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एमसीडी चुनाव 2017: स्वराज इंडिया को नहीं मिलेगा चुनाव चिह्न, दिल्ली हाईकोर्ट ने खारिज की याचिका

दिल्ली हाईकोर्ट ने योगेंद्र यादव की पार्टी स्वराज इंडिया की वह याचिका खारिज कर दिया, जिसमें उसने एमसीडी चुनाव में पार्टी के उम्मीदवारों को एक समान चुनाव चिह्न आवंटित करने की मांग की थी।

Updated on: 03 Apr 2017, 11:00 PM

नई दिल्ली:

दिल्ली हाईकोर्ट ने सोमवार को स्वराज इंडिया की वह याचिका खारिज कर दिया, जिसमें उसने दिल्ली नगर निगम के चुनाव में पार्टी के उम्मीदवारों को एक समान चुनाव चिह्न आवंटित करने की मांग की थी। न्यायालय ने कहा कि यह 'चुनाव में बाधा डालने' जैसा होगा।

न्यायमूर्ति संजीव खन्ना तथा न्यायमूर्ति चंद्रशेखर ने एक अंतरिम आदेश में स्वराज इंडिया द्वारा चुनाव चिन्ह की मांग करने की अपील को खारिज कर दी और कहा कि न्यायालय 'व्यावहारिक व कार्यात्मक कठिनाइयों' को नजरअंदाज नहीं कर सकता।

आगामी 23 अप्रैल को होने वाले दिल्ली नगर निगम के चुनाव के लिए नामांकन की अंतिम तिथि तीन अप्रैल है।

पीठ ने कहा, 'नामांकन दाखिल करने की अंतिम तिथि तीन अप्रैल है। दी गई समयावधि में कोई भी अंतरिम आदेश चुनाव प्रक्रिया में बाधा पैदा करेगा। सुविधा के संतुलन के सिद्धांत के मुताबिक, पहले से निर्धारित चुनाव को बिना किसी बाधा के सुचारू रूप से संपन्न होना चाहिए।'

पीठ के मुताबिक, 'हम व्यावहारिक व कार्यात्मक कठिनाइयों को नजरअंदाज नहीं कर सकते, जो सामने आएंगी। इनसे सुचारू रूप से निष्पक्ष चुनाव संपन्न कराने में बाधाएं आएंगी। उपरोक्त कारणों के मद्देनजर, हम नगर निगम चुनाव में हिस्सा लेने के लिए याचिकाकर्ता को एक समान चुनाव चिन्ह के लिए अंतरिम आदेश जारी नहीं करेंगे।'

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पार्टी की याचिका को खारिज कर दिया गया। पीठ ने यह भी कहा कि एक समान चुनाव चिन्ह देने से पहले विभिन्न पक्षों की टिप्पणियों व आपत्तियों को भी देखना होगा।

पीठ ने कहा, 'एक समान चुनाव चिन्ह प्रदान करने की प्रक्रिया आसान नहीं है, दूसरे इस पर आपत्ति जता सकते हैं।'

योगेंद्र यादव के नेतृत्व वाली पार्टी स्वराज इंडिया की याचिका पर यह अंतरिम आदेश सामने आया है। यह फैसला एकल न्यायाधीश के उस फैसले के खिलाफ दाखिल याचिका की सुनवाई के दौरान आया है, जिसमें उन्होंने पार्टी के उम्मीदवारों को एक समान चुनाव चिन्ह देने से इनकार कर दिया था।

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निर्वाचन आयोग ने कहा था कि पार्टी के उम्मीदवारों को चुनाव चिन्ह के आवंटन के मामले में निर्दलीय माना जाएगा।