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Bhaiya Dooj Pauranik Katha: भाई अपनी बहन के घर जाकर ही मनाना चाहिए भैया दूज, जानें ये पौराणिक कथा

Bhaiya Dooj Pauranik Katha: क्या आप जानते हैं कि भैया दूज की त्योहार हमेशा अपनी बहन के घर जाकर क्यों मनाना चाहिए. भैया दूज की इस पौराणिक कथा में आपको अपने इस सवाल का जवाब भी मिल जाएगा.

Updated on: 14 Nov 2023, 09:37 AM

नई दिल्ली :

Bhaiya Dooj Pauranik Katha: भैया दूज या भाई दूज आने वाला है. शादी के बाद बहनें ससुराल में अपने भाई को भैया दूज के लिए जरुरी बुलाएं. मान्यताओं के अनुसार जो भी बहन इस दिन अपने घर भाई को बुलाकर भैया दूज मनाती है इससे उसके और उसके भाई के जीवन में सुख-समृद्धि, यश और धन आता है. भैया दूज की पौराणिक कथा यमराज और उनकी बहन यमुना से जुड़ी है. इस साल 14 और 15 नवंबर को भैया दूज मनाया जाएगा. बहनें अपने भाई के माथे पर तिलक करके उसकी लंबी उम्र की कामना करेंगी. लेकिन ये प्रथा कैसे शुरु हुई और इसका क्या महत्त्व है आइए जानते हैं. लेकिन उससे पहले आप शुभ मुहूर्त भी जान लें. 

भाई दूज 2023 दिनांक 15 नवंबर 2023

द्वितीया तिथि आरंभ 14 नवंबर 2023 को दोपहर 02:36 बजे

द्वितीया तिथि समाप्त 15 नवंबर 2023 को दोपहर 01:47 बजे

भाई दूज अपराहन का समय दोपहर 01:17 बजे से दोपहर 03:38 बजे तक

भैया दूज की पौराणिक कथा

भगवान सूर्य नारायण की पत्नी का नाम छाया था. उनकी कोख से यमराज तथा यमुना का जन्म हुआ था. यमुना यमराज से बड़ा स्नेह करती थी. वह उससे बराबर निवेदन करती कि इष्ट मित्रों सहित उसके घर आकर भोजन करो. अपने कार्य में व्यस्त यमराज बात को टालता रहा। कार्तिक शुक्ला का दिन आया. यमुना ने उस दिन फिर यमराज को भोजन के लिए निमंत्रण देकर, उसे अपने घर आने के लिए वचनबद्ध कर लिया.

यमराज ने सोचा कि मैं तो प्राणों को हरने वाला हूं. मुझे कोई भी अपने घर नहीं बुलाना चाहता. बहन जिस सद्भावना से मुझे बुला रही है, उसका पालन करना मेरा धर्म है. बहन के घर आते समय यमराज ने नरक निवास करने वाले जीवों को मुक्त कर दिया. 

यमराज को अपने घर आया देखकर यमुना की खुशी का ठिकाना नहीं रहा। उसने स्नान कर पूजा करके व्यंजन परोसकर भोजन कराया। यमुना द्वारा किए गए आतिथ्य से यमराज ने प्रसन्न होकर बहन को वर मांगने का आदेश दिया। यमुना ने कहा कि भाई आप हर साल इसी दिन मेरे घर आया करो। मेरी तरह जो बहन इस दिन अपने भाई को आदर सत्कार करके टीका करें, उसे तुम्हारा भय न रहे। यमराज ने तथास्तु कहकर अपनी बहन को ये वादा दिया. 

इसके बाद यमराज ने अपनी बहन यमुना को अमूल्य कपड़े और गहने तोहफे में दिए और यमलोक चले गए. इसी दिन से इस पर्व की परम्परा बनीं. ऐसी मान्यता है कि जो आतिथ्य स्वीकार करते हैं, उन्हें यम का भय नहीं रहता. इसीलिए भैयादूज को यमराज और यमुना की पूजा किया जाता है.

तो भैया दूज का त्योहार भाईयों को अपनी बहनों के घर में जाकर ही मनाना चाहिए. इस दिन बहनें अपने भाईयों की जितनी खातिर करेंगी और भाई अपने बहन को जितने अच्छे तोहफे देंगे इससे उनके जीवन में उतनी ही खुशियां आएंगी. ये त्योहार हर साल दिवाली के बाद कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि को मनाया जाता है. तो आप अभी से अपने बहन के घर जाने की तैयारियां शुरु कर दीजिए. 

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(Disclaimer: यहां दी गई जानकारियां धार्मिक आस्था और लोक मान्यताओं पर आधारित हैं। न्यूज नेशन इस बारे में किसी तरह की कोई पुष्टि नहीं करता है। इसे सामान्य जनरुचि को ध्यान में रखकर यहां प्रस्तुत किया गया है।)