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MP Polls 2023: मध्य प्रदेश फतह के लिए क्यों जरूरी है महाकौशल, दिग्गज भी यहीं से कर रहे अभियान का आगाज

MP Assembly Election 2023: मध्य प्रदेश की जंग जीतने लिए जरूरी है महाकौशल पर कब्जा, जानिए इससे जुड़े सारे समीकरण

Updated on: 22 Jun 2023, 03:18 PM

highlights

  • मध्य प्रदेश विधानसभा चुनाव से पहले महाकौशल में जुट रहे दिग्गज
  • एमपी फतह करने के लिए जरूरी महाकौशल पर कब्जा
  • पीएम मोदी से लेकर अमित शाह और प्रियंका गांधी भी यहीं कर रहे अभियान का आगाज

New Delhi:

MP Assembly Election 2023: देश के दिल कहे जाने वाले मध्य प्रदेश में इस वर्ष के अंत में विधानसभा चुनाव होना है. लिहाजा राजनीतिक दलों की नजर इस राज्य पर सीधे बनी हुई है. फिलहाल यहां भारतीय जनता पार्टी (BJP) मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान (CM Shivraj Singh Chouhan) के चेहरे पर काम कर रही है. लेकिन पिछले चुनाव के नतीजों में जनता से शिवराज को नकार दिया था. यही वजह है कि बीजेपी और कांग्रेस दोनों ही दलों के लिए ये चुनाव नाक का सवाल है. बीते चुनाव में कांग्रेस (Congress) सत्ता पर काबिज होने में कामयाबी तो हासिल कर ली, लेकिन इसे ज्यादा दिन तक चला नहीं पाई. ज्योतिरादित्य सिंधिया से पुराने और दिग्गज नेता ने पार्टी का हाथ छोड़ कमल का दामन थाम लिया. लिहाजा कमलनाथ की सरकार ओंधे मुंह आ गिरी और एक बार फिर शिवराज सिंह चौहान को प्रदेश की कमान मिल गई. लेकिन इस बार बीजेपी किसी भी तरह की कसर छोड़ने की मूड में नहीं. 

यही वजह कि जीत सुनिश्चित करने के लिए बीजेपी और कांग्रेस दोनों ही Madhya Pradesh की नब्ज को टटोलने में जुटे हैं और ये नब्ज है महाकौशल. आइए जानते हैं कि आखिर मध्य प्रदेश को फतह करना है तो महाकौशल क्यों जरूरी है. दिग्गजों को भी यहां से ही चुनाव के आगाज और जीत का फॉर्मूला दिखाई दे रहा है क्या?

क्या है महाकौशल का गणित?
मध्य प्रदेश में जीत का रास्ता महाकौशल से ही होकर गुजरता है. क्योंकि यहां से ना सिर्फ सीटें बल्कि जातीगत समीकरणों को साधना भी आसान हो जाता है. इसी कारण से राजनीतिक दलों ने महाकौशल को कभी हल्के में नहीं लिया है. चूंकी ये विधानसभा चुनाव आगामी लोकसभा चुनाव का सेमीफाइनल माना जा रहा है ऐसे में दलों के लिए दम लगाना और भी ज्यादा जरूरी है. 

इन हिस्सों के कवर करता है महाकौशल
मध्य प्रदेश को भौगोलिक दृष्टि से देखें तो ये महाकौशल, मालवा, निमाड़, बुंदेलखंड, ग्वालियर-चंबल जैसे हिस्सों में बंटा हुआ है. इनमें से महाकौशल एक महत्वपूर्ण हिस्सा है भौगोलिक भी और राजनीतिक दृष्टि से भी. ये विंध्य पर्वत श्रृंखला की उत्तरी सीमा से घिरा हुआ है. इनमें मुख्य रूप से प्रदेश के बड़े शहरों में से एक जबलपुर को गिना जाता है. इसके अलावा इस जोन में कटनी, शिवपुरी, छिंदवाड़ा(कमलनाथ का गढ़), नरसिंहपुर, बालाघाट, मंडला, डिंडोरी प्रमुख रूप से शामिल हैं. नर्मदा नदी इस पूरे जोन से होकर गुजरती है और मध्य प्रदेश में नर्मदा का स्थान गंगा से कम नहीं है. यहां कोई राजनीतिक दल हो नर्मदा के आशीर्वाद से ही फलता फूलता है. 

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किंगमेकर कहना गलत नहीं
महाकौशल की बात करें तो इस जोन में एक संभाल है, जबकि इस संभाग के अंतर्गत कुल 8 जिले आते हैं. इन जिलों में करीब 40 विधानसभा सीटें हैं जो किसी भी दल के लिए बड़ा नंबर है. यहां से जातियों को साधने के साथ-साथ सीटों पर कब्जा जमाना भी आसान होता है. कमलनाथ ने इसी गढ़ से अपनी जीत को सुनिश्चित किया था. यही वजह है कि बीजेपी की नजरें भी इसी जोन पर गढ़ी हुई हैं. ऐसे में महाकौशल को किंगमेकर कहना गलत नहीं होगा. 

महाकौशल में इन बोलियों का चलन
महाकौशल में भाषा या फिर बोलियों की बात की जाए तो यहां पर सबसे ज्यादा खड़ी बोली की चलन में हैं. इसे गोंडी कहा जाता है. इसके अलावा इस अंचल का कुछ हिस्सा महाराष्ट्र से भी सटा हुआ है इसका असर भी यहां रिती रिवाजों के साथ-साथ भाषा में दिखाई देता है. मराठी यहां की दूसरी बड़ी भाषा कही जा सकती है. 

आदिवासियों सभ्यता की झलक
महाकौशल में ज्यादातर हिस्सा जंगलों से घिरा हुआ है. यही वजह है कि इस अंचल में प्रमुख रूप से आदिवासी सभ्यता देखने को मिलती है. आदिवासी ही महाकौशल में वोटों को भी नियंत्रित करते हैं. इनके वोट जिस दल की झोली में जाते हैं उसकी जीत लगभग तय मानी जाती है. ऐसे में हर दल आदिवासियों को लुभाने के लिए बड़े-बड़े वादे और दावे भी चुनाव से पहले जरूर करते हैं. 

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सीटों का गणित
महाकौशल में को लेकर जैसे पहले ही चर्चा कर चुके हैं यहां एक जोन में एक संभाग के तहत कुल 8 जिले शामिल हैं. इन आठ जिलों को बांटा जाए तो इनमें जबलपुर, छिंदवाड़ा, कटनी, बालाघाट, नहरसिंह पुर, सिवनी, मंडला और डिंडोरी शामिल हैं. 

संख्या जिला सीट
1. जबलपुर 08 (जबलपुर पूर्व, उत्तर, कैंट, पश्चिम, बरगी, पाटन, सीहोरा और पनागर)
2. छिंदवाड़ा     07 (परासिया, जुनारदेव, अमरवाड़ा, सौंसर, पांढुर्णा, चौरई और छिंदवाड़ा ) 
3. बालाघाट   06 (बालाघाट, परसवाड़ा, लांजी, बारासिवनी, कटंगी और बैहर) 
4. कटनी 04  (बहोरीबंद, बड़वारा, विजयराघवगढ़ और मुड़वारा)
5. सिवनी 04 (लखनादौन, सिवनी, केवलारी और बरघाट)
6. नरसिंहपुर 04 (तेंदूखेड़ा, गाडरवाड़ा, गोटेगांव और नरसिंहपुर)
7. मंडला   03 (मंडला, बिछिया और निवास) 
8. डिंडौरी 02 (डिंडौरी और शाहपुरा)

   

दिग्गज यहीं से लगा रहे दम
अब तक महाकौशल की एहमियत आप समझ गए होंगे. अब भी नहीं समझें तो इस बात ये अंदाजा लगा सकते हैं कि चुनाव से पहले राजनीतिक दल अपने-अपने अभियानों की शुरुआत इसी जोन से कर रहे हैं. सबसे पहले कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा ने जून में ही जबलपुर पहुंचकर मां नर्मदा की पूजा और आरती के साथ चुनावी अभियान का आगाज किया. इसके बाद केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह बालाघाट पहुंचे और गौरव यात्रा की शुरुआत की. इसके बाद खुद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 27 जून को यहां दो वंदेभारत को हरी झंडी दिखाकर चुनावी शंखनाद बजा देंगे.