भीमा कोरेगांव हिंसा मामले में जांच आयोग ने 6 राजनीतिक दलों के अध्यक्षों को किया तलब
भीमा कोरेगांव हिंसा मामले में जांच आयोग ने 6 राजनीतिक दलों के अध्यक्षों को तलब किया है. इन सभी से भविष्य में होने वाली किसी भी कानून और व्यवस्था की स्थिति को बेहतर तरीके से रोकने उठाए जा सकने वाले कदमों पर पर सुझाव देने को कहा है.
highlights
- कानून-व्यवस्था की स्थिति से निपटने के लिए ठोस सुझाव के लिए बुलाया
- आयोग ने इससे पहले भी महाराष्ट्र की 6 पार्टियों को भेजा था समन
- सिर्फ एनसीपी प्रमुख शरद पवार ने हुए थे आयोग के दफ्तर में हाजिर
मुंबई:
भीमा कोरेगांव हिंसा मामले में जांच आयोग ने 6 राजनीतिक दलों के अध्यक्षों को तलब किया है. इन सभी से आयोग के दफ्तर में आकर भविष्य में होने वाली किसी भी कानून और व्यवस्था की स्थिति को बेहतर तरीके से रोकने और उससे निपटने के लिए उठाए जा सकने वाले कदमों पर अपने सुझाव लेने के लिए कहा है. आयोग का प्रतिनिधित्व करने वाले वकील आशीष सातपुते द्वारा दायर एक आवेदन के बाद यह आदेश पारित किया गया था. जिन राजनीतिक दलों को आयोग की ओर सके समन भेजा गया है उनमें शिवसेना, कांग्रेस, भारतीय जनता पार्टी (भाजपा), वंचित बहुजन अघाड़ी, महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना (मनसे) और रिपब्लिकन पार्टी ऑफ इंडिया शामिल हैं.
The sections of the cases are 153, 295, 505 IPC. One case has been registered against Nupur Sharma & others one has been registered against multiple social media entities based on the analysis. Notices will be sent to the social media intermediaries for the details: Delhi Police
— ANI (@ANI) June 9, 2022
पहले के समन का सिर्फ पवार ने दिया जवाब
गौरतलब है कि 1 जनवरी 2018 को भीमा कोरेगांव इलाके में हुई हिंसा के कारणों की जांच के लिए राज्य सरकार ने सेवानिवृत्त न्यायाधीश न्यायमूर्ति जेएन पटेल की अध्यक्षता में दो सदस्यीय आयोग का गठन किया था. आपको बता दें कि इस हिंसा जिसमें एक व्यक्ति की मौत हो गई थी और कई अन्य घायल हो गए थे. इससे पहले भी, 2018 में, आयोग ने राज्य के सभी प्रमुख राजनीतिक नेताओं को नोटिस जारी कर कहा था कि वे उनके सामने पेश हों और कोरेगांव भीमा हिंसा और भविष्य में ऐसी घटनाओं की रोकथाम से संबंधित अपने सुझाव और अन्य जानकारी प्रस्तुत करें, लेकिन केवल राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एनसीपी) के प्रमुख शरद पवार ने जवाब दिया था और आयोग के समक्ष अपना हलफनामा दायर किया था. पवार को भी 5 मई को आयोग के समक्ष पेश किया गया था, जब विभिन्न ग्रहों का प्रतिनिधित्व करने वाले वकीलों ने उनसे जिरह की थी
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