पद्मभूषण गोपाल दास 'नीरज' का राजकीय सम्मान के साथ किया गया अंतिम संस्कार
लोकप्रिय कवि एवं गीतकार पद्मभूषण गोपाल दास 'नीरज' का अंतिम संस्कार शनिवार को यहां के नुमाइश मैदान के करीब स्थित मुक्तिधाम में राजकीय सम्मान के साथ किया गया।
अलीगढ़:
लोकप्रिय कवि एवं गीतकार पद्मभूषण गोपाल दास 'नीरज' का अंतिम संस्कार शनिवार को यहां के नुमाइश मैदान के करीब स्थित मुक्तिधाम में राजकीय सम्मान के साथ किया गया। उनके बड़े बेटे मिलन प्रभात ने मुखाग्नि दी।
उत्तर प्रदेश सरकार के प्रतिनिधि के तौर पर कैबिनेट मंत्री चौधरी लक्ष्मीनारायण शामिल हुए। अंतिम संस्कार के दौरान उनका प्रसिद्ध गीत 'कारवां गुजर गया गुबार देखते रहे..' 'ये भाई जरा देख के चलो..' 'बस यही अपराध मैं हर बार करता हूं..' साउंड बॉक्स में बजता रहा। एलईडी स्क्रीन पर उनकी जीवनी भी बताई जा रही थी। इससे पहले उनका पार्थिव शरीर नुमाइश मैदान में कृष्णांजलि नाट्यशाला के मंच पर जनता दर्शन के लिए रखा गया था, कभी यहीं पर वह कविता पाठ किया करते थे।
नीरज का पार्थिव शरीर शनिवार को दिल्ली से आगरा लाया गया। दिल्ली के एम्स में गुरुवार शाम उन्होंने अंतिम सांस ली थी। वह कई दिनों से फेफड़े के गंभीर संक्रमण की चपेट में थे। वह 94 वर्ष के थे।
उनके पार्थिव शरीर को आगरा के सरस्वती नगर स्थित उनके निवास पर रखा गया, जहां सपा प्रमुख अखिलेश यादव सहित बड़ी संख्या में लोग गीतों के राजकुमार को अंतिम विदाई देने पहुंचे। वहां से उनका पार्थिव शरीर अलीगढ़ लाया गया।
अलीगढ़ में घर पर उनका पार्थिव शरीर करीब 40 मिनट रखा गया। इस दौरान उन्हें नहलाया गया और सफेद कुर्ता-पायजामा पहनाया गया। इसी पहनावे में वे लोगों को मंच पर दिखते थे। फिर उनके पार्थिव शरीर को तिरंगे में लपेटा गया और अंतिम यात्रा शुरू हुई।
अंतिम यात्रा के दौरान नीरज चर्चित गीत बजते रहे। नुमाइश मैदान में कृष्णांजलि नाट्यशाला के मंच पर शव पर जनता दर्शन के लिए रखा गया। यहां कैबिनेट मंत्री सहित लोगों ने पुष्पांजलि अर्पित की।
यहीं पीएसी के बैंड की धुन पर उन्हें अंतिम सलामी दी गई। इसके बाद नुमाइश मैदान के पास स्थित मुक्तिधाम में शाम लगभग पांच बजे उनकी अंत्येष्टि की गई। अपनी रचनाओं के रूप में महाकवि हमेशा जीवित रहेंगे।
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