कारगिल युद्ध के बाद काटने पड़े थे दोनों हाथ, आज मिसाल पेश कर रहे हैं पौलुस मुर्मू
कुछ करने का जज्बा हो तो कोई भी काम कठिन नहीं होता है और आपके रास्ते में कितनी भी परेशानी क्यों ना आए, वो आपके लिए बाधा नहीं बन सकती है.
highlights
- मिसाल पेश कर रहे हैं पौलुस मुर्मू
- पौलुस मुर्मू के हौसले को सलाम
- कभी देश की सेवी की... अब कर रहे वकालत
- कारगिल युद्ध के बाद काटने पड़े दोनों हाथ
Bhagalpur:
कुछ करने का जज्बा हो तो कोई भी काम कठिन नहीं होता है और आपके रास्ते में कितनी भी परेशानी क्यों ना आए, वो आपके लिए बाधा नहीं बन सकती है. इसी कहावत को सच कर रहे हैं पौलुस मुर्मू. जिनके जब्जे को आज हर कोई सलाम कर रहा है. भागलपुर में कानून की परीक्षा दे रहे शख्स झारखंड के मिर्जाचौकी बच्चा गांव के निवासी पौलुस मुर्मू हैं. जो दिव्यांग हैं, लेकिन हौसले और जब्जे में अच्छे अच्छों को टक्कर देते हैं. हालांकि पौलुस के लिए हमेशा से हालात ऐसे ही नहीं थे.
पौलुस मुर्मू के हौसले को सलाम
दरअसल पौलुस मुर्मू आर्मी जवान थे. कारगिल युद्ध के दौरान पेट्रोलिंग करने में हिमस्खलन हुआ और पौलुस 15 दिनों तक बर्फ में दबे रहे. इस हादसे के बाद इनके दोनों हाथ काटने पड़े. लिहाजा नौकरी भी हाथ से चली गई, लेकिन जज्बा देश की सेवा का था तो पौलुस कहां रुकने वाले थे. उन्होंने पढ़ाई को आगे बढ़ाने और लॉयर बनने की ठानी. इसके बाद 2008 से अपने कटे हुए हाथ से ही लिखने की कोशिश की और सफल भी हुए. इसके बाद पहले बीए की पढ़ाई की फिर एमए और बीएड किया और अब वकील बनने का सपना लेकर कानून की पढ़ाई पूरी लगन से कर रहे हैं.
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कभी देश की सेवी की... अब कर रहे वकालत
पौलुस अभी भागलपुर टीएनबी लॉ कॉलेज में पांचवें सेमेस्टर के छात्र हैं, एलएलबी पांचवें सेमेस्टर की परीक्षा इन्होंने तिलकामांझी भागलपुर विश्विद्यालय में दी है, उनकी लिखावट को देख कोई नहीं कह सकता कि वो दिव्यांग है. वो पूरी लगन से लॉ की पढ़ाई कर रहे हैं और उन्हें उम्मीद है कि वो जल्द लॉयर बनेंगे. पौलुस के इस हौसले को देख उनके साथ पढ़ने वाले छात्रों से लेकर परीक्षा निरीक्षक भी अचंभित है. परीक्षा निरीक्षक रौशन सिंह ने कहा कि आज जो छात्र लिखने पढ़ने में बहाना करते हैं उस छात्रों के लिए इनका उदाहरण काफी है.
सच ही कहा है किसी ने मंजिल मिल ही जाएगी भटकते भटकते ही सही, गुमराह तो वो हैं जो घर से निकले ही नहीं. NEWS STATE BIHAR JHARKHAND भी पौलुस के जज्बे को सलाम करता है.
रिपोर्ट : आलोक कुमार झा
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