मुम्बई में जीवन रक्षक बनेंगे कुली..कौन बनेगा मुम्बई का 'कुली नंबर-1'
केंद्र सरकार के कर्मचारी भी ओल्ड पेंशन स्कीम को फिर से बहाल करने की मांग कर रहे हैं. पिछले दिनों दिल्ली के रामलीला मैदान में देशभर से आए सरकारी कर्मचारियों ने सरकार पर दबाव बढ़ाने के लिए धरना प्रदर्शन भी किया है.
नई दिल्ली:
फिल्मों में 'कुली नंबर-1' का किरदार तो आपने जरूर देखा होगा पर असल जिंदगी में कुली नंबर कैसा होना चाहिए क्या आपने सोचा है ? मुम्बई सेंट्रल वेस्टर्न रेलवे ने एक ऐसे ही अनोखे पहल की शुरुआत की है. जहां अब कुली सिर्फ एक हमाल की तरह नहीं बल्कि जरूरत पड़ने पर डॉक्टर या दमकल कर्मचारी का भी काम करेंगे. रेलवे स्टेशन पर अक्सर कुली आपको सर पर बोझा उठाये दिख जाएंगे. कुलियों के साथ कई बार पैसों को लेकर आपकी भी बहस हुई होगी और शायद कुली से सामान उठवाने में आपको हिचकिचाहट होती होगी लेकिन अब आपकी सारी समस्या खत्म हो जाएगी. क्योंकि बदलते भारत के साथ अब कुली भी अडवांस और मॉडर्न होने जा रहे हैं.
वेस्टर्न रेलवे को कुली नंबर-1 की तलाश
कुलियों में इसी बदलाव की उम्मीद के साथ वेस्टर्न रेलवे द्वारा 'कुली नंबर 1' नाम से एक कैंपेन शुरू किया है. अब रेलवे स्टेशन पर कुली आपको सिर्फ हमाली करते ही नही दिखाई देंगे बल्कि जरूरत पड़ने पर वो एक मेडिकल एक्सपर्ट की तरह यात्रियों को सीपीआर देकर उनकी ज़िंदगी बचाते दिखाई देंगे या फिर स्टेशन परिसर में कभी आग लगने के दौरण वो एक फायर फाइटर की भूमिका में भी दिखाई दे सकते हैं और ऐसे मुश्किल हालातों जो कुली सबसे आगे होगा वही बनेगा 'कुली नंबर 1'.
कुली के व्यवहार पर यात्रियों को Feedback लिया जा रहा है.
मुंबई सेंट्रल वेस्टर्न रेलवे द्वारा शुरू इस अनोखे पहल में हर कुली शामिल है लेकिन कुली नंबर 1 का तम्बका किसी एक कुली को ही दिया जाएगा. जिसके लिए कई तरह की ट्रेनिंग के साथ साथ कुली को यात्रियों के प्रति अपना व्यवहार बहुत ही विनम्र और सकारात्मक रखना होगा. रेलवे के अधिकारी कुली का फीडबैक लेने के लिए यात्रियों से एक फ़ीडबैक फॉर्म भी लिया जाएगा जिसके तहत हर तीन महीने पर कुली नंबर - 1 का चयन होगा.
सूरत स्टेशन पर शुरू हुआ था ये प्रोजेक्ट
हालांकि मौजुदा समय में रेलवे स्टेशनों पर बैटरी कार और दूसरी Hi-Tech सुविधाओं के शुरू होने से कुलियों का धंधा मंदा हो गया है. कुली बताते हैं कि कई बार वो पूरा दिन इंतजार करते रह जाते हैं और कोई काम नहीं मिलता. ऐसे में वो चाहते हैं कि सरकार कुलियों के विकास और उनकी आमदनी बढ़ाने के लिए कोई जरूरी कदम उठाये.
गौरतलब है की 'कुली नंबर - 1' नाम से शुरू ये मुहिम इसके पहले पायलट प्रोजेक्ट के तौर पर सूरत स्टेशन पर शुरू किया गया था. जिसकी सफलता के बाद इसका विस्तार मुंबई सेंट्रल और बांद्रा टर्मिनस स्टेशनों पर लाइसेंसधारी कुलियों के साथ किया जा रहा है.
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