बड़ी रोचक है Somnath Jyotirlinga की कहानी, बहुत कम ही लोग जानते होंगे ये दिलचस्प बातें
सोमनाथ धाम चंद्रदेव द्वारा स्थापित किया गया था..दक्ष प्रजापति ने अपनी 27 पुत्रियों का विवाह चंद्र देव से कर दिया था..शाप से बचने के लिए चंद्रदेव ने इसी नदी में महामृतुंजय मंत्र किया..शिव जी ने प्रसन्न होकर आशीर्वाद दिया और आप यहीं बसे.
नई दिल्ली:
Somnath Jyotirlinga: देवों के देव यानि महादेव..जो स्वयंभू हैं..शाश्वत हैं..सर्वोच्य सत्ता हैं..महाकाल यानि समय के देवता है...जिनको सौम्य और रौद्र दोनों रूपों में पूजा जाता है. वो त्रिदेवों में सबसे बड़े देव हैं..वो अविनाशी हैं ..जिसने स्वयंभू शिव को समझ लिया समझो उसका बेड़ा पार हो गया...जी हां हम बात कर रहे हैं सौराष्ट्र के सोमनाथ मंदिर का. गुजरात के सौराष्ट्र क्षेत्र के वेरावल बंदरगाह पास स्थिति सोमनाथ ज्योतिर्लिंग की महिमा अपार है.. इसकी महिमा महाभारत, श्रीमद्भागवत, स्कन्द पुराण और ऋग्वेद में बताई गई है. सोमनाथ मंदिर असंख्य भक्तों की आस्था का केंद्र है. सोमनाथ मंदिर के बारे में पौराणिक मान्यता है कि इसका निर्माण स्वयं चंद्रदेव यानि सोम ने किया था. इसका उल्लेख ऋग्वेद में है.
जब भी सोमनाथ मंदिर का जिक्र होता है तो अतीत याद आता है..इस मंदिर को कई बार तोड़ा गया लेकिन जितनी बार भी इसका निर्माण हुआ इसकी भव्य और दिव्यता और बढ़ गई..ऐसा माना जाता है कि समुद्र तट पर बने सोमनाथ मंदिर को चार चरणों में भगवान सोम ने सोने से, रवि ने चांदी से, भगवान श्री कृष्ण ने चंदन से और राजा भीमदेव ने पत्थरों से बनवाया था. हालांकि, जो मंदिर अब खड़ा है, उसे 1947 के बाद भारत के गृह मंत्री सरदार वल्लभभाई पटेल ने बनवाया था और 1 दिसंबर 1995 को भारत के राष्ट्रपति शंकर दयाल शर्मा ने इसे राष्ट्र को समर्पित किया था. आजादी के बाद बनाया गया. पटेल ने इसका निर्माण कराया था. महात्मा गांधी के प्रस्ताव से खुश हुए..शंकर दयाल शर्मा ने इसे राष्ट्र के नाम समर्पित किया.
..ऐसे हुए थे भगवान शिव प्रसन्न
सोमनाथ ज्योतिर्लिंग मंदिर का महत्व इतना ज्यादा कि राजनेता से लेकर अभिनेता और देश से लेककर विदेशी श्रद्धालु दर्शन के लिए यहां आते हैं.. लोगों को लगता है कि सोमनाथ का आशीर्वाद जिसे मिलेगा वही देश का सरदार होगा. सोमनाथ मंदिर के इतिहास को लेकर बड़ी मान्यता है-स्कन्द पुराण में चंद्रमा और राजा दक्ष प्रजापति की कहानी ज्यादा मशहूर है..जिसमें चंद्रदेव ने अपने ससुर के श्राप से बचने के लिए त्रिवेणी पर महामृतुन्जय मंत्र का जाप किया और भगवान शिव को प्रशन्न किया. सोमनाथ ज्योतिर्लिंग का नाम यानि सोम मतलब चंद्रमा और नाथ मतलब शिव.. इन्हीं पौराणिक कथाओं में मिलता है.
हिंदू आस्था का प्रतीक है मंदिर
त्रिवेणी संगम यानी कपिला, हिरण और सरस्वती का संगम यहीं चंद्रदेव ने भगवान शिव को प्रसन्न करने के लिए तप किया था..ऐसा माना जाता है कि अपने ससुर दक्ष प्रजापति के एक श्राप के बाद चंद्रमा ने अपनी चमक खो दी थी. जिसे पाने के लिए चंद्रदेव ने यहीं कई सालों तक तपस्या की थी. गुजरात समंदर तट पर बना भव्य सोमनाथ मंदिर करोड़ों लोगों की आस्था का प्रतीक है..श्रद्दालुओं से लेकर दुनिया भर के कारोबारियों, नेताओं, अभिनेताओं को जीत का आशीर्वाद यहीं से मिलता है. ऐसी मान्यता है कि सोमनाथ ज्योतिर्लिंग के दर्शन मात्र से सारी मनोकामनाएं पूरी हो जाती हैं.
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