क्या अखिलेश यादव को नुकसान पहुंचाएगी चाचा की राजनीति, जानें 4 महत्वपूर्ण फैक्टर
विधानसभा चुनाव में समाजवादी धड़ा बूरी तरह से परास्त हो गई। साल 2012 के विधानसभा चुनाव में 224 सीटें जीतने वाली पार्टी 2017 में 47 सीटों पर सिमट गई।
नई दिल्ली:
देश के सबसे बड़े सियासी राज्य उत्तर प्रदेश और सियासी परिवार समाजवादी पार्टी के अंदर चल रही तनातनी अब पूरी तरह से धरातल पर आ गई है। वरिष्ठ नेता और समाजवादी पार्टी में सांगठनिक तौर पर मजबूत और अनुभवी शिवपाल यादव ने अपना कुनबा अलग कर लिया है। शिवपाल ने न सिर्फ संगठन के अंदर जारी कलह पर विराम लगाया बल्कि अलग पार्टी बनाकर अखिलेश की राहों में चुनौतियों का पहाड़ खड़ा कर दिया है।
पार्टी के अंदर अपनी उपेक्षा से नाराज चल रहे शिवपाल ने न सिर्फ अपनी पार्टी बनाई बल्कि अखिलेश की सफलता की राहों में दीवार बन कर खड़े हो गए। विवाद तो उसी समय सामने आ गया था जब उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव के दौरान चाचा-भतीजा की इस सफल जोड़ी के बीच कुछ मुद्दों को लेकर तकरार देखने को मिला था।
पॉलिटिकल पंडितों ने तो उसी समय कयास लगा दिया था कि यह जोड़ी सूबे में होने वाले विधानसभा चुनाव से पहले टूट जाएगी लेकिन पहलवान और पार्टी के कद्दावर नेता मुलायम सिंह ने अपनी दांव पेंच से इसे बचाए रखा।
मुलायम तो चाचा-भतीजा के बीच सुलह करान के लिए कई बार नाकाम कोशिश किया और अखिलेश को सार्वजनिक मंच से भी नसीहत देने से बाज नहीं आए। लेकिन राज्य के सबसे युवा मुख्यमंत्री के कान पर जूं तक नहीं रेंगा।
कैसे शुरू हुआ विवाद
खुद शिवपाल यादव भी मंच से कई बार कह चुके थे कि अब पार्टी के अंदर मेरे कोई अहमियत नहीं रह गई है। पार्टी को नए तरीकों से चलाया जा रहा है। वरिष्ठ नोताओं को इज्जत नहीं मिल रही है।
समाजवादी घराने के अंदरखाने में कलह उस समय शुरू हुई थी जब अमर सिंह की वापसी हुई थी। अखिलेश और रामगोपाल यादव नहीं चाहते थे कि अमर सिंह को पार्टी में शामिल किया जाए।
हालांकि इस बारे में दोनों भाईयों मुलायम और शिवपाल की राय एक थी। वह अमर सिंह को न सिर्फ और पार्टी में शामिल करना चाहते थे बल्कि वरिष्ठ पद भी देना चाहते थे। लेकिन युवा मुख्यमंत्री को यह बात नागवार गुजरी। नतीजा, अमर सिंह पार्टी छोड़कर बाहर आ गए।
इसे भी पढ़ेंः ट्विटर पर भी 'सेक्यूलर' बने शिवपाल यादव, समाजवादी पार्टी की जगह नई पार्टी का लिखा नाम
इस बीच कई तरह का विवाद सामने आया। कभी अखिलेश को पार्टी से निकाला गया तो कभी शिवपाल ने पार्टी छोड़ी लेकिन कठोर फैसले लेने वाले मुलायम 'राजनैतिक गृह युद्ध' में कमजोर नजर आए।
अखिलेश हो सकता है तगड़ा नुकसान
नतीजा वही हुआ जो कयास पॉलिटिकल पंडितों ने लागाए थे। विधानसभा चुनाव में समाजवादी धड़ा बूरी तरह से परास्त हो गई। साल 2012 के विधानसभा चुनाव में 224 सीटें जीतने वाली पार्टी 2017 में 47 सीटों पर सिमट गई।
अखिलेश यादव को ऐसा लग रहा था कि राज्य की जनता उनके कार्यों के आधार पर दोबार साइकिल पर ही मुहर लगाएगी लेकिन उनकी यह सोच ख्याली पुलाव साबित हुई। बीजेपी बाजी मार ले गई और 2012 के चुनाव में 29 प्रतिशत से ज्यादा वोट लाने वाली पार्टी 22 प्रतिशत तक का आंकड़ा नहीं छू पाई।
और पढ़ेंः अकेले पड़े शिवपाल यादव, मुलामय सिंह यादव के इस कदम से हुआ साफ
राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि आपसी कलक का नतीजा ही रहा कि इस विधानसभा चुनाव में बहुजन समाज पार्टी भी समाजवादी कुनबा से ज्यादा वोट लाने में सफल रही।
लोकसभा चुनाव की सुगबुगाहट होते ही इस बार शिवपाल यादव ने समाजवादी पार्टी से अपना नाता तोड़ लिया और नई पार्टी बनाने का ऐलान कर दिया। इतना ही नहीं उन्होंने बिना नाम लिए अखिलेश को चुनौती भी दे डाली।
खलेगी शिवपाल की गैरमौजूदगी
दरअसल समाजवादी सेक्युलर मोर्चा पार्टी के गठन के बाद बागपत पहुंचे शिवपाल यादव अपने कार्यकर्ताओं की बैठक की। इस दौरान उन्होंने कहा कि हमारी पार्टी यूपी की सभी 80 सीटों पर 2019 में होने वाले लोकसभा चुनाव लड़ेगी।
साथ ही यह भी कह दिया कि जो लोग सपा में उपेक्षित और हासिये पर हैं उन्हें सेक्युलर मोर्चा में शामिल किया जाएगा। शिवपाल यादव ने कहा कि ऐसे लोगों को इकट्ठा करके बड़ी लड़ाई लड़ेंगे क्योंकि उत्तर प्रदेश की किस्मत बदलना सेक्युलर मोर्चा के उद्देश्य है।
शिवपाल के छोड़ने का मतलब साफ है कि अब कहीं न कहीं सपा पहले से सांगठनिक तौर पर थोड़ा कमजोर हो सकती है। क्योंकि अभी तक शिवपाल ने संगठन को बखूबी संभाला रखा था।
भतीजा को कितना नुकसान पहुंचाएंगे चाचा
शिवपाल के निकलने से सपा का कुछ वोट बैंक भी खिसकेगा जो कि अन्य पार्टियों को फायदा पहुंचाए न पहुंचाए अखिलेश को जरुर नुकसान पहुंचाएगा। अक्सर ऐसा देखने को मिला है कि सूबे में हार जीत का अंतर बहुत ही कम होता है। ऐसे में शिवपाल अखिलेश को तगड़ा नकुसान पहुंचा सकते हैं।
मतलब साफ है कि अब अखिलेश को अपने चाचा से ही चुनौती मिलेगी। पहले उन्हें घर से ही पार पाना होगा तभी वह किसी और नेता को चुनौती दे पाएंगे। उपेक्षित शिवपाल पूरी तरह से बागी हो चुके हैं और नुकसान पुहंचाने के मूड में आ गए हैं।
नोटः- आंकड़े चुनाव आयोग के वेबसाइट से लिए गए हैं।
Don't Miss
वीडियो
IPL 2024
मनोरंजन
-
Deepika Chikhlia Net Worth: हर मामले में राम जी से आगे रहीं सीता मां, राजनीति से लेकर संपत्ति तक दी टक्कर, जानें नेटवर्थ
-
Bangaram: एक्ट्रेस से फिल्म मेकर बनीं सामंथा रुथ प्रभु, नई फिल्म बंगाराम की अनाउंसमेंट
-
Maninee De Molestation: 7 साल की उम्र में एक्ट्रेस के साथ रिश्तेदार ने की छेड़छाड़, अब बरसों बाद बयां किया दर्द
धर्म-कर्म
-
Maa Laxmi Shubh Sanket: अगर आपको मिलते हैं ये 6 संकेत तो समझें मां लक्ष्मी का होने वाला है आगमन
-
Premanand Ji Maharaj : प्रेमानंद जी महाराज के इन विचारों से जीवन में आएगा बदलाव, मिलेगी कामयाबी
-
Aaj Ka Panchang 29 April 2024: क्या है 29 अप्रैल 2024 का पंचांग, जानें शुभ-अशुभ मुहूर्त और राहु काल का समय
-
Arthik Weekly Rashifal: इस हफ्ते इन राशियों पर मां लक्ष्मी रहेंगी मेहरबान, खूब कमाएंगे पैसा