शरद यादव: आखिरी ट्वीट में सुप्रीम कोर्ट के लिए कही थी ये बात
शरद यादव हमेसा विनम्र व्यवहार करते थे यहां तककि अगर विपक्षियों की आलोचना भी करते थे तो शब्दों की मर्यादा में रहकर करते थे.
highlights
- 5 जनवरी 2023 को किया था आखिरी ट्वीट
- सुप्रीम कोर्ट के फैसले की सराहना की थी
- 75 की उम्र में शरद यादव का निधन
Patna:
शरद यादव का 75 वर्ष की उम्र में निधन हो गया. शरद यादव हमेशा विनम्र व्यवहार करते थे यहां तककि अगर विपक्षियों की आलोचना भी करते थे तो शब्दों की मर्यादा में रहकर करते थे. आज की राजनीति में बयानबाजी और वार-पलटवार के क्रम में जिस तरह से शब्दों और भाषाओं की मर्यादा लांघी जाती थी शरद बाबू कभी भी इसके शिकार नहीं हुए. शरद यादव अपनी बात बड़ी ही बेबाकी के साथ और सौम्यता के साथ रखते थे. शरद यादव ट्विटर पर भी एक्टिव रहते थे.
अपने आखिरी ट्वीट में उन्होंने सुप्रीम कोर्ट के एक फैसला की जमकर सराहना की थी. दरअसल, सुप्रीम कोर्ट द्वारा यूपी निकाय चुनाव को लेकर इलाहाबाद हाईकोर्ट के फैसले को पलट दिया गया था. सुप्रीम कोर्ट ने इलाहाबाद हाईकोर्ट के उस फैसले पर रोक लगा दी थी जिसमें यूपी में निकाय चुनाव ओबीसी कोटा के बिना कराए जाने की इजाजत दी थी.
ये भी पढ़ें-शरद यादव का निधन: एक क्लिक पर जानें उनके बारे में सबकुछ
शरद यादव ने 5 जनवरी 2023 को 11:41 AM पर किए गए अपने आखिरी ट्वीट में लिखा, 'मैं माननीय सर्वोच्च न्यायालय द्वारा इलाहाबाद उच्च न्यायालय द्वारा यूपी निकाय चुनाव ओबीसी कोटा के बिना कराने के निर्देश पर रोक लगाने की सराहना करता हूं.'
मैं माननीय सर्वोच्च न्यायालय द्वारा इलाहाबाद उच्च न्यायालय द्वारा यूपी निकाय चुनाव ओबीसी कोटा के बिना कराने के निर्देश पर रोक लगाने की सराहना करता हूं।#OBCreservation
— SHARAD YADAV (@SharadYadavMP) January 5, 2023
75 की उम्र में शरद यादव का निधन
जनता दल यूनाइटेड ( JDU ) के पूर्व अध्यक्ष शरद यादव ( Former Union Minister Sharad Yadav passes away ) का आज यानी गुरुवार रात को निधन हो गया है. शरद यादव ने 75 साल की उम्र में अंतिम सांस ली है. शरद लंबे समय से बीमार चल रहे थे, जिसके चलते उनके गुरुग्राम के फोर्टिस अस्पताल में भर्ती कराया गया था, लेकिन इलाज के बाद भी उनकी सेहत में कोई सुधार देखने को नहीं मिल रहा था. गुरुवार को उनकी तबीयत अचानक ज्यादा खराब हो गई, जिसके चलते उनका निधन हो गया. शरद यादव के निधन से उनकी पार्टी और समर्थकों में शोक की लहर दौड़ गई है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी समेत देश के कई दिग्गज नेताओं व बड़ी हस्तियों ने उनके निधन पर शोक जताया है.
जेडीयू के लंबे समय तक रहे अध्यक्ष
शरद यादव को वर्ष 1997 में जेडीयू का राष्ट्रीय अध्यक्ष चुना गया था. 1998 में जॉर्ज फर्नांडीस के साथ मिलकर शरद यादव ने जेडीयू की स्थापना की थी. हालांकि जेडीयू 30 अक्टूबर 2003 में आस्तित्व में आई थी. उस समय बिहार के मौजूदा सीएम नीतीश कुमार ने अपनी समता पार्टी का विलय जेडीयू में कर लिया था. सिर्फ नीतीश ने ही नहीं बल्कि रामकृष्ण हेगड़े की लोक शक्ति का भी विलय जेडीयू में हो गया था. 2003 से लेकर 2016 तक शरद यादव जेडीयू के राष्ट्रीय अध्यक्ष बने रहे. हालांकि, अंतिम दिनों में बिहार के सीएम नीतीश कुमार के साथ राजनीतिक मनमुटाव के की वजह से शरद यादव ने 2018 में जेडीयू से बगावत कर लोकतांत्रिक जनता दल नाम से अपनी पार्टी का गठन किया था लेकिन बाद में इसका विलय आरजेडी में उन्होंने कर दिया.
शरद यादव ने क्यों छोड़ी पार्टी
शरद यादव जेडीयू के 3 साल तक राष्ट्रीय अध्यक्ष रहे, लेकिन नीतीश कुमार के बढ़ते कद की वजह से उन्हें 2016 में पार्टी के अध्यक्ष पद से हटना पड़ा और नीतीश कुमार खुज पार्टी के अध्यक्ष बन गए और यही से शुरू हुआ शरद यादव और नीतीश कुमार के बीच मनमुटाव.
दोनों के बीच का मनमुटाव 2017 में पूरी तरह सामने आ चुका था. राज्य में जेडीयू-आरजेडी की सरकार थी और 26 जुलाई 2017 को नीतीश कुमार ने बिहार के सीएम पद से अचानक इस्तीफा दे दिया. डिप्टी सीएम तेजस्वी यादव की भ्रष्टाचार के मामले में इस्तीफे की मांग की जा रही थी. सीएम नीतीश ने उस समय कहा था कि ऐसे माहौल में काम नहीं किया जा सकता. नीतीश कुमार ने बीजेपी के समर्थन से 27 जुलाई 2017 को फिर से सरकार बनाई और फिर से सीएम बने.
बीजेपी के साथ नीतीश कुमार का फिर से चले जाना शरद यादव को अच्छा नहीं लगा और उन्होंने सीएम नीतीश कुमार के खिलाफ मोर्चा खोल दिया. इसका खामियाना उन्हों चुकाना पड़ा और जेडीयू से उन्हें बाहर होना पड़. जेडीयू से अलग होने के बाद एक बार फिर से सियासत की नई पारी खेलने के लिए शरद यादव ने लोकतांत्रिक जनता दल पार्टी बनाई लेकिन एक साल बाद ही अपनी नई पार्टी का आरजेडी में विलय कर दिया. शरद यादव अपने जीवन के अंतिम दिनों तक आरजेडी में बने रहे.
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