Chaitra Navratri 2021: मां दुर्गा की पूजा इन सामाग्री के बिना है अधूरी, अभी से कर लें पूरी तैयारी
हिंदू धर्म में नववरात्र का खास महत्व होता है. माना जाता है कि चैत्र नवरात्रि में जो कोई भी भक्त पूरे नौं दिन विधि-विधान से मां दुर्गा के स्वरूपों की पूजा करता है, उसकी हर मनोकामना पूरी होती है.
नई दिल्ली:
इस साल भी कोरोना महामारी के बीच 13 अप्रैल से चैत्र नवरात्रि (Chaitra Navratri 2021) की शुरुआत हो रही है. हिंदू धर्म में नववरात्र का खास महत्व होता है. माना जाता है कि चैत्र नवरात्रि में जो कोई भी भक्त पूरे नौं दिन विधि-विधान से मां दुर्गा के स्वरूपों की पूजा करता है, उसकी हर मनोकामना पूरी होती है. बता दें कि साल में दो बार नवरात्रि का पर्व मनाया जाता है. दीपावली से पहले मनाई जाने वाली नवरात्रि को शारदीय नवरात्र कहते हैं. वहीं दोनों ही नवरात्रि में पूजा की विधि और महत्व अलग-अलग हैं. हिंदू पंचांग के अनुसार इस साल 2021 में चैत्र नवरात्रि 13 अप्रैल से शुरू हो रही है और इसका समापन 21 अप्रैल को होगा. चैत्र नवरात्रि में मां दुर्गा के नौ अलग-अलग स्वरूपों शैलपुत्री, ब्रह्मचारिणी, चंद्रघंटा, कुष्मांडा, स्कंदमाता, कात्यायनी, कालरात्रि, महागौरी और सिद्धिदात्रि की पूजा-अर्चना की जाती है.
और पढ़ें: Chaitra Navratri 2021: नवरात्रि में भूलकर न करें ये काम, वरना भुगतना होगा मां दुर्गा का प्रकोप
नवरात्रि में पूरी विधि विधान के साथ मां दुर्गा की पूजा करनी चाहिए. अगर पूरी पूजा सामाग्री न हो तो माता रानी की अराधना और नवरात्रि का व्रत अधूरा माना जाता है. ऐसे में हम आपको नवरात्रि पूजा में इस्तेमाल होने वाली समस्त सामाग्री के बारे में बताएंगे. नवरात्रि शुरू होने से पहले आप पूरी पूजा सामाग्री को अभी से बाजार से खरीद कर साफ-सुथरे जगह पर रख लें.
नवरात्रि पूजा की सामाग्री लिस्ट
1. मां दुर्गा की प्रतिमा या तस्वीर
2. चौकी के लिए लाल कपड़ा
3. नारियल, फल औपर मिठाई
4. श्रृंगार का सामान
5. दुर्गासप्तशती किताब
6. फूलों की माला
7. बताशा या मिसरी
8. अगरबत्ती, धूपबत्ती, रुई, घी और दीपक
9. लाल चुनरी, सिंदूर और चूड़ियां
10. कलश, साफ चावल, कुमकुम और मौली
11. हवन के लिए आम की लकड़ी, जौ, पांच मेवा, घी, लोबान,गुग्गुल, लौंग, कमल गट्टा,सुपारी, कपूर और हवन कुंड आदि.
नवरात्रि व्रत करने कि विधि-
- नवरात्रि के पहले दिन कलश स्थापना कर नौ दिनों तक व्रत रखने का संकल्प लें.
- पूरी श्रद्धा भक्ति से मां की पूजा करें.
- दिन के समय आप फल और दूध ले सकते हैं.
- शाम के समय मां की आरती उतारें.
- सभी में प्रसाद बांटें और फिर खुद भी ग्रहण करें.
- फिर भोजन ग्रहण करें.
- हो सके तो इस दौरान अन्न न खाएं, सिर्फ फलाहार ग्रहण करें.
- अष्टमी या नवमी के दिन नौ कन्याओं को भोजन कराएं. उन्हें उपहार और दक्षिणा दें.
- अगर संभव हो तो हवन के साथ नवमी के दिन व्रत का पारण करें.
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