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रूस-यूक्रेन युद्ध: संकट में बचपन, नहीं मिल रहे इन 'बच्चों' के माता-पिता; नागरिकता पर भी संकट

सेरोगेसी का मतलब है किसी ऐसे व्यक्ति के बच्चे को जन्म देना, जिसकी पत्नी किसी कारणवश खुद के बच्चे को जन्म नहीं दे पा रही हो. इसमें लंबा समय भी लगता है. इसके लिए मेडिकली फिट महिलाओं का चयन किया जाता है. इसके बदले में उन्हें सहायता राशि भी दी जाती है.

Updated on: 19 Mar 2022, 02:27 PM

highlights

  • यूक्रेन में सैकड़ों नवजात फंसे
  • सेरोगेसी के जरिए पैदा हुए हैं ये बच्चे
  • युद्ध की वजह से जैविक पिता के पास नहीं पहुंच पा रहे बच्चे

नई दिल्ली:

रूस-यूक्रेन युद्ध में हजारों लोग मारे जा चुके हैं. दोनों ही तरफ से हजारों सैनिक शहीद हुए हैं. मिसाइलों की चपेट में शहर आ रहे हैं. स्कूल-कॉलेज ध्वस्त हो रहे हैं. मैटरनिटी अस्पताल तक युद्ध से अछूते नहीं. इस बीच एक चौंकाने वाली रिपोर्ट सामने आई है, जिसमें युद्धग्रस्त यूक्रेन में सैकड़ों ऐसे बच्चों के फंसे होने का पता चला है, जो नवजात हैं. ये वो बच्चे हैं, जो पहले तो कोरोना वायरस की वजह से और फिर युद्ध की वजह से संकट में हैं. इन बच्चों के पास न तो देश की नागरिकता है और न ही माता-पिता का प्यार. ये बच्चे सेरोगेट मदर से पैदा हुए हैं. यूक्रेन में सेरोगेसी लीगल है. लेकिन उस देश में जहां युद्ध हो रहा हो, वहां कानून का कितना राज हो सकता है, इस बात का बस अंदाजा ही लगाया जा सकता है. ऐसे में रूस के हमले के चलते यूक्रेन की राजधानी कीव में सैकड़ों विदेशी सरोगेट बच्चे फंस गए हैं. इन बच्चों के माता-पिता दूसरे देशों से यहां नहीं आ पा रहे हैं.

समस्या ये खड़ी हो गई है कि अगर उनके माता-पिता नहीं आ पाए तो इन बच्चों का क्या होगा. क्योंकि वो सेरोगेट मां के साथ भी नहीं रह सकते. अपने जैविक पिता के पास भी नहीं जा सकते. युद्ध के बाद से सभी प्राइवेट उड़ानें बंद हो चुकी हैं. ऐसे में वो बस फंस कर रह गए हैं. इस बीच कई सेरोगेट माताओं ने यूक्रेन छोड़ने की इच्छा जताई है. उनका कहना है कि वो यूक्रेन में बच्चे को जन्म नहीं दे सकतीं. ऐसे में डिलीवरी के लिए उन्हें दूसरे देश ले जाना होगा. हालांकि इसमें सबसे बड़ी समस्या बच्चों की नागरिकता की होगी. ऐसे में उनके जैविक पिता के सामने भी कानूनी पचड़े खड़े हो जाएंगे.

आई-न्यूज के मुताबिक, यूक्रेन में सेरोगेसी की सेवा प्रदान करने वाली एक कंपनी ने बताया है कि वो सैकड़ों ऐसी महिलाओं के साथ काम कर रही है, जो किराए पर कोख देती हैं. इस कंपनी ने सेरोगेसी के जरिए पैदा हुए इन बच्चों के लिए स्पेशल बंकर बनाए हैं. इसमें मेडिकल टीम के साथ सेरोगेट मदर भी हैं. ये कंपनी युद्ध थमने का इंतजार कर रही है, ताकि जन्म ले चुके इन बच्चों को उनके जैविक माता पिता के पास भेजा जा सके. इसके लिए उनके कागजातों की पड़ताल से लेकर आधिकारिक तौर पर बच्चे की नागरिकता भी तय करने का काम करना होगा. इसके बाद ही वो अपने माता-पिता के पास जा सकेंगे. 

क्या होती है सेरोगेसी?

सेरोगेसी का मतलब है किसी ऐसे व्यक्ति के बच्चे को जन्म देना, जिसकी पत्नी किसी कारणवश खुद के बच्चे को जन्म नहीं दे पा रही हो. इसमें लंबा समय भी लगता है. इसके लिए मेडिकली फिट महिलाओं का चयन किया जाता है. इसके बदले में उन्हें सहायता राशि भी दी जाती है. जन्म देने के बाद मांओं का बच्चों पर कोई हक नहीं होता. भारत में भी सेरोगेसी के जरिए बहुत सारे बच्चे जन्म ले चुके हैं. बॉलीवुड अभिनेता शाहरुख खान, आमिर खान जैसे कई सितारे सेरोगेसी के जरिए पिता बन चुके हैं. 

सेरोगेसी का बड़ा सेंटर है यूक्रेन

यूक्रेन पश्चिमी देशों के मुकाबले कम महंगा देश है. यहां मेडिकल सुविधाएं भी अच्छी हैं और कानूनी उलझनें भी कम हैं. इसलिए पश्चिमी देशों के कपल यूक्रेन को सेरोगेसी के लिए ज्यादा चुनते हैं. यूक्रेन मौजूदा समय में दुनिया के उन चुनिंदा देशों में शामिल है, जहां सेरोगेसी बतौर इंडस्ट्री बन कर उभरा है. एक आंकड़े के मुताबिक, युद्ध ग्रस्त यूक्रेन में करीब 800 ऐसे बच्चे जन्म लेने वाले हैं, जो सेरोगेसी के जरिए पैदा हो रहे हैं. उनके जैविक पिता दूसरे देशों के हैं. इसके अलावा कोरोना वायरस की वजह से हुए लॉकडाउन में भी पैदा हुए बहुत सारे बच्चे यूक्रेन में फंसे हैं, क्योंकि दुनिया के तरफ सामान्य जनजीवन की तरफ बढ़ रही थी, तो यूक्रेन तेजी से युद्ध की चपेट में आ गया.