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China की मूर्खता... अरुणाचल प्रदेश में गैर-मौजूद नदियों, जमीन के टुकड़ों के नाम भी बदले

मोदी सरकार के आधिकारिक सूत्रों ने 10 से 21 अप्रैल तक बंगाल के कलाईकुंडा एयरबेस पर भारत-अमेरिकी वायुसेना के 'कोप इंडिया' युद्ध अभ्यास से पहले चीन की इस हथकंडे को 'महज शरारत' के रूप में खारिज कर दिया है.

Updated on: 06 Apr 2023, 10:48 AM

highlights

  • मोदी सरकार ने 'कोप इंडिया' युद्ध अभ्यास से पहले चीन के इस हथकंडे को 'महज शरारत' करार दिया
  • चीन दावा करता है कि अरुणाचल प्रदेश के ये इलाके वास्तव में तिब्बत के दक्षिणी भाग ज़ंगनान का हिस्सा
  • अमेरिका ने भी चीन के इस कदम का विरोध किया. व्हाइट हाउस के प्रेस सचिव ने जारी किया था बयान

गुवाहटी:

भारत (India) के अविभाज्य अंग अरुणाचल प्रदेश (Arunachal Pradesh) पर चीन ने नवीनतम दावा  करते हुए बीते दिनों इस सीमावर्ती राज्य में 11 स्थानों के लिए भौगोलिक नामों की नई सूची जारी की है. इस सूची से जुड़ा रोचक पहलू यह है कि तमाम नए नाम अलग-थलग पड़े दुर्गम वन क्षेत्रों, अज्ञात पर्वत चोटियों, गैर-मौजूद नदियों और शहरी क्षेत्रों के हैं. चीन (China) की इलाकों के नामकरण की इस तरह की तीसरी सूची वास्तव में अरुणाचल प्रदेश के कुछ इलाकों को सतही तौर पर तिब्बत (Tibet) के निंगची प्रांत में कोना, ज़यू और मेडोग काउंटी के हिस्से के रूप में दर्शाती है. उदाहरण के लिए चीन द्वारा 'किबुरी हे' और 'गेडुओ हे' के रूप में दो नदियों का नामकरण के निर्देशांक प्रदान नहीं किए गए. हालांकि चीन के नागरिक मामलों के मंत्रालय ने दावा किया था कि ये विशिष्ट स्थान हैं. इसी तरह भारत के आखिरी गांव तवांग (Tawang) जिले में ज़ेमिथांग से परे एक जंगली पहाड़ी क्षेत्र में जमीन के टुकड़े को 'बैंगकिन 'कहा गया है, जो भारत-चीन सीमा का बंटवारा करने वाली मैकमोहन रेखा के करीब बताया जाता है.

मोदी सरकार ने महज शरारत करार देकर खारिज की सूची
मोदी सरकार के आधिकारिक सूत्रों ने 10 से 21 अप्रैल तक बंगाल के कलाईकुंडा एयरबेस पर भारत-अमेरिकी वायुसेना के 'कोप इंडिया' युद्ध अभ्यास से पहले चीन की इस हथकंडे को 'महज शरारत' के रूप में खारिज कर दिया है. चीन के नागरिक मामलों के मंत्रालय ने तिब्बती और चीनी पिनयिन भाषा का उपयोग करते हुए 2 अप्रैल को लैटिन वर्णमाला में मूल नामों और शब्दों के उच्चारण के आधार पर नामों की सूची जारी की थी. बीजिंग प्रशासन ने अपनी तरह की इस तीसरी सूची को दक्षिणी तिब्बत में सार्वजनिक रूप से उपयोग किए जाने वाले स्थानों के नामों के अतिरिक्त श्रेणियों, प्रशासनिक जिलों और चुनिंदा निर्देशांक करार दिया था. चीन की इस सूची में एक 'जियांगकाज़ोंग' नाम की एक बस्ती है, जिसके निर्देशांक वहां के जवाहर नवोदय विद्यालय के पश्चिम में तवांग शहर में स्थित एक घर की ओर ले जाते हैं.

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चीन अरुणाच्ल प्रदेश के इन इलाकों को तिब्बत के दक्षिणी भाग का हिस्सा बताता है
एक अन्य तथाकथित बस्ती 'दाडोंग' के निर्देशांक गूगल मैप पर अरुणाचल के पश्चिम सियांग जिले के तातो शहर में एक बड़ी खुली जगह की ओर इशारा करते हैं. चीनियों द्वारा 'ग्युटोंग' के रूप में नामित एक और जमीन का टुकड़ा पूर्वी अरुणाचल में अंजॉ जिले में किबिथू के उत्तर में लोहित नदी के पश्चिमी तट के पास एक जंगल का निकलता है. 'लुओसु री', 'दिपु री', 'डोंगज़िला फेंग', 'निमगांग फेंग' और 'जिउनिउज़े गंगरी' के लिए दिए गए निर्देशांक पूर्वोत्तर राज्य में विभिन्न स्थानों में फैले पर्वत शिखरों को प्रकट करते हैं. भारत ने चीन के अरुणाचल प्रदेश के हिस्सों पर दावों को खारिज कर दिया है. हालांकि चीनी विदेश मंत्रालय ने नवीनतम सूची में नामित 11 स्थानों पर अपने संप्रभु अधिकार का दावा बनाए रखा है. वह दावा करता है कि ये इलाके वास्तव में तिब्बत के दक्षिणी भाग ज़ंगनान का हिस्सा हैं. इस मसले पर व्हाइट हाउस के प्रेस सचिव काराइन जीन-पियरे ने कहा कि अमेरिका किसी भी स्थानों का एकतरफा नाम बदलकर क्षेत्र के दावे का विरोध करता है.