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शरद यादव: BJP के कारण अपनी ही पार्टी JDU से बनाई दूरी, RJD से जोड़ा था नाता

अंतिम दिनों में  बिहार के सीएम नीतीश कुमार के साथ राजनीतिक मनमुटाव के की वजह से शरद यादव ने 2018 में जेडीयू से बगावत कर लोकतांत्रिक जनता दल नाम से अपनी पार्टी का गठन किया था लेकिन बाद में इसका विलय आरजेडी में उन्होंने कर दिया.

Updated on: 13 Jan 2023, 10:25 AM

highlights

  • अपनी ही पार्टी JDU से शरद यादव ने बनाई दूरी
  • आरजेडी में अपनी नई पार्टी का किया विलय
  • नीतीश कुमार से मतभेद के चलते छोड़नी पड़ी थी जेडीयू

Patna:

दिल्ली के लुटियंस जोन में लगभग 50 वर्ष बिताने के बात 31 मई 2022 को लगभग 22 साल बाद एक सरकारी आवास का पता बदलता है. पता था 7, तुगलक रोड, नई दिल्ली. जी हां! ये वही पता हैं जहां पर 22 साल तक शरद यादव ने अपने जीवन के बिताए थे. दिल्ली हाईकोर्ट के आदेश पर उन्हें ये बंगला खाली करना पड़ा था. शरद यादव ने  सरकारी आवास को घर छोड़ते वक्त कहा कि इस घर से कई लड़ाइयां लड़ी गई हैं. यहां पर कई सारी यादें जुड़ी हैं. दरअसल, जेडीयू में अंदरूनी विवाद और मतभेद के बाद दिसंबर 2017 में शरद यादव को राज्यसभा की सदस्यता से अयोग्य घोषित कर दिया गया था. 

शरद यादव को वर्ष 1997 में जेडीयू का राष्ट्रीय अध्यक्ष चुना गया था. 1998 में जॉर्ज फर्नांडीस के साथ मिलकर शरद यादव ने जेडीयू की स्थापना की थी. हालांकि जेडीयू 30 अक्टूबर 2003 में आस्तित्व में आई थी. उस समय बिहार के मौजूदा सीएम नीतीश कुमार ने अपनी समता पार्टी का विलय जेडीयू में कर लिया था. सिर्फ नीतीश ने ही नहीं बल्कि रामकृष्ण हेगड़े की लोक शक्ति का भी विलय जेडीयू में हो गया था. 2003 से लेकर 2016 तक शरद यादव जेडीयू के राष्ट्रीय अध्यक्ष बने रहे. हालांकि, अंतिम दिनों में  बिहार के सीएम नीतीश कुमार के साथ राजनीतिक मनमुटाव के की वजह से शरद यादव ने 2018 में जेडीयू से बगावत कर लोकतांत्रिक जनता दल नाम से अपनी पार्टी का गठन किया था लेकिन बाद में इसका विलय आरजेडी में उन्होंने कर दिया.

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शरद यादव ने क्यों छोड़ी पार्टी

शरद यादव जेडीयू के 3 साल तक राष्ट्रीय अध्यक्ष रहे, लेकिन नीतीश कुमार के बढ़ते कद की वजह से उन्हें 2016 में पार्टी के अध्यक्ष पद से हटना पड़ा और नीतीश कुमार खुज पार्टी के अध्यक्ष बन गए और यही से शुरू हुआ शरद यादव और नीतीश कुमार के बीच मनमुटाव. 

दोनों के बीच का मनमुटाव 2017 में पूरी तरह सामने आ चुका था. राज्य में जेडीयू-आरजेडी की सरकार थी और  26 जुलाई 2017 को  नीतीश कुमार ने बिहार के सीएम पद से अचानक इस्तीफा दे दिया. डिप्टी सीएम तेजस्वी यादव की भ्रष्टाचार के मामले में इस्तीफे की मांग की जा रही थी. सीएम नीतीश ने उस समय कहा था कि ऐसे माहौल में काम नहीं किया जा सकता. नीतीश कुमार ने बीजेपी के समर्थन से 27 जुलाई 2017 को फिर से सरकार बनाई और फिर से सीएम बने.

बीजेपी के साथ नीतीश कुमार का फिर से चले जाना शरद यादव को अच्छा नहीं लगा और उन्होंने सीएम नीतीश कुमार के खिलाफ मोर्चा खोल दिया. इसका खामियाना उन्हों चुकाना पड़ा और जेडीयू से उन्हें बाहर होना पड़. जेडीयू से अलग होने के बाद एक बार फिर से सियासत की नई पारी खेलने के लिए शरद यादव ने  लोकतांत्रिक जनता दल पार्टी बनाई लेकिन एक साल बाद ही अपनी नई पार्टी का आरजेडी में विलय कर दिया. शरद यादव अपने जीवन के अंतिम दिनों तक आरजेडी में बने रहे.