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तबलीगी जमात अलकायदा, तालिबान और कश्मीरी आतंकियों की आड़, फंड वीजा में इस्तेमाल

दिल्ली के निजामुद्दीन मरकज की जमात में कोरोना वायरस (Corona Virus) से पीड़ित सदस्यों का पाया जाना इस्लामिक जेहाद की एक नई चाल की ओर साफतौर पर इशारा कर रहा है.

Updated on: 01 Apr 2020, 08:58 AM

highlights

  • अलकायदा ने जमात का इस्तेमाल पाकिस्तान यात्रा और फंड हासिल करने के लिए किया.
  • जमात और शिया विरोधी संप्रदाय समूहों, कश्मीरी आतंकियों और तालिबान का 'अप्रत्यक्ष कनेक्शन'.
  • कोरोना पीड़ित जमात के सदस्य दुनिया भर में करोड़ों को उतारेंगे मौत के घाट.

नई दिल्ली:

अगर बांग्लादेश की विवादास्पद लेखिका तसलीमा नसरीन (Tasleema Nasreen) तबलीगी जमात को आतंकियों का संगठन बता रही हैं, तो यह बात सिर्फ उनकी 'खिलाफत' बता कर खारिज नहीं की जा सकती है. 2011 में विकीलिक्स द्वारा जारी गुप्त अमेरिकी दस्तावेजों से पता चला है कि अलकायदा (Alqaeda) के कुछ गुर्गों ने जमात का इस्तेमाल अपनी पाकिस्तान की यात्रा के लिए वीजा और फंड हासिल करने के लिए किया था. यही नहीं, स्ट्रैटफ़ोर की भी तबलीगी जमात और ग्लोबल जिहाद (Jihad) के संबंध पर प्रकाशित रिपोर्ट में कहा गया है कि जमात और शिया विरोधी संप्रदाय समूहों, कश्मीरी आतंकवादियों और तालिबान के बीच 'अप्रत्यक्ष कनेक्शन' का सबूत है. ऐसे में दिल्ली के निजामुद्दीन मरकज की जमात में कोरोना वायरस (Corona Virus) से पीड़ित सदस्यों का पाया जाना इस्लामिक जेहाद की एक नई चाल की ओर साफतौर पर इशारा कर रहा है. अभी तक तबलीगी जमात (Tablighi Jamaat) के 93 सदस्य पॉजिटिव पाए जा चुके हैं.

दक्षिण एशिया में फैलाया कोरोना वायरस
इसे लिखने में कतई कोई गुरेज नहीं है कि पाकिस्तान, मलेशिया और अब भारत में भी तबलीगी जमात के मजहबी कार्यक्रमों ने दक्षिण एशियाई देशों में वायरस फैलाया है. भारत के कई राज्यों में वुहान कोरोना वायरस के प्रसार में तबलीगी जमात की भूमिका सामने आई है. यह भी तथ्यों समेत सामने आया है कि तबलीगी जमात के प्रबंधन विदेशों से आए सदस्यों की जानकारी छिपा कर रखी. यदि यह सच में जानबूझकर फैलाने का मामला था, तो यह उन घटनाओं के सबसे खतरनाक मोड़ को दर्शाता है जो अब देशों के अधिकारियों को झेलनी पड़ेंगी. साथ ही उनके लापरवाही के इस घिनौने कृत्य की वजह से करोड़ों जीवन खतरे में पड़ गए हैं. ऐसी परिस्थितियों में अलकायदा जैसे आतंकवादी संगठनों के साथ तबलीगी जमात के संबंध बेहद अर्थपूर्ण हो जाते हैं.

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अलकायदा से संबंध की पुष्टि
गौरतलब है कि 2011 में विकिलिक्स द्वारा जारी गुप्त अमेरिकी दस्तावेजों से पता चला है कि अलकायदा के कुछ गुर्गों ने तबलीगी जमात के आवरण का इस्तेमाल अपनी पाकिस्तान की यात्रा के लिए वीजा और फंड हासिल करने के लिए किया. दस्तावेजों में कहा गया है कि वे दिल्ली या फिर इसके आस-पास भी रहते थे. 'एक अनुभवी जिहादी' के रूप में सऊदी अरब के अब्दुल बुखारी का हवाला देते हुए क्यूबा में ग्वांतानामो बे के अमेरिकी अधिकारियों द्वारा तैयार रिपोर्ट में कहा गया है कि 1985-1986 में वह जिस जमात के सदस्य से मिले थे, उसने पाकिस्तान के लिए वीजा में उनकी मदद की. 25 जुलाई 2007 की इस रिपोर्ट में कहा गया है कि जमात तबलीगी के एक सदस्य ने एक बंदी के लिए पाकिस्तान का वीजा खरीदा, जिसके बाद वो बंदी और अन्य सऊदी लोग लाहौर गए.

नई दिल्ली में अलकायदा सदस्य मिला तबलीगी जमात से
विकीलीक्स में खुलासा किया गया है कि उस बंदी को फिर नई दिल्ली में जमात तबलीगी के नेता से मिलवाया गया, जिसने उससे संगठन के लिए एक जीवन समर्पित करने के लिए कहा गया. बंदी ने जमात तबलीगी से कहा कि उसे इस बारे में सोचने की जरूरत है क्योंकि वह अपना जीवन सेवा, तीर्थयात्रा और मिशनरी कार्यों में नहीं लगाना चाहता. इसके बाद वो दो सप्ताह के लिए लाहौर लौटा और फिर सऊदी अरब चला गया. यह कनेक्शन तबलीगी जमात के सदस्यों के इरादों और इस्लामिक जेहाद के नए रूप-स्वरूप के लिहाज से दुनिया भर के लिए बेहद खतरनाक संकेत दे रहा है.

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पाकिस्तान कनेक्शन भी आ रहा सामने
सिर्फ विकीलीक्स ही नहीं, 1 सितंबर 2008 को सोमालियाई बंदी मोहम्मद सोलिमन बर्रे पर प्रकाशित एक रिपोर्ट में धर्मांतरण करवाने वाली संस्था जमात तबलीगी की पहचान अलकायदा कवर स्टोरी के रूप में की गई है. अलकायदा, जमात तबलीगी के सदस्यों की अंतर्राष्ट्रीय यात्रा को सुविधाजनक बनाने और फंड देने का काम करती है. रिपोर्ट में कहा गया है कि उसे भारत में संयुक्त राष्ट्र शरणार्थी का दर्जा देने से इनकार कर दिया गया था, लेकिन उसने जमात तबलीगी के प्रायोजन के तहत पाकिस्तान जाने के लिए वीजा लिया था. बंदी ने कहा कि उसका मिशनरी कर्तव्यों को पूरा करने या जमात तबलीगी के साथ सेवा करने का कोई इरादा नहीं है, उन्होंने तो सिर्फ वीजा प्राप्त करने के लिए समूह का इस्तेमाल किया था.

भारत आ चुके हैं आतंकी जमात की आड़ में
एक अन्य रिपोर्ट में भी तबलीगी जमात का उल्लेख है. 27 जनवरी 2008 को तैयार किए गए सूडान के अमीर मुहम्मद पर एक रिपोर्ट में कहा गया है कि 1991 की शुरुआत में बंदी ने सुडान ने केन्या के रास्ते भारत की हवाई यात्रा की. भारत के लिए उड़ान भरते समय बंदी ने तबलीगी जमात के एक प्रतिनिधि से मुलाकात की, जिसने उसे नई दिल्ली के एक बड़े तबलीगी सेंटर के बारे में बताया, जहां वह सहायता के लिए जा सकता था. रिपोर्ट में कहा गया है कि बंदी ने पाकिस्तानी वीजा प्राप्त करने के लिए खुद को एक तबलीगी के रूप में पेश किया.

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इस्लामिक संगठन कर रहे इस्तेमाल
साफ है कि इस्लामिक संगठनों ने तबलीगी जमात का इस्तेमाल अपने सदस्यों की यात्राओं को सुविधाजनक बनाने के लिए एक पाइपलाइन की तरह इस्तेमाल किया. 2003 में ब्रुकलिन ब्रिज को नष्ट करने के लिए एक आतंकवादी साजिश के आरोपित ओहियो ट्रक ड्राइवर आयमान फारिस ने अल कायदा के लिए एक काम पूरा करने के लिए जमात का इस्तेमाल पाकिस्तान की सुरक्षित यात्रा के लिए किया. तबलीगी जमात का नाम संयुक्त राज्य अमेरिका में 9/11 आतंकवादी हमले के बाद के बाद जांचकर्ताओं की नजर में आया. इसके बाद कम से कम चार हाई-प्रोफाइल आतंकवाद मामलों में इसका नाम सामने आया था.

स्ट्रैटफोर ने भी ग्लोबल जिहाद पर चेताया
दुनिया भर में जिओपोलिटिकल इंटेलीजेंस प्लेटफॉर्म बतौर प्रतिष्ठित स्ट्रैटफ़ोर ने तबलीगी जमात और ग्लोबल जिहाद की दुनिया से इसके संबंध पर एक विस्तृत रिपोर्ट प्रकाशित की. रिपोर्ट में कहा गया है कि जमात और शिया विरोधी संप्रदाय समूहों, कश्मीरी आतंकवादियों और तालिबान के बीच 'अप्रत्यक्ष कनेक्शन' का सबूत है. इसमें कहा गया है कि तबलीगी जमात संगठन इस्लामिक चरमपंथियों के लिए और नए सदस्यों की भर्ती के लिए अलकायदा जैसे समूहों के लिए एक वास्तविक समूह के रूप में कार्य करता है. तबलीगी कट्टरपंथी इस्लामवाद की दुनिया से तब रूबरू होते हैं जब वे अपना शुरुआती ट्रेनिंग लेने के लिए पाकिस्तान जाते हैं. एक बार पाकिस्तान में भर्ती होने के बाद, तालिबान, अल कायदा और हरकत-उल-मुजाहिदीन जैसे आतंकवादी संगठन उन्हें अपने में शामिल करने की कोशिश करते हैं.

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करोड़ों लोगों की जान खतरे में डाली
दुनिया भर में वुहान कोरोना वायरस के प्रसार में अपनी भारी भागीदारी सुनिश्चित करने से पहले तबलीगी जमात से जुड़े लोगों ने आतंकवादी हमलों में नियमित रूप से भाग लिया. 2017 के लंदन ब्रिज हमले में हमलावरों में से एक, यूसुफ ज़ाग्बा को तबलीगी जमात से जुड़ा था. 2005 में लंदन बम धमाकों को अंजाम देने वाले 7/7 आतंकवादियों के सरगना मोहम्मद सिद्दीकी खान और सहयोगी शहजाद तनवीर को भी तबलीगी जमात से जुड़ा था. ऐसे में यह संभावना जताई जा रही है कि यह 'बायोलॉजिकल टेरर' का एक हिस्सा हो सकता है. पाकिस्तान, मलेशिया और अब भारत में भी तबलीगी जमात के मजहबी कार्यक्रमों ने दक्षिण एशियाई देशों में वायरस फैला दिया है. यह एक बेहद खतरनाक संकेत है, जिसका खामियाजा दुनिया भर को करोड़ों मासूम लोगों की आहुति देकर तुकाना पड़ सकता है.