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Bahai Religion: बहाई धर्म क्या है, जानें दुनिया का सबसे नया धर्म कब और कैसे आया

Bahai Religion: बहाई धर्म 19वीं शताब्दी के मध्य में ईरान में स्थापित हुआ. इसकी स्थापना मिर्ज़ा हुसैन अली, जिन्हें बहाउल्लाह के नाम से जाना जाता है, ने की थी. बहाउल्लाह का मानना था कि वे बाब द्वारा घोषित किए गए ईश्वर के दूत हैं, जिनकी 1850 में मृत्यु हो गई थी.

Updated on: 06 May 2024, 01:09 PM

नई दिल्ली :

Bahai Religion: बहाई धर्म एक अपेक्षाकृत नया धर्म है, जिसकी स्थापना 19वीं सदी के मध्य ईरान में हुई थी. इसकी स्थापना मिर्जा हसन अली नूरी द्वारा की गई थी, जिन्हें बाद में बहाउल्लाह के नाम से जाना गया. "बहाउल्लाह" का अर्थ अरबी में "ईश्वर की महिमा" होता है. बहाई धर्म अन्य विश्व धर्मों से कई मायनों में अलग है. इस धर्म का मुख्य उद्देश्य एक विश्व धर्मानुयायी समुदाय की रचना करना है, जो सभी मानवों को एक समान आध्यात्मिक मानवता में एकत्रित करता है. यह समुदाय सभी धर्मों की शिक्षाओं और महापुरुषों के आदर्शों को स्वीकार करता है, और अध्यात्मिक विविधता का मानता है. बहाई धर्म में विविधता, समरस्थता, समानता, और सहयोग की प्राथमिकता होती है. इसमें न केवल धार्मिक आधार पर समानता का मानता है, बल्कि समाजिक, आर्थिक, और राजनीतिक मामलों में भी समानता को बढ़ावा देता है. बहाई धर्म का मुख्य अध्ययन एक साधारण समुदाय जीवन में, समाज में न्याय, समानता, और सहयोग के मूल्यों को अमल में लाने के लिए होता है. इसका मुख्य सिद्धांत है "एकता में संदेश".

एक ईश्वर में विश्वास

बहाई धर्म एकेश्वरवादी धर्म है. यह मानता है कि सभी धर्मों के पीछे एक ही ईश्वर है, जिसे विभिन्न नामों से जाना जाता है. बहाई धर्मग्रंथों के अनुसार, ईश्वर सर्वशक्तिमान और सर्वज्ञ है, लेकिन मनुष्यों के लिए सीधे अनुभवगम्य नहीं है. ईश्वर अपनी इच्छा को प्रकट करने के लिए समय-समय पर पैगंबरों और दूतों को भेजता है. बहाई धर्म के अनुयायी मानते हैं कि बहाउल्लाह ईश्वर के ऐसे ही एक दूत थे.

मानवजाति की एकता

बहाई धर्म मानवजाति की एकता पर बल देता है. यह सभी जातियों, धर्मों और राष्ट्रीयताओं के लोगों के बीच एकता और सद्भाव को बढ़ावा देता है. बहाई धर्मग्रंथ नस्लवाद और पूर्वाग्रह की निंदा करते हैं और सिखाते हैं कि सभी मनुष्य ईश्वर की रचना के समान अंग हैं. बहाई समुदाय विश्व भर में एकजुट होकर, विभिन्न संस्कृतियों के बीच सद्भाव और समझ को बढ़ावा देने का प्रयास करता है.

स्त्री-पुरुष समानता

बहाई धर्म स्त्री-पुरुष समानता को एक मौलिक सिद्धांत मानता है. यह शिक्षा, आर्थिक अवसरों और आध्यात्मिक विकास में समानता को बढ़ावा देता है. बहाई धर्मग्रंथ पुरुषों और महिलाओं को आध्यात्मिक विकास में समान जिम्मेदारियां देते हैं. बहाई समुदायों में महिलाएं और पुरुष समान रूप से निर्णय लेने की प्रक्रिया में भाग लेते हैं और नेतृत्व के पदों को संभालते हैं.

विज्ञान और धर्म का सामंजस्य

बहाई धर्म विज्ञान और धर्म के बीच सामंजस्य पर बल देता है. यह मानता है कि दोनों सत्य के विभिन्न पहलू हैं और एक-दूसरे के पूरक हैं. बहाई धर्मग्रंथ विज्ञान और धार्मिक विश्वासों के बीच टकराव को नकारते हैं. उनका मानना है कि वैज्ञानिक खोज आध्यात्मिक सत्य को बेहतर ढंग से समझने में हमारी मदद कर सकती है.

शांति और न्याय

बहाई धर्म विश्व शांति और न्याय को बढ़ावा देता है. यह विश्वास करता है कि सभी मनुष्यों को शांति और सद्भाव में रहने का अधिकार है. बहाई धर्म युद्ध, हिंसा और आर्थिक असमानता की निंदा करता है. बहाई समुदाय विश्व शांति स्थापित करने के लिए अंतर्राष्ट्रीय सहयोग और सार्वभौमिक शिक्षा को बढ़ावा देता है.

बहाई धर्म की उपासना पद्धति काफी सरल है. इसमें प्रार्थना, ध्यान और धार्मिक ग्रंथों का अध्ययन शामिल है. बहाई प्रार्थनाएं सुबह और शाम को की जाती हैं और ये सरल तथा सार्वभौमिक होती हैं, जिन्हें कोई भी व्यक्ति किसी भी भाषा में पढ़ सकता है. बहाई धर्म के अनुयायी मानते हैं कि प्रार्थना का उद्देश्य ईश्वर से बात करना और उसका आशीर्वाद प्राप्त करना है. बहाई धर्म के सात आराधनालय (स्थान जहां लोग इकट्ठा होते हैं) दुनिया भर में कई स्थानों पर बनाए गए हैं. इन आराधनालयों की एक खास बात ये है कि इनका बाहरी  रूप सभी धर्मों के प्रतीकों से मिलता-जुलता है. 

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(Disclaimer: यहां दी गई जानकारियां धार्मिक आस्था और लोक मान्यताओं पर आधारित हैं. न्यूज नेशन इस बारे में किसी तरह की कोई पुष्टि नहीं करता है. इसे सामान्य जनरुचि को ध्यान में रखकर यहां प्रस्तुत किया गया है.)

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