नवरात्रि 2018: आठवें दिन होती है महागौरी की पूजा, पढ़ें पूजा-विधि
महागौरी का अर्थ है - वह रूप जो कि सौन्दर्य से भरपूर है, प्रकाशमान है - पूर्ण रूप से सौंदर्य में डूबा हुआ है।
नई दिल्ली:
सौन्दर्य का प्रतीक : माँ महागौरी
महागौरी का अर्थ है - वह रूप जो कि सौन्दर्य से भरपूर है, प्रकाशमान है - पूर्ण रूप से सौंदर्य में डूबा हुआ है। प्रकृति के दो छोर , किनारे हैं - एक माँ कालरात्रि जो अति भयावह, प्रलय के समान है और दूसरा माँ महागौरी जो अति सौन्दर्यवान, देदीप्यमान,शांत है - पूर्णत: करुणामयी, सबको आशीर्वाद देती हुईं। यह वो रूप है, जो सब मनोकामनाओं को पूरा करता है।
मां महागौरी को शिवा भी कहा जाता है. इनके एक हाथ में दुर्गा शक्ति का प्रतीक त्रिशूल है तो दूसरे हाथ में भगवान शिव का डमरू है. अपने सांसरिक रूप में महागौरी उज्ज्वल, कोमल, श्वेत रंग और श्वेत वस्त्रों में चतुर्भुजा हैं. ऐसी मान्यता है कि महागौरी को गायन और संगीत बहुत पसंद है. ये सफेद वृषभ यानी बैल पर महिला की शक्ति को दर्शाता है.महागौरी को गायन और संगीत बहुत पसंद है. ये सफेद वृषभ यानी बैल पर सवार रहती हैं. इनके समस्त आभूषण आदि भी श्वेत होते हैं. महागौरी की उपासना से पूर्वसंचित पाप नष्ट हो जाते हैं.
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पूजा विधि-
मां शक्ति के इस स्वरूप की पूजा में नारियल, हलवा, पूड़ी और सब्जी का भोग लगाया जाता है. आज के दिन काले चने का प्रसाद विशेषरूप से बनाया जाता है.
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