Jerusalem की स्थिति में कोई भी बदलाव स्वीकार नहीं करेगा अमेरिका, इजरायल पर बढ़ा दबाव!
Any action jeopardizing Jerusalem s status quo unacceptable, says US : इजरायल में बेंजामिन नेतान्याहू रिकॉर्ड छठीं बार प्रधानमंत्री बने हैं. पिछले चुनावों में हार के बाद माना जा रहा था कि वो सक्रिय राजनीति से सन्यास ले लेंगे, और उनकी राजनीतिक...
highlights
- इजरायल पर सख्त हुआ अमेरिका
- अति दक्षिणपंथी सरकार के आने से सतर्क
- येरुशलम में किसी भी तरह का बदलाव स्वीकार नहीं
नई दिल्ली:
Any action jeopardizing Jerusalem s status quo unacceptable, says US : इजरायल में बेंजामिन नेतान्याहू रिकॉर्ड छठीं बार प्रधानमंत्री बने हैं. पिछले चुनावों में हार के बाद माना जा रहा था कि वो सक्रिय राजनीति से सन्यास ले लेंगे, और उनकी राजनीतिक पारी का अंत हो जाएगा. लेकिन बेंजामिन नेतान्याहू ने फिर से सरकार बना ली. हां, ये जरूर है कि इस सरकार में वो यहूदी भी शामिल हो गए हैं, जो बेहद कट्टरपंथी माने जाते हैं. इस तरह से नेतान्याहू की ये सरकार अब तक की सबसे दक्षिणपंथी सरकार मानी जा रही है. जिसके बाद ये माना जा रहा है कि इजरायल आक्रामक तरीके से यहूदी बस्तियों का विस्तार करेगा. लेकिन अमेरिका ने अभी से इजरायल पर दबाव बनाना शुरू कर दिया है, ताकि इजरायल ऐसा कोई कदम न उठाए. इसके लिए सीधे वॉइट हाउस से ही बयान आ गया है कि येरूशलम में किसी भी तरह के बदलाव को अमेरिका स्वीकार नहीं करेगा.
ट्रंप की तुलना में बाईडेन प्रशासन ने बनाए रखी है इजरायल से दूरी
अमेरिका के इस बयान को दबाव बनाने की रणनीति के तौर पर देखा जा रहा है. चूंकि मौजूदा राष्ट्रपति जो बाईडेन पिछले राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की तुलना में इजरायल के प्रति कम हमदर्दी रखते हैं. वो ट्रंप की तरह खुलकर इजरायल के पक्ष में नहीं खड़े होते, जैसा ट्रंप ने किया था. उन्होंने येरूशलम को इजरायल की राजधानी स्वीकार करते हुए अमेरिकी दूतावास को भी येरूशलम में ट्रांसफर करने की बात कही थी. हालांकि बाईडेन ने सत्ता में आते ही इस बदलाव को रद्द कर दिया. इस बीच इजरायल में तीन सरकारें बदल चुकी हैं. और अब जो सरकार आई है, उसमें शामिल लोग इजरायल के आक्रामक विस्तार के पक्षधर हैं. ऐसे में अमेरिका ने अभी से इजरायल को चेतावनी दे दी है.
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पुरानी योजनाओं पर फिर से काम कर रहा इजरायल
बता दें कि नेतान्याहू ने सत्ता में आते ही कहा कि यहूदियों को बसाने की जिन योजनाओं पर अब तक काम रोक दिया गया था. उन्हें फिर से शुरू किया जाएगा. चूंकि इजरायल गोलन हाइट्स के साथ ही वेस्ट बैंक में भी अपना आधार तेज कर रहा है और यहूदियों को नए इलाकों में बसाने की योजना पर काम कर रहा था. इसके साथ ही वो पूर्वी येरूशलम में भी अपनी पैठ जमाना चाहता है. इसके लिए यहूदी बस्तियों को विस्तारित किया जाएगा. लेकिन अमेरिकी रूख के बाद उसे फिर से अपनी योजनाओं के बारे में विचार करना होगा.
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