उत्तराखंड का स्वास्थ्य बजट घटा, लोगों को मरने के लिए छोड़ दिया गया : सौरभ भारद्वाज
आम आदमी पार्टी के मुख्य प्रवक्ता सौरभ भारद्वाज ने कहा कि कैग की रिपोर्ट में खुलासा हुआ है कि सभी हिमालयी राज्यों में स्वास्थ्य सेवाओं की सबसे बुरी हालत उत्तराखंड में है.
नई दिल्ली:
आम आदमी पार्टी के मुख्य प्रवक्ता सौरभ भारद्वाज ने कहा कि कैग की रिपोर्ट में खुलासा हुआ है कि सभी हिमालयी राज्यों में स्वास्थ्य सेवाओं की सबसे बुरी हालत उत्तराखंड में है. उत्तराखंड के पहाड़ी क्षेत्रों में स्वास्थ्य सेवाओं की हालत इतनी खराब है कि मरीजों का दम अस्पताल पहुंचने से पहले ही टूट जाता है. उत्तराखंड का स्वास्थ्य बजट 2018-19 में 188 करोड़ था, 2019-20 में घटाकर मात्र 97 करोड़ कर दिया गया, प्रत्येक आदमी के स्वास्थ्य पर एक साल में मात्र 5.25 पैसे खर्च किए जा रहे हैं. मरीजों को अस्पताल लाने के लिए एंबुलेंस तक उपलब्ध नहीं है.
एयर एंबुलेंस का इस्तेमाल सिर्फ बड़े-बड़े नेताओं और उनके रिश्तेदारों के लिए किया जाता है, आम आदमी को वहां पर मरने के लिए छोड़ दिया गया है. उन्होंने कहा कि उत्तराखंड के ऊपर कर्ज का बोझ लगातार बढ़ता जा रहा है, वर्तमान में उत्तराखंड सरकार पर 65,982 करोड़ रुपये का कर्ज है. उत्तराखंड सरकार के खातों में 2019-20 में पर्याप्त राशि मौजूद थी. इसके बावजूद इस साल करीब 5100 करोड़ का लोन महंगी दरों पर लिया है. आम आदमी पार्टी की सरकार उत्तराखंड में बनेगी तो दिल्ली की तरह से अच्छी और मुफ्त स्वास्थ्य सेवाएं उत्तराखंड के लोगों को भी मिलेंगी.
आम आदमी पार्टी के मुख्य प्रवक्ता और विधायक सौरभ भारद्वाज ने पार्टी मुख्यालय में सोमवार को प्रेसवार्ता को संबोधित किया. सौरभ भारद्वाज ने कहा कि कैग की 2019-20 की रिपोर्ट के अंदर स्वास्थ्य सेवाओं के बुरे हालात का पूरा ब्यौरा दिया गया है. उत्तराखंड के पहाड़ी क्षेत्रों में स्वास्थ्य सेवाओं की हालत इतनी खराब है कि ज्यादातर मरीजों का दम अस्पताल पहुंचते-पहुंचते ही टूट जाता है.
पूरे पहाड़ी क्षेत्रों में अस्पताल, डिस्पेंसरी, सरकारी स्वास्थ्य सेवाओं की हालत बेकार है और काफी कम अस्पताल हैं. कैग की रिपोर्ट में बताया गया है कि सभी हिमालयी राज्यों के अंदर स्वास्थ्य सेवाओं की सबसे बुरी हालत उत्तराखंड में है. हर साल हजारों महिलाओं की मृत्यु गर्भवती होने की वजह से हो जाती है. मरीजों को अस्पताल लाने के लिए एंबुलेंस तक उपलब्ध नहीं है. इस वजह से मरीजो को डांडी-कांडी के ऊपर लाया जाता है और अक्सर मरीजों की मौत अस्पताल पहुंचने से पहले ही सड़क पर हो जाती है.
उन्होंने कहा कि स्वास्थ्य सेवाओं की हालत खराब होने के बावजूद स्वास्थ्य बजट में लगातार कटौती की गई है. उत्तराखंड सरकार का स्वास्थ्य बजट 2018-19 में 188 करोड़ था. 2019 में स्वास्थ्य बजट को घटाकर मात्र 97 करोड़ कर दिया गया है. उत्तराखंड की सरकार का वहां की स्वास्थ्य सेवाओं और लोगों के ऊपर किए जा रहे खर्च का आंकलन किया जाए तो प्रत्येक आदमी के हिसाब से मात्र 5.25 पैसे निकलता है. कैग ने कहा कि एयर एंबुलेंस का इस्तेमाल मात्र बड़े-बड़े नेताओं और रिश्तेदारों के लिए किया जाता है. आम आदमी को वहां पर मरने के लिए छोड़ दिया गया है.
सौरभ भारद्वाज ने बताया कि कैग की रिपोर्ट में कई चौंकाने वाले तथ्य सामने आए हैं. जिसके अंदर सबसे बड़ी बात है कि उत्तराखंड के ऊपर कर्ज का बोझ लगातार बढ़ता जा रहा है. इस वक्त उत्तराखंड सरकार के ऊपर 65,982 करोड़ रुपये का कर्ज है. हर साल यह कर्ज बढ़ता जा रहा है, जबकि सरकार के कई निकाय ऐसे हैं जहां पर सरकार के पास पर्याप्त मात्रा में नकद राशि मौजूद है. इसके बावजूद सरकार बेवजह बाजार से महंगी दरों पर लोन उठा रही है.
उत्तराखंड सरकार के पास 2019-20 में खातों में पर्याप्त नकदी मौजूद थी, इसके बावजूद अप्रैल, जुलाई, अगस्त, सितबर और दिसंबर में बाजार से ऊंची दरों पर लोन उठाया गया. उत्तराखंड सरकार ने इस साल करीब 5100 करोड़ का लोन महंगी दरों पर बाजार से लिया है. इसके अलावा करीब 100 करोड़ रुपए कहां खर्च किए गए, इसकी जानकारी सरकार को भी नहीं है. उन्होंने कहा कि आम आदमी पार्टी की सरकार उत्तराखंड में बनेगी तो दिल्ली की तरह से अच्छी और मुफ्त स्वास्थ्य सेवाएं उत्तराखंड के लोगों को भी मिल पाएंगी.
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