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Garuda Purana Dead Body: रात के समय शव को नहीं छोड़ते अकेला, बेहद डरावनी है वजह

रात में यानी सूर्यास्त के बाद दाह संस्कार (garuda puran dead body ritual) करने पर माना जाता है कि स्वर्ग के द्वार बंद हो जाते हैं और नर्क के द्वार खुल जाते हैं. ऐसे में जीव की आत्मा को नरक का कष्ट भोगना पड़ता है.

Updated on: 21 Jun 2022, 02:47 PM

नई दिल्ली:

जो इंसान धरती पर पैदा हुआ है. उसकी मृत्यु (dead body not alone) भी निश्चित है. लेकिन, मौत एक ऐसा विषय है. जिसके बारे में लोग कम बात करना चाहते हैं. लेकिन, हर किसी ने एक न एक दिन ये विधि जरूर देखी होगी. पर इसके बारे में जानकारी कम ही लोगों को होती है. ये तो सब जानते हैं कि हिंदू धर्म में सूर्यास्त के बाद शव का दाह संस्कार नहीं किया जाता. रात में यानी सूर्यास्त के बाद दाह संस्कार (garuda puran dead body ritual) करने पर माना जाता है कि स्वर्ग के द्वार बंद हो जाते हैं और नर्क के द्वार खुल जाते हैं. ऐसे में जीव की आत्मा को नरक का कष्ट भोगना पड़ता है. आपने गौर किया ही होगा कि मृत्यु के बाद किसी भी इंसान के शव को अकेला भी नहीं छोड़ा जाता है. दरअसल, इसका संबंध गरुड़ पुराण (death garuda puran) से है. तो, चलिए जानते हैं कि आखिर इसके पीछे क्या कारण है. 

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क्यों नहीं छोड़ते शव को अकेला -

गरुड़ पुराण के अनुसार, मृत शरीर को रात में अकेले ना छोड़ने का सबसे बड़ा कारण यही है कि अगर शव को अकेला छोड़ दिया जाए तो, उसे कुत्ते-बिल्ली जैसे जानवर (Dead body) नोच खाएंगे. 

गरुड़ पुराण के अनुसार रात में शव को अकेला छोड़ दिया जाए तो आसपास भटक रही बुरी शक्तियां उसमें प्रवेश कर सकती हैं. ऐसे में घर पर नकारात्मक शक्तियों का प्रभाव पड़ सकता है. पूरे परिवार के लिए मुसीबत की वजह बन सकती हैं.

गरुड़ पुराण की मानें तो ऐसे में मृत आत्मा को को भी यमलोक के मार्ग में ऐसी ही यातनाएं सहनी पड़ती हैं. 

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कहा जाता है कि मृत्यु के बाद आत्मा घर में 13 दिन तक रहती है. ऐसे में जब तक दाह संस्कार न हो जाए शव को अकेला नहीं छोड़ना चाहिए. 

ये भी माना जाता है कि शव को अकेला छोड़ने पर उसमें से बदबू आने लगती है. साथ ही शव को ज्यादा देर तक घर में रखने से बैक्टीरिया फैलने के आसार भी बढ़ जाते हैं. ऐसे में ये बेहद जरूरी है कि शव के पास कोई न कोई व्यक्ति बैठा रहे और धूप या अगरबत्ती शव के चारों तरफ लगातार जलती रहे ताकि शव से आने वाली दुर्गन्ध चारों ओर ना फैले. 

रात में तांत्रिक क्रियाओं का प्रभाव तेज हो जाता है. ऐसे में शव को अकेला छोड़ने से उसका इस्तेमाल तंत्र साधना के लिए किया जा सकता है. आत्मा को नुकसान पहुंच सकता है.

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अगर शव को ज्यादा देर तक घर में रखा जाता है तो, बैक्टीरिया फैलने के आसार बढ़ जाते हैं. शव के चारों ओर अगरबत्ती जलाने के लिए किसी का पास होना जरूरी है.

गुरुड़ पुराण के अनुसार शव को अकेला छोड़ने पर लाल चींटियां या अन्य कीड़े उसके पास आने का डर बना रहता है. ऐसे में जरूरी है कि शव की रखवाली के लिए कोई पास हो.

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बुरी आत्मा के साए से शव को बचाएं 

शव को अकेला न छोड़ने का एक कारण ये भी है कि माना जाता है कि मरे हुए आदमी की आत्मा वहीं पर भटकती रहती है. जो अपने परिजनों को देखती रहती है. ऐसे में कहा जाता है कि इंसान की मौत के बाद शरीर आत्मा से खाली हो जाता है. जिस वजह से उस मृत शरीर में कोई बुरी आत्मा का साया अपना अधिकार जमा सकता है. यही वजह है कि रात में शव को अकेले नही छोड़ा जाता है और कोई ना कोई इसकी रखवाली करता रहता है.