logo-image

Politics: जातीय गणना पर सियासत जारी, बयानबाजी के बाद क्रेडिट लेने की बारी!

बिहार में चल रहे जाति आधारित गणना का काम लगभग पूरा हो चुका है. हालांकि अभी तक गणना के आंकड़ों को जारी नहीं किया गया क्योंकि सर्वे का फिगर भी तैयार किया जा रहा है.

Updated on: 28 Aug 2023, 04:08 PM

highlights

  • बयानबाजी के बाद क्रेडिट लेने की बारी!
  • महागठबंधन के निशाने पर बीजेपी
  • बीजेपी नहीं चाहती कि गणना हो- JDU

Patna:

बिहार में चल रहे जाति आधारित गणना का काम लगभग पूरा हो चुका है. हालांकि अभी तक गणना के आंकड़ों को जारी नहीं किया गया क्योंकि सर्वे का फिगर भी तैयार किया जा रहा है और जल्द आंकड़ों को जारी भी कर दिया जाएगा. इस सब के बीच प्रदेश में एक बार फिर इसपर सियासत तेज होने लगी है और साथ ही इसपर क्रेडिट लेने की होड़ तेज हो गई है. जाति आधारित गणना को लेकर सत्ताधारी दल बीजेपी को आड़े हाथ लेते थक नहीं रही. जहां JDU और RJD बीजेपी को घेरने की रणनीति बना रही है क्योंकि सत्ता पक्ष जातिगत गणना को चुनावी मुद्दा बनाकर चलने की कोशिश कर रही है. JDU बार-बार सीएम नीतीश के इस फैसले को वंचित लोगों के आर्थिक और सामाजिक न्याय से जोड़कर देख रही है. 

यह भी पढ़ें- अश्विनी चौबे का बड़ा बयान, कहा- नीतीश कुमार का अंतिम अध्याय भी अब होगा खत्म

जातीय गणना पर सियासत जारी

साथ ही बीजेपी पर ये आरोप भी लगा रही है कि बीजेपी नहीं चाहती कि ये गणना हो और इसी वजह से बीजेपी इसमें अड़ंगा डाल रही है. सत्ता पक्ष भले ही बीजेपी पर निशाना साध रही है, लेकिन बीजेपी का साफ तौर पर मानना है. बिहार में जाति आधारित गणना के जरिए महागठबंधन की सरकार राजनीतिक लाभ लेने की कोशिश कर रही है. जहां केंद्रीय मंत्री अश्विनी चौबे का मानना है. बिहार सरकार के नेता मामले में बेमतलब की दलील दे रहे हैं. बीजेपी का दावा है कि जाति आधारित गणना का फैसला बीजेपी का था. बीजेपी की ही कोशिश से ये शुरू हुआ.

जातीय गणना का फैसला बीजेपी का था- अश्विनी चौबे

बिहार में जाति आधारित गणना को लेकर सभी राजनीतिक दल अपने अपने हिसाब से राजनीति करने में लगे हैं. इस बीच JDU बीजेपी के खिलाफ 1 सितंबर से पोल खोल अभियान शुरू करने की तैयारी में है, तो वहीं बीजेपी भी अब सरकार पर जल्द जातिगत गणना के आंकड़ों को जारी करने का दबाव डालने की कोशिश कर रही है. यानी जिस तरीके से जाति आधारित गणना पर राजनीति हो रही है. उसे देख ये कहना गलत नहीं होगा कि 2024 के चुनाव में सभी राजनीतिक दल इसे मुद्दा बनाकर चुनाव लड़ने की तैयारी कर रहे हैं.