विराट कोहली क्यों पहनते हैं सफेद जूते, खोल दिया बड़ा राज
क्रिकेट खिलाड़ियों के लिए खेल बहुत खास होता है और उससे भी खास होता है उनका फार्म. खिलाड़ी चाहे कितना भी बड़ा हो, अगर वो अपना फार्म खो देता है तो मुश्किलें आती हैं. इसके साथ ही खिलाड़ी कुछ ऐसे काम भी करते हैं, जिसे अंधविश्वास कहा जाता है.
नई दिल्ली :
Virat Kohli superstitions : क्रिकेट खिलाड़ियों के लिए खेल बहुत खास होता है और उससे भी खास होता है उनका फार्म. खिलाड़ी चाहे कितना भी बड़ा हो, अगर वो अपना फार्म खो देता है तो मुश्किलें आती हैं. इसके साथ ही खिलाड़ी कुछ ऐसे काम भी करते हैं, जिसे अंधविश्वास की श्रेणी में रखा जाता है. क्रिकेट ही नहीं बाकी खेलों की दुनिया में भी खिलाड़ी कई ऐसे जो अजीबो गरीब लगते हैं, लेकिन खिलाड़ी इसे मानते हैं, चाहे उसे अंधविश्वास कह लीजिए या फिर लकी फैक्टर, लेकिन कुछ न कुछ तो होता ही है.
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भारतीय टीम के कप्तान विराट कोहली भी अंधविश्वास में विश्वास रखते हैं. विराट कोहली ने इंग्लिश फुटबाल कल्ब मैनचेस्टर सिटी के कोच पेप गुआर्डियोला से इंस्टाग्राम लाइव पर बात करते हुए कहा कि मुझे सफेद जूतों में खेलना पसंद है, खासकर बल्लेबाजी के वक्त. यह मेरे लिए अंधविश्वास सा है. 2008 में अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पदार्पण करने वाले विराट कोहली ने कहा कि जब मैं बल्लेबाजी करता हूं तो यह मेरी जोन होती है. यह वो समय है जो मेरे काफी करीब होता है.
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विराट कोहली ने गुआर्डियोला से उनके खेल के दिनों में जूते बदलने के बारे में पूछा. इस पर उन्होंने कहा कि जब मैं खेला करता था तभी जूते काले रंग के हुआ करते थे. अब काले जूते ढ़ूंढ़ना मुश्किल है. एक दिन जब मैं लाल रंग के जूते पहने थे तो सर्वश्रेष्ठ मैनेजर जॉन क्रायफ ने देखा और मुझसे जूतों को बदल काले रंग के जूते पहनने को कहा.
गुआर्डियोला ने बताया कि कोविड-19 के कारण बिना दर्शकों के खेले जा रहे मैच दोस्ताना मैच की तरह हैं. उन्होंने कहा कि लोगों के बिना यह पहले जैसा नहीं है. यह दोस्ताना मैचों की तरह हैं. हमें मैच खेलने चाहिए. चीजें रुकनी नहीं चाहिए. हम चाहते हैं जब सब कुछ सुरक्षित हो जाए तो प्रशंसक स्टेडियम में वापस लौटें. उन्होंने कहा कि उनके बिना यह काफी अलग लगता है. हमें प्रशंसकों की कमी खलती है. बिना दर्शकों के खाली स्टेडियम में खेलना अजीब सा है.
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