चिनाब नदी के पानी को लेकर पाकिस्तान ने लगाया झूठा आरोप, तो भारत ने कर दी बोलती बंद
पाकिस्तानी समकक्ष सैयद मोहम्मद मेहर अली शाह ने कहा है कि भारत से पाकिस्तान में जाने वाली चिनाब नदी में मराला हेडवर्क्स से जलप्रवाह 31,853 क्यूसेक से अप्रत्याशित रूप से घट कर 18,700 क्यूसेक रह गया है.
दिल्ली:
पाकिस्तान (Pakistan) ने कहा है कि चिनाब नदी में जल प्रवाह बहुत घट गया है जबकि भारत ने उसके इस दावे को ‘आधारहीन प्रलाप’ बताया है. सिंधु जल संधि के तहत सिंधु नदी आयोग के भारतीय आयुक्त प्रदीप कुमार सक्सेना को बुधवार को भेजे पत्र में उनके पाकिस्तानी समकक्ष सैयद मोहम्मद मेहर अली शाह ने कहा है कि भारत से पाकिस्तान में जाने वाली चिनाब नदी में मराला हेडवर्क्स से जलप्रवाह 31,853 क्यूसेक से अप्रत्याशित रूप से घट कर 18,700 क्यूसेक रह गया है.
उन्होंने सक्सेना से इस स्थिति पर गौर करने और चीजों से उन्हें अवगत कराने को भी कहा है. सक्सेना ने इस दावे को पाकिस्तान का ‘एक और आधारहीन प्रलाप’ करार दिया और कहा कि मामले का परीक्षण किया गया है. सक्सेना ने कहा, ‘भारत में चिनाब और तवी नदियों पर क्रमश: आखिरी आकलन एवं निकास स्थलों अखनूर और सिधरा में संबंधित अवधि में पानी का निकास एक जैसा पाया गया है और कोई बड़ा अंतर नजर नहीं आया.’
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सिंधु जल संधि के तहत स्थायी सिंधु आयोग का गठन किया गया था
उन्होंने कहा कि यह बात पाकिस्तान को बता दी गयी है और उसे मामले का परीक्षण कराने की सलाह दी गयी है. सिंधु जल संधि के तहत स्थायी सिंधु आयोग का गठन किया गया था. दोनों देशों के सिंधु आयुक्त संधि के मामलों में अपनी अपनी सरकारों का प्रतिनिधित्व करते हैं. इस संधि के तहत हर साल कम से कम एक बार दोनों आयुक्तों की बैठक होती है जो एक बार पाकिस्तान में तो एक बार भारत में होती है.
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मार्च में दोनों देशों के सिंधु आयुक्तों की बैठक स्थगित कर दी गयी
उसमें स्पष्ट किया गया है कि तीन पूर्वी नदियां रावी, ब्यास और सतलुज पूरी तरह से भारत को आवंटित की गयी हैं. पश्चिमी नदियां सिंधु, चिनाब और झेलम पाकिस्तान को आवंटित की गयी हैं तथा भारत को कृषि, नौवहन, घरेलू उपयोग और निर्धारित मापदंड के तहत पनबिजली परियोजनाएं विकसित करने का कुछ अधिकार दिया गया है. मार्च में दोनों देशों के सिंधु आयुक्तों की बैठक स्थगित कर दी गयी क्योंकि भारत ने कोरोना वायरस महामारी एवं लोकडाउन के चलते उसे टालने का प्रस्ताव दिया था.
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