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आधुनिक गुलामी, बाल श्रम में लाखों फंसे हुए : संयुक्त राष्ट्र

संयुक्त राष्ट्र की एक रिपोर्ट से पता चला है कि लगभग चार करोड़ लोग, जिनमें ज्यादातर महिलाएं और लड़कियां शामिल हैं, आधुनिक दासता में फंसे हुए हैं और 15.20 करोड़ बच्चे बाल श्रम में फंसे हुए हैं।

Updated on: 21 Sep 2017, 12:04 AM

नई दिल्ली:

संयुक्त राष्ट्र की एक रिपोर्ट से पता चला है कि लगभग चार करोड़ लोग, जिनमें ज्यादातर महिलाएं और लड़कियां शामिल हैं, आधुनिक दासता में फंसे हुए हैं और 15.20 करोड़ बच्चे बाल श्रम में फंसे हुए हैं।

अंतर्राष्ट्रीय श्रम संगठन (आईएलओ), वॉक फ्री फाउंडेशन और इंटरनेशनल ऑर्गनाइजेशन फॉर माइग्रेशन (आईओएम) द्वारा संयुक्त रूप से तैयार की गई यह रिपोर्ट मंगलवार को प्रकाशित हुई, जिसमें दुनिया भर में मौजूद आधुनिक दासता के वास्तविक स्तर का खुलासा किया गया है।

समाचार एजेंसी सिन्हुआ के अनुसार, संयुक्त राष्ट्र महासभा के दौरान जारी आंकड़ों से पता चलता है कि आधुनिक दासता में फंसे चार करोड़ लोगों में 2.9 करोड़ या 71 प्रतिशत महिलाएं और लड़कियां शामिल हैं। आधुनिक दासता के चार पीड़ितों में एक बच्चा शामिल है, जिनकी संख्या इस आंकड़ों में लगभग एक करोड़ है।

रिपोर्ट में कहा गया है कि 6.4 करोड़ लड़कियां और 8.8 करोड़ लड़कों सहित कुल 15.20 करोड़ बच्चे बाल श्रम में लगे हुए हैं। यह आंकड़ा दुनिया भर के 10 बच्चों में से लगभग एक बैठता है। 

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इस आंकड़े का सबसे बड़ा हिस्सा 7.21 करोड़ बच्चे अफ्रीका में रह रहे हैं। इसके बाद एशिया और प्रशांत क्षेत्र में 6.2 करोड़ बच्चे बाल श्रम में जीने को मजबूर हैं।बाल श्रमिकों में 70 प्रतिशत से अधिक बच्चे कृषि में लगे हुए हैं, जबकि 17 प्रतिशत से ज्यादा सेवा क्षेत्र में और उद्योग में लगभग 12 प्रतिशत बच्चे काम कर रहे हैं।

रिपोर्ट में यह भी खुलासा किया गया है कि 2016 में लगभग 2.5 करोड़ लोग बधुआ मजदूर थे, जिसमें से 1.6 करोड़ लोगों को निजी क्षेत्र में श्रम के नाम पर जैसे घरेलू काम, निर्माण और कृषि में लगाकर उनका शोषण किया गया।

इसमें यह भी बताया गया है कि लगभग 50 लाख लोगों का जबरन यौन शोषण किया गया और 40 लाख से थोड़े अधिक को उनके देश के प्रशासन ने बंधुआ मजदूर बनाए रखा।

वॉक फ्री फाउंडेशन के संस्थापक और अध्यक्ष एंड्र फॉरेस्ट ने कहा, 'इससे पता चलता है कि आज की हमारी दुनिया में भेदभाव और असमानताएं किस हद तक समाज में गहरे बैठी हुई हैं, और यह हैरान करने वाली बात है कि आज भी शोषण को बर्दाश्त किया जाता है। इसे रोका जाना चाहिए।'

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