CM नीतीश कुमार पीएम मोदी को खत लिखकर की पॉर्न साइट्स पर बैन लगाने की मांग
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को भेजे गए पत्र में लिखा गया है कि पिछले कुछ समय से देश के विभिन्न राज्यों में महिलाओं के साथ घटित सामूहिक दुष्कर्म और उसके बाद जघन्य तरीके से हत्या की घटनाओं ने पूरे देश के जनमानस को उद्वेलित किया है.
नई दिल्ली:
बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिखकर इंटरनेट पर उपलब्ध पोर्न साइट्स एवं अनुचित सामग्री पर प्रतिबंध लगाने की मांग की है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को भेजे गए पत्र में लिखा गया है कि पिछले कुछ समय से देश के विभिन्न राज्यों में महिलाओं के साथ घटित सामूहिक दुष्कर्म और उसके बाद जघन्य तरीके से हत्या की घटनाओं ने पूरे देश के जनमानस को उद्वेलित किया है. इस तरह की घटनाएं सभी राज्यों में घटित हो रही है जो अत्यंत दुख और चिंता का विषय है.
मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने अपने पत्र में लिखा है कि इंटरनेट पर लोगों की असीमित पहुंच के कारण बड़ी संख्या में बच्चे एवं युवा अश्लील, हिंसक एवं अनुचित सामग्री देख रहे हैं जो अवांछनीय है. इसके प्रभाव के कारण भी कुछ मामलों में ऐसी घटनाएं घटित होती हैं.
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कई मामलों में दुष्कर्म की घटनाओं के वीडियो बना कर सोशल मीडिया जैसे व्हाट्सएप, फेसबुक आदि पर प्रसारित कर दिए जा रहे हैं. विशेष रूप से बच्चों एवं कम उम्र के कुछ युवाओं के मस्तिष्क को इस तरह की सामग्री गंभीर रूप से प्रभावित करती है. कई मामलों में इस तरह की सामग्री का उपयोग ऐसे अपराधों के कारक के रूप में दृष्टिगत हुआ है. इसके अतिरिक्त ऐसी सामग्री के दीर्घकालीन उपयोग से कुछ लोगों की मानसिकता नकारात्मक रूप से प्रभावित हो रही है जिससे अनेक सामाजिक समस्याएं उत्पन्न हो रही हैं और महिलाओं के प्रति अपराधों में बढ़ोतरी हो रही है.
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मुख्यमंत्री ने आगे लिखा है कि यद्यपि इस संबंध में इंफॉर्मेशन टेक्नोलॉजी एक्ट, 2000 (यथा संशोधित 2008) में कतिपय प्रावधान किये गए हैं, परन्तु वे प्रभावी नहीं हो पा रहे हैं. माननीय उच्चतम न्यायालय द्वारा भी इस संबंध में सरकार को कई दिशा-निर्देश दिए गये हैं. मेरे विचार से अभिव्यक्ति एवं विचारों की स्वतंत्रता के नाम पर इस तरह की अनुचित सामग्री की असीमित उपलब्धता उचित नही है तथा महिलाओं एवं बच्चों के विरुद्ध हो रहे ऐसे अपराधों के निवारण हेतु प्रभावी कार्रवाई किया जाना नितांत आवश्यक है. इंटरनेट सेवा प्रदाताओं को भी कड़े निर्देश देने की आवश्यकता है. साथ ही विभिन्न हितधारकों यथा- अभिभावकों, शैक्षिक संस्थानों एवं गैर-सरकारी संगठनों के सहयोग से व्यापक जागरूकता अभियान चलाना भी आवश्यक है. इसलिए मेरा अनुरोध होगा कि इस गंभीर विषय पर तत्काल विचार करते हुए इंटरनेट पर उपलब्ध ऐसी पोर्न साइट्स तथा अनुचित सामग्री पर प्रतिबंध लगाने हेतु शीघ्र समुचित कार्रवाई करने की कृपा की जाय.
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