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JDU-BJP का 17-17 सीटों पर लड़ना तय, सीतामढ़ी पर चारों पार्टियों की नजर

लोकसभा चुनाव के मद्देनजर बिहार में एनडीए के भीतर सीट बंटवारे को लेकर बीजेपी और जनता दल यूनाइटेड (जेडीयू) में लगभग सहमति बन गई है. वहीं अगर सब कुछ ठीक रहा तो फरवरी के अंत तक सीट बंटवारे का ऐलान संभव है.

Updated on: 06 Feb 2024, 05:20 PM

highlights

  • बिहार में JDU-BJP का 17-17 सीटों पर लड़ना तय
  • सीतामढ़ी पर 4 पार्टियों ने की दावेदारी
  • कुशवाहा-मांझी और चिराग को लेकर क्या जानें प्लान

 

 

 

Patna:

Bihar Politics News: एक तरफ बिहार की सियासत दिन-ब-दिन गर्म होती दिख रही है, वहीं दूसरी तरफ लोकसभा चुनाव के मद्देनजर बिहार में एनडीए के भीतर सीट बंटवारे को लेकर बीजेपी और जनता दल यूनाइटेड (जेडीयू) में लगभग सहमति बन गई है. वहीं अगर सब कुछ ठीक रहा तो फरवरी के अंत तक सीट बंटवारे का ऐलान संभव है. पिछली बार की तरह इस बार भी लोकसभा चुनाव में नीतीश कुमार की पार्टी जेडीयू और बीजेपी बराबर-बराबर सीटों पर चुनाव लड़ेंगी. बता दें कि जेडीयू सूत्रों के मुताबिक, बिहार में दोनों बड़ी पार्टियों के बीच 17-17 सीटों पर चुनाव लड़ने पर सहमति बन गई है. बिहार में कुल 40 लोकसभा सीटें हैं. वहीं सूत्रों का कहना है कि, ''बची हुई 6 सीटों को चिराग पासवान, पशुपति पारस, उपेंद्र कुशवाहा और जीतन राम मांझी के बीच बांटा जाएगा. 

आपको बता दें कि इन पार्टियों को लुभाने के लिए कुछ राज्यसभा सीटें भी ऑफर की जा सकती हैं. वहीं बिहार में 2019 में जेडीयू और बीजेपी ने 17-17 सीटों पर अपने उम्मीदवार उतारे थे, जबकि राम विलास पासवान की पार्टी एलजेपी को 6 सीटें मिली थीं. बता दें कि पासवान बीजेपी कोटा से राज्यसभा भेजे गए थे. हालांकि, इस बार समीकरण बदल गए हैं, एक तरफ एनडीए में जीतन राम मांझी और उपेंद्र कुशवाहा नए आए हैं तो दूसरी तरफ एलजेपी दो गुटों में बंट गई है.

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2019 में ऐसे हुआ था सीटों का बंटवारा

आपको बता दें कि 2019 के चुनाव में बीजेपी ने पटना साहिब, बेगूसराय, पाटलीपुत्रा, आरा, बक्सर, औरंगाबाद, पूर्वी चंपारण, पश्चिमी चंपारण, मधुबनी, दरभंगा, अररिया, मुजफ्फरपुर, शिवहर, महाराजगंज, सारण, उजियारपुर और सासाराम सीट पर अपने उम्मीदवार उतारे थे. वहीं समझौते के तहत जेडीयू को नालंदा, जहानाबाद, काराकाट, सीवान, गोपालगंज, मुंगेर, बांका, पूर्णिया, मधेपुरा, कटिहार, किशनगंज, सुपौल, झंझारपुर, सीतामढ़ी, वाल्मीकिनगर, भागलपुर और गया जैसी सीटें मिली थीं.

आपको बता दें कि वहीं लोजपा के खाते में हाजीपुर, वैशाली, जमुई, समस्तीपुर, नवादा और खगड़िया जैसी सीटें दी गई थीं, जिसमें किशनगंज को छोड़कर सभी सीटों पर एनडीए ने जीत हासिल की थी. बता दें कि एनडीए का मुकाबला करने के लिए कांग्रेस और राजद ने 5 दलों का गठबंधन बनाया था. समझौते के तहत राजद 19, कांग्रेस 9, रालोसपा 5, हम और वीआईपी 3-3 सीटों पर चुनाव लड़े.

इन 3 प्वाइंट में समझें इस बार कैसे हुआ सीटों का बंटवारा

  • सीट अदला-बदली करने की तैयारी में JDU
  • सीतामढ़ी सीट पर 4 पार्टियों ने की दावेदारी
  • बीजेपी सहयोगियों को नहीं देगी शहरी सीट

सीट अदला-बदली करने की तैयारी में JDU

आपको बता दें कि सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक, जनता दल यूनाइटेड को 2019 के लिए सीटों पर हरी झंडी मिल गई है, लेकिन पार्टी कुछ सीटों पर बदलाव की तैयारी में है. वहीं जेडीयू की नजर इस बार शिवहर, खगड़िया और समस्तीपुर जैसी सीटों पर है. इसके अलावा शिवहर सीट फिलहाल बीजेपी के खाते में है जबकि खगड़िया और समस्तीपुर सीट एलजेपी के पास है. वहीं जेडीयू की दलील है कि 2020 के विधानसभा चुनाव में तमाम साजिशों के बावजूद इन जगहों पर पार्टी का प्रदर्शन अच्छा रहा और जेडीयू इन सीटों के बदले किशनगंज, बांका और गया जैसी सीटें छोड़ने को तैयार है.

सीतामढ़ी सीट पर 4 पार्टियों ने की दावेदारी

आपको बता दें कि सीतामढ़ी बिहार की एकमात्र सीट है, जिस पर 4 पार्टियां मिलकर दावा कर रही हैं. यह सीट फिलहाल जेडीयू के पास है और सुनील कुमार पिंटू यहां से सांसद हैं. बता दें कि पिंटू पहले भारतीय जनता पार्टी में रह चुके हैं. वहीं यहां से जेडीयू, बीजेपी के अलावा चिराग पासवान की एलजेपी और उपेंद्र कुशवाह की आरएलजेडी चुनाव लड़ रही है. इस सीट के लिए कुशवाहा और चिराग ने प्रभारी भी नियुक्त कर दिए हैं. बता दें कि 2014 में इस सीट से उपेंद्र कुशवाहा के उम्मीदवार ने जीत हासिल की थी. वहीं नए समीकरण के तहत चिराग इस सीट को अपनी झोली में डालना चाहते हैं. इसके साथ ही सीतामढ़ी की तरह जहानाबाद सीट पर भी तीन पार्टियों का दावा है. जहानाबाद सीट फिलहाल जेडीयू के कब्जे में है, लेकिन यहां से उपेंद्र कुशवाहा और चिराग पासवान भी चुनाव लड़ रहे हैं.

'सहयोगियों को नहीं देगी शहरी सीट' - बीजेपी
 
वहीं आपको बता दें कि सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक,पिछली बार की तरह इस बार भी भारतीय जनता पार्टी शहरी सीटों पर खुद चुनाव लड़ेगी. पार्टी शहरी सीटें सहयोगी दलों को नहीं देगी, मसलन, पटना और चंपारण की दोनों सीटों के साथ-साथ दरभंगा, मुजफ्फरपुर, मधुबनी और सारण सीटों पर कोई समझौता नहीं किया जाएगा. 2014 से बीजेपी इन सीटों पर अकेले चुनाव लड़ रही है. वहीं  2019 और 2014 के चुनाव में बीजेपी ने उत्तर भारत की शहरी सीटों पर एकतरफा जीत हासिल की थी. इस बार भी पार्टी इन शहरी सीटों को सुरक्षित सीट मान रही है, इसलिए बीजेपी इन सीटों को अपने सहयोगियों को देकर जोखिम नहीं उठाना चाहती.

ब्लॉक स्तर पर समन्वय समिति बनाने की रणनीति

आपको बता दें कि लोकसभा चुनाव में एनडीए नेता मिशन 40 पर काम करना शुरू कर चुके हैं. जल्द ही ब्लॉक स्तर पर समन्वय समिति बनाने की रणनीति है. इस समन्वय समिति में सभी दलों के प्रखंड अध्यक्ष शामिल होंगे. ऐसी ही एक कमेटी जिला स्तर पर भी बनाने की तैयारी है. वहीं कॉर्डिनेशन कमेटी ही बूथ प्रबंधन और सभी नेताओं को चुनाव में सक्रिय रखने का काम करेगी. बता दें कि इसको लेकर सूत्रों का कहना है कि, ''12 फरवरी के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और मुख्यमंत्री नीतीश कुमार एक साथ मंच साझा कर सकते हैं. इस मंच से सभी नेता कार्यकर्ताओं को एकजुटता का संदेश देंगे.''