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इमरान खान और पाक सेना के लिए नासूर बनीं गुलालई, खोल रही हर जुल्म की पोल

इस्माइल ने बताया कि पाकिस्तान में आतंकवाद फैलाने के नाम पर मासूम पश्तूनों (Pashtuns) की हत्या की जा रही है. हजारों लोगों को बंधक बनाकर रखा गया है.

Updated on: 28 Sep 2019, 04:21 PM

highlights

  • अमेरिका में शरण प्राप्त 32 साल की गुलालई अपनी बहन के साथ ब्रुकलिन में रह रही हैं.
  • पाकिस्तान में अल्पसंख्यकों पर हो रहे अत्याचारों को दुनिया के सामने लाईं गुलालई.
  • पाकिस्तान सेना और आईएसआई गुलालई को मानता है एक बड़ा खतरा.

नई दिल्ली:

अमेरिका (America) में राजनीतिक शरण (Political Asylum) प्राप्त पाकिस्तान की महिला मानवाधिकार कार्यकर्ता गुलालई इस्माइल (Gulalai Ismail) पाकिस्तान के अल्पसंख्यक तबके से ताल्लुक रखने वाली महिलाओं के लिए आशा की किरण बनी हुई हैं. संयुक्त राष्ट्र (UNGA) में शुक्रवार को जिस समय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (PM Narendra Modi) संयुक्त राष्ट्र महासभा के अधिवेशन को संबोधित कर रहे थे, उस वक्त बलूच के बाशिंदे यूएनजीए के ऑफिस के बाहर अपने ऊपर हो रहे अत्याचारों को लेकर प्रदर्शन कर रहे थे. प्रदर्शनकारियों में बलूच और मुहाजिर शामिल थे और प्रदर्शन में इनका साथ दे रहे थे कश्मीरी पंडित. यहां भी गुलालई इस्माइल की आवाज अलग से सुनी जा सकती थी.

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बलूचों का दमन कर रही पाकिस्तान सेना
जम्मू-कश्मीर (Jammu Kashmir) में मुसलमानों के मानवाधिकारों की बात करने वाला पाकिस्तान अपने सबसे बड़े और प्राकृतिक संसाधनों से संपन्न सूबे बलूचिस्तान (Balochistan) के स्थानीय लोगों का लंबे समय से दमन करता आ रहा है. बलूच बिरादरी के कद्दावर नेताओं ने कई बार भारत और अमेरिका समेत संयुक्त राष्ट्र से पाकिस्तान के अत्याचारों (Pakistan Atrocities) से मुक्ति दिलाने की गुहार लगाई है. बलूच लोग पाकिस्तान से आजादी चाहते हैं. इसके पहले पाकिस्तान के समाजिक कार्यकर्ता गुलालई इस्माइल ने भी पाकिस्तान सरकार औऱ आईएसआई पर तमाम गंभीर आरोप लगाए थे.

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गुलालई इस्माइल बनी अल्पसंख्यकों की आवाज
मूल रूप से पाकिस्तान के खैबर पख्तूख्वा प्रांत की रहने वाली गुलालई इस्माइल पश्तून समुदाय से ताल्लुक रखती हैं. वह उच्च शिक्षित हैं और लंबे समय से सामाजिक कार्यकर्ता (Social Activist) की भूमिका निभा रही हैं. वह पाकिस्तानी सेना और आईएसआई (ISI) के जुल्म-ओ-सितम के खिलाफ आवाज उठाती रही हैं. कई विदेशी अखबारों में उनके लेख प्रकाशित होते हैं. उनका एक बड़ा और गंभीर आरोप यह है कि पाकिस्तान सेना ने बलूचिस्तान और पीओके के हजारों लोगों को गायब कर दिया है. यह सिलसिला बीते कई सालों से चलता आ रहा है. ऐसे में उनका आरोप है कि बलूच लोगों के अधिकारों की आवाज उठाने के पर सेना ने इनकी हत्या कर दी है. यही नहीं, पाकिस्तानी सेना (Pakistan Army) और आईएसआई को शक है कि गुलालई के पास सेना के जुल्म और मानवाधिकारों के हनन पुख्ता सबूत वीडियो और दस्तावेजों की शक्ल में मौजूद हैं.

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पाकिस्तान अपने लिए मानता है बड़ा खतरा
गुलालई ने अमेरिका में राजनीतिक शरण मिलने पर सिर्फ यही कहा था कि उन्होंने पाकिस्तान से निकलने के लिए फ्लाइट का इस्तेमाल नहीं किया था. पाकिस्तान गुलालई को कितना बड़ा खतरा मानता है, इसका अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि उनका फोटो हर स्टेशन, पुलिस थाने, एयरपोर्ट और यहां तक कि बंदरगाह पर भी लगाया गया था. ऐसे में महिला मानवाधिकार कार्यकर्ता गुलालई इस्माइल पाकिस्तान के अल्पसंख्यकों (Monorities) के लिए उम्मीद का नया चेहरा बन गई हैं. 32 साल की गुलालई अपनी बहन के साथ न्यूयॉर्क (Newyork) के ब्रुकलिन में रह रही हैं. नवंबर 2018 में उनके खिलाफ आईएसआई ने देश विरोधी गतिविधियों में शामिल होने का आरोप लगाया था. इसके बाद इस्लामाबाद हाईकोर्ट से उन्हें एक्जिट कंट्रोल लिस्ट (ब्लैकलिस्ट) में डालने की मांग की गई थी.

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पाकिस्तानी सेना के अत्याचारों की सुनाई दास्तां
गुलालई ने बताया कि पाकिस्तान में किस तरह से अल्पसंख्यकों के खिलाफ अत्याचार हो रहे हैं. इस्माइल ने बताया कि पाकिस्तान में आतंकवाद फैलाने के नाम पर मासूम पश्तूनों (Pashtuns) की हत्या की जा रही है. हजारों लोगों को बंधक बनाकर रखा गया है. इनमें से कुछ जेल में हैं, कुछ को पाकिस्तानी सेना ने टॉर्चर सेल (Torture Cell) में रखा है. गुलालई को अभी भी अपने परिवार और उनकी पाकिस्तान से भागने में मदद करने वालों की चिंता है, जो अभी भी वहां हैं. गुलालई ने हाल ही में एक इंटरव्यू में खुलासा किया था कि वे पाकिस्तान छोड़ने से पहले 6 महीने तक वहां छिपी रही थीं. इसके बाद अपने दोस्तों की मदद से श्रीलंका पहुंचीं और वहां से न्यूयॉर्क.