कर्नाटक: अब सुप्रीम कोर्ट जाएंगे अयोग्य करार दिए गए तीन विधायक
स्पीकर केआर रमेश कुमार (KR Ramesh kumar) ने गुरुवार को कुमारस्वामी सरकार से समर्थन लेने वाले एक निर्दलीय और दो कांग्रेस के बागी विधायकों को अयोग्य करार दे दिया था
नई दिल्ली:
पिछले काफी समय से कर्नाटक में चल रहे बवाल के बीच बीएस येदियुरप्पा ने शुक्रवार शाम मुख्यमंत्री पद की शपथ ली. इसके बाद अब उन्हें सोमवार को बहुमत साबित करना है. इस बीच खबर आ रही है कि कर्नाटक विधानसभा के अध्यक्ष की तरफ से अयोग्य करार दिए गए तीन बागी विधायक अब सुप्रीम कोर्ट जाएंगे. वो अपनी अयोग्यता के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में अर्जी दाखिल करेंगे. दरअसल स्पीकर केआर रमेश कुमार (KR Ramesh kumar) ने गुरुवार को कुमारस्वामी सरकार से समर्थन लेने वाले एक निर्दलीय और दो कांग्रेस के बागी विधायकों को अयोग्य करार दे दिया था. उन्होंने कहा, बाकी बागी विधायकों पर फैसला बाद में होगा.
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स्पीकर रमेश कुमार ने कहा था, 14 जून को आर शंकर और सिद्धारमैया ने एक पत्र लिखा था. विधायक आर शंकर ने कहा था कि वह केपीजेपी पार्टी के एकमात्र विधायक हैं. उन्होंने कहा कि उनका कांग्रेस में विलय हो गया है. 25 जून को मैंने अधिसूचित किया था कि शंकर को कांग्रेस का विधायक माना जाएगा और सिद्धारमैया को इसकी सूचना दी गई थी.
उन्होंने कहा, आठ जुलाई को आर शंकर और एन नागेश ने मंत्री पद से इस्तीफा दिया था. इसके बाद उन्होंने राज्यपाल को और मुझे लिखा कि वह बीजेपी का समर्थन करेंगे. इसके बाद कांग्रेस नेता और पूर्व सीएम सिद्धारमैया ने इसकी शिकायत मुझसे की थी. इसलिए हमने (स्पीकर) ने आर रमेश को अयोग्य करार दिया है.
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स्पीकर रमेश कुमार ने कांग्रेस के बागी विधायक रमेश जारकीहोली और महेश कुमाथतल्ली पर कहा, फरवरी में विरोधी पार्टी ने मामले की शिकायत दी थी और उन्होंने जुलाई में इस्तीफा दे दिया. उनके इस्तीफे निर्धारित प्रारूप में नहीं थे. मैंने उन्हें सही प्रारूप में इस्तीफा देने के लिए कहा था. विधायकों ने सुप्रीम कोर्ट में दावा किया कि स्पीकर उपलब्ध नहीं थे. उन्होंने फर्जी तरीके से कोर्ट में शपथ पत्र दिया. स्पीकर कार्यालय और सप्रीम कोर्ट उनके दुश्मन नहीं है.
सुप्रीम कोर्ट की ओर से इन विधायकों को उपस्थित होने का निर्देश दिया गया था. मैंने उनसे पूछा कि क्या आपने मुझसे समय मांगा है तो उन्होंने स्वीकार किया कि उन्होंने समय नहीं मांगा था. उन्होंने यह भी स्वीकार किया कि इस्तीफा प्रारूप में नहीं था तो मैं इस पर क्या विचार करूं.
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