Maharashtra Assembly Election: इंदिरा गांधी के देशभक्त वीर सावरकर से चिढ़ती क्यों हैं कांग्रेस
महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव 2019 (Maharashtra Assembly Election 2019) के लिए जारी बीजेपी के संकल्प पत्र में विनायक दामोदर सावरकर (Savarkar) को भारत रत्न देने के वादे ने सियासत को गर्म कर दिया है.
नई दिल्ली:
महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव 2019 (Maharashtra Assembly Election 2019) के लिए जारी बीजेपी के संकल्प पत्र में विनायक दामोदर सावरकर (Savarkar) को भारत रत्न देने के वादे ने सियासत को गर्म कर दिया है. इस पर कांग्रेस के वरिष्ठ नेता मनीष तिवारी ने तीखी प्रतिक्रिया दी. उन्होंने कहा कि गांधी की हत्या के लिए सावरकर (Savarkar) को आपराधिक मुकदमे का सामना करना पड़ा. कपूर आयोग ने भी जांच की थी. हाल ही में एक लेख में यह दावा किया गया था कि आयोग ने सावरकर (Savarkar) को जिम्मेदार माना था. अब इस देश को भगवान ही बचाए. बता दें वर्ष 2000 में वाजपेयी सरकार ने तत्कालीन राष्ट्पति केआर नारायणन के पास सावरकर (Savarkar) को भारत का सर्वोच्च नागरिक सम्मान 'भारत रत्न' देने का प्रस्ताव भेजा था, लेकिन उन्होंने उसे स्वीकार नहीं किया था.
मनीष तिवारी से पहले मणिशंकर अय्यर, राहुल गांधी, दिग्विजय सिंह, भूपेश बघेल जैसे कांग्रेस के नेता वीर सावरकर (Savarkar) को लेकर विवादित बयान दे चुके हैं. लेकिन इंदिरा गांधी की नजरों में सावरकर (Savarkar) एक देशभक्त थे. 1970 में जब इंदिरा गांधी प्रधानमंत्री थीं, तब उन्होंने वीर सावरकर (Savarkar) के नाम पर डाक टिकट जारी करते हुए उन्हें देश के लिए अपना बलिदान करने वाला और देशभक्त कहा था.
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यही कांग्रेस एक समय उन्हें न सिर्फ महान क्रांतिकारी कह चुकी है बल्कि उनके नाम पर डाक टिकट भी जारी कर चुकी है. 1966 में इंदिरा गांधी ने सावरकर (Savarkar) के बलिदान, देशभक्ति और साहस को सलाम किया था. 1970 में इंदिरा सरकार ने सावरकर (Savarkar) के सम्मान में डाक टिकट जारी किया था. तब सावरकर (Savarkar) का गुणगान करने वाली कांग्रेस आज उनका अपमान कर रही है.
भूपेश बघेल का विवादित बयान
इसी साल छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने सावरकर (Savarkar) की जयंती से ठीक एक दिन पहले कहा था कि सावरकर (Savarkar) ने सबसे पहले दो राष्ट्र का सिद्धांत दिया, जिसे बाद में मोहम्मद अली जिन्ना ने अपनाया. भूपेश बघेल ने कहा कि हिंदू महासभा के नेता विनायक दामोदर सावरकर (Savarkar) ने धर्म आधारित हिंदू और मुस्लिम राष्ट्र की कल्पना की थी. बीजारोपण सावरकर (Savarkar) ने किया था और उसे पूरा करने का काम जिन्ना ने किया. बघेल ने कहा कि सावरकर (Savarkar) ने देश की आजादी के लड़ाई लड़ी, लेकिन जेल जाने के बाद माफी के लिए अंग्रेजों को दर्जनों पत्र लिखे. जेल से छूटने के बाद वे आजादी के आंदोलन में शामिल नहीं हुए.
दिग्विजय सिंह के निशाने पर सावरकर
सावरकर (Savarkar) को जब-तब निशाने पर लेने वाले दिग्विजय सिंह ने कुछ साल पहले कह चुके हैं कि सावरकर (Savarkar) कहते थे बलात्कार का इस्तेमाल राजनीतिक हथियार के रूप में होना चाहिए. भाजपाइयों में उन्हीं के संस्कार हैं.
मणिशंकर अय्यर ने किया अपमान
साल 2004 में भी मणिशंकर अय्यर ने सावरकर (Savarkar) का अपमान किया था. उस समय कांग्रेस सरकार ने अंडमान की सेल्युलर जेल में लगे वीर सावरकर (Savarkar) के बयान वाली तख्तियां हटा दी थीं. तब तत्कालीन शिवसेना प्रमुख बाल ठाकरे ने 'जूते मारो अभियान' चलाया था.
2018 में एक बार फिर मणिशंकर अय्यर के वीर सावरकर (Savarkar) पर दिए एक बयान पर काफी बवाल हुआ था. उस वक्त मणिशंकर अय्यर ने सावरकर (Savarkar) के बारे में कहा था कि- 1923 में एक शख्स ने (जिसे वीडी सावरकर (Savarkar) कहते थे) ऐसे शब्द की खोज की जो किसी भी धार्मिक ग्रंथ में मौजूद नहीं है- 'हिन्दुत्व'. इस प्रकार से दो देशों के सिद्धांत का पहला समर्थक, उनका वैचारिक गुरु है जो इस समय भारत में सत्ता में हैं. अय्यर ने ये बातें लाहौर में एक कार्यक्रम में कही थीं.
कौन थे सावरकर (Savarkar)
महाराष्ट्र में नासिक के पास भागुर गांव में 28 मई 1883 के दिन वीर सावरकर (Savarkar) जन्म हुआ. उनके पिता का नाम दामोदार पंत सावरकर (Savarkar) और माता का नाम राधाबई था. सावरकर (Savarkar) भारतीय स्वतंत्रता आन्दोलन के अग्रिम पंक्ति के सेनानी थे. हिन्दू राष्ट्र की राजनीतिक विचारधारा (हिन्दुत्व) को विकसित करने का श्रेय सावरकर (Savarkar) को जाता है. उन्होंने 1857 के प्रथम स्वतंत्रता संग्राम का सनसनीखेज व खोजपूर्ण इतिहास लिखकर ब्रिटिश शासन को हिला कर रख दिया था. उनकी मृत्यु 26 फरवरी 1966 में हो गई.
काला पानी की सजा
नासिक जिले के कलेक्टर जैकसन की हत्या के लिए नासिक षड्यंत्र कांड के आरोप में सावरकार को 7 अप्रैल, 1911 को काला पानी की सजा सुनाते हुए अंडमान द्वीप के सेल्युलर जेल भेज दिया गया. सावरकर (Savarkar) 4 जुलाई, 1911 से 21 मई, 1921 तक पोर्ट ब्लेयर की जेल में रहे. दस वर्षों तक सावरकर (Savarkar) इस काल कोठरी में एकाकी कैद की सजा भोगते रहे.
गांधी की हत्या का आरोप
साल 1948 में महात्मा गांधी की हत्या के छठवें दिन विनायक दामोदर सावरकर (Savarkar) को गाँधी की हत्या के षड्यंत्र में शामिल होने के लिए मुंबई से गिरफ़्तार कर लिया गया था. हांलाकि उन्हें फ़रवरी 1949 में बरी कर दिया गया था.
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