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Kargil Vijay Diwas: भारतीय सेना के युद्धघोष से कांप गया था दुश्मन का कलेजा, वीरों ने लिखी पराक्रम की दास्तां

कारगिल की जंग आज से 24 साल पहले मई 1999 में शुरू हुई थी। इस युद्ध में भारत की जीत हुई थी।

Updated on: 25 Jul 2023, 05:15 PM

highlights

  • भारतीय सेना ने पाकिस्तान के मंसूबों पर फेरा पानी
  • बोफोर्स गन ने पलट दी बाजी
  • कारगिल की चोटियों पर फहराया तिरंगा

नई दिल्ली:

Kargil Vijay Diwas 2023: 24 साल पहले जय महाकाली, आयो गोरखाली, राजा रामचंद्र की जय, दुर्गा माता की जय जैसे युद्धघोष से कारगिल की पहाड़ियां ही नहीं बल्कि दुश्मनों के पैरों के नीचे की जमीन भी हिल गई थी। कारगिल (Kargil) की जंग पड़ोसी देश की नापाक हरकत का नतीजा थी। इस जंग में देश के वीर जवानों ने अपने शौर्य और साहस का वो परिचय दिया जिसे भारत ही नहीं बल्कि दुनिया में अदम्य साहस के रूप में देखा जाता है। चो चलिए इस रिपोर्ट के जरिए हम आपका परिचय भारतीय सेना के शौर्य और पराक्रम से करवाते हैं।  

पड़ोसी ने दिया धोखा

कारगिल में दुश्मन पहाड़ की चोटियों पर जमा बैठा था और भरतीय फौज की हर मूवमेंट पर उसकी नजर थी। दुनिया की आंख में धूल झोंकने के लिए पाकिस्तान (Pakistan) ने अपनी फौज के सिपाहियों को घुसपैठियों का नाम दिया। दुश्मन कारगिल की बर्फीली चोटियों पर उस वक्त भी जमा रहा जब भारतीय फौज समझौते के मुताबिक अपनी बैरकों में लौट चुकी थी। तमाम मुश्किलों के बाद भी भारत के वीर सपूतों ने दुश्मनों के मंसूबों को ध्वस्त कर दिया और चोटियों पर फिर तिरंग फहराया। 

भारतीय वीरों ने दिया मुंहतोड़ जवाब

कारगिल की जंग आज से 24 साल पहले मई 1999 में शुरू हुई थी। इस युद्ध में भारत की जीत हुई थी। हाड़ जमा देने वाली बर्फीली चोटियों में भारत के शूरवीरों पाकिस्तान को मुंहतोड़ जवाब दिया था। लड़ाई 26 जुलाई को खत्म हुई थी और इसी जीत को याद करते हुए हर साल 26 जुलाई को 'विजय दिवस' के तौर पर मनाया जाता है। इस दिन कारगिल की जंग में अपने प्राणों की आहुति देने वाले मां भारती के वीर सपूतों के शौर्य और बलिदान को याद किया जाता है। 

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शुरू हुआ  'ऑपरेशन विजय'

ये जंग तब शुरू हुई थी जब साल 1998 की सर्दियों में पाकिस्तानी सेना घुसपैठियों का नकाब ओढ़कर भारत के इलाकों पर काबिज हो जाती है। भारत को जब पाकिस्तानियों के नापाक मनसूबों की भनक लगती है, तो उन्हें करारा जवाब देने के लिए 'ऑपरेशन विजय' शुरू किया जाता है। इस जंग में भारत वीर सपूतों ने वो वीरगाथा लिख दी देश के लिए आखिरी सांस तक लड़े। 18 हजार फीट की ऊंचाई पर कारगिल की ये जंग करीब 2 महीने तक चली। इस युद्ध में मां भारती के 527 रणबांकुरों ने शहादत दी। 1300 से ज्यादा भारतीय जवान इस लड़ाई में घायल हुए। वहीं, पाकिस्तान के लगभग 1000 से 1200 सैनिकों की मौत हुई। 

पाकिस्तान ने की थी घुसपैठ

घुसपैठियों की शक्ल में पाकिस्तानी सेना के जवान करीब 6 महीने पहले से ही पूरी तैयारी का साथ कारगिल की चोटियों पर कब्जा जमाए बैठे थे। पाकिस्तानियों ने बंकर तक बना लिए थे और हैवी आर्म से लैस थे। भारतीय सेना को इस बारे में भनक तक नहीं लगी थी। इस बीच भारतीय चरवाहों ने पहाड़ियों पर हलचल देखी और इसकी सूचना भारतीय सेना को दी। इसके बाद भारत ने पेट्रोलिंग यूनिट भेजी जिसके बाद पाकिस्तान के नापाक इरादों की पोल खुल गई।

ये था दुश्मन का मकसद

दरअसल, पाकिस्तान चाहता था कि वो लद्दाख की ओर जाने वाली भारतीय रसद पर रोक लगा दे जिससे भारत को मजबूरन सियाचिन छोड़ना पड़े। पाकिस्तान ने इसी को ध्यान में रखते हुए कारगिल की चोटियों पर कब्जा करना चाहा था लेकिन भारतीय जवानों के पराक्रम के सामने उसकी एक ना चली। यहां ये भी बता दें कि शुरुआत में कारगिल की जंग भारत के लिए मुश्किल साबित हो रही थी, लेकिन बोफोर्स तोफ और भारतीय वायुसेना ने पूरी तस्वीर ही बदल दी। बोफोर्स तोपों की गर्जना और सटीक निशानों ने कई पाकिस्तानी बंकरों के पूरी तरह तबाह कर दिया था। हालात ये हो गए थे ऊंचाई पर काबिज होने के बाद भी पाकिस्तानी सैनिकों की एक नहीं चल पा रही थी। 

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भारत ने खुद को किया मजबूत

कारगिल की लड़ाई के बाद भारत ने कई सबक सीखे। इसी के बाद से सीमा पर सुरक्षा बढ़ाने को लेकर पुख्ता इंतजाम किए गए। पाकिस्तान से लगी सीमा पर निगरानी व्यवस्था को लगातार मजबूत किया जा रहा है। गलतियों से सबक लेकर जहां भारत लगातार सुधार के क्रम को मजबूत कर रहा है वहीं पाकिस्तान आज किस हाल में है ये जगजाहिर है।