंद्र रहा है. यह मंदिर यूनेस्को विश्व धरोहर स्थल है और भारत के सबसे महत्वपूर्ण हिंदू मंदिरों में से एक माना जाता है.
5. धार्मिक महत्व
यह मंदिर भगवान शिव को समर्पित है और हिंदुओं के लिए एक महत्वपूर्ण तीर्थस्थल है. हर साल लाखों तीर्थयात्री इस मंदिर का दर्शन करने आते हैं. यह मंदिर महाशिवरात्रि, पोंगल, और वैशाखी जैसे त्योहारों के दौरान विशेष रूप से महत्वपूर्ण होता है.
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(Disclaimer: यहां दी गई जानकारियां धार्मिक आस्था और लोक मान्यताओं पर आधारित हैं. न्यूज नेशन इस बारे में किसी तरह की कोई पुष्टि नहीं करता है. इसे सामान्य जनरुचि को ध्यान में रखकर यहां प्रस्तुत किया गया है.)
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