मासूमों की हत्या भी अब हमें विचलित नहीं करती, इतने असंवेदनशील हो गए हैं हम
मध्य प्रदेश का जिला है शिवपुरी. इसमें ना संवेदनशील शिव पर आस्था रखने वाले लोग हैं, ना ही संपूर्ण भारत को एक डोर में पिरोने वाली जनता.
नई दिल्ली:
मध्य प्रदेश का जिला है शिवपुरी. इसमें ना संवेदनशील शिव पर आस्था रखने वाले लोग हैं, ना ही संपूर्ण भारत को एक डोर में पिरोने वाली जनता. यहां लोगों की हत्या महज इसलिए भी हो जाती है, क्योंकि उन्होंने खुले में शौच कर दिया था, हत्या भी किसकी, दो दलित बच्चों की, वो भी पीट-पीटकर. ये है मध्य प्रदेश के शिवपुरी में मौजूद भावखेड़ी गांव, जहां दो दलित बच्चों की खुले में शौच करने पर एक इंसान मार-मारकर जान ले लेता है और हम चुप हैं. ये 12 साल की रोशनी और 10 साल के अविनाश की लाश है, जिनके वापस लौटने की सारी उम्मीदों ने जहर खा लिया है.
यह भी पढ़ेंःअगर सड़क बनाई खराब तो ठेकेदारों का भी कटेगा 'ट्रैफिक चालान', नितिन गडकरी ने दी चेतावनी
असल में दलित हमारे हिंदू समाज का वो आईना है, जिनकी खाली थाली में झांकना भी हमें पसंद नहीं है, तो हम बात ही इस पर क्यों करेंगे, कोई मरता है तो मरे, कोई ये करता है तो करे...
दलित अंग्रेजी शब्द डिप्रेस्ड क्लास का हिंदी अनुवाद है, जिसे अब हम अनुसूचित जाति कहते हैं, दलित का अर्थ पीड़ित, शोषित, दबा हुआ, उदास, टुकड़ों में बंटा हुआ, टूटा हुआ, जिसे कुचला गया, जो दलदल में फंसा है, जिसे रौंदा गया हो, जो अछूत हो, जिसका प्रवेश मंदिरों में वर्जित हो, वो दलित है, जो अब जाति नहीं एक धर्म बन गया है, क्यों नहीं बनेगा वो धर्म जब हमने खुद ही उसको अपनी खाली कुर्सी का भी साथी कभी नहीं बनाया, जब हमारे शास्त्र ये कहते हों कि शूद्र चारों वर्णों में सबसे नीचे है, तो देश में दलितों की सारी मांगें मुझे जायज लगती हैं, वो नीचे नहीं हैं हमारी सोच नीची है, हमारा चश्मा नीचे है और हमारी नजर भी नीच है.
यह भी पढ़ेंःअपने ही घर में इमरान खान की कोई इज्जत नहीं, पाकिस्तान के अखबार ने ऐसा उड़ाया उनका मजाक
2011 में हुई भारतीय जनगणना कहती है कि इस वर्ग की आबादी देश में 16.6 फीसदी थी यानि करीब 20 करोड़, यानि देश का हर पांचवां इंसान दलित है, शायद ही कोई ऐसा परिवार हो जिसमें पांचवां सदस्य ना हो, फिर भी हमारी सोच कीचड़ के साथ च्विंगम से चिपकी है, समझ में ही नहीं आता है, हम क्या दिखाना चाहते हैं?. जबकि हम रंग रूप से, शरीर से, सोच से एक बराबर हैं, हमारे ईश्वर ने हममें कोई भेद नहीं रखा और ना कोई अलग पहचान दी फिर भी ये दूरियां कौन बढ़ा रहा है.
हम खुद भीमराव अंबेडकर का सम्मान करते हैं, काशीराम को दलित उत्थान का मददगार मानते हैं, तमाम आरोपों के बावजूद मैं खुद मायावती को मौजूदा समाज में दलितों का हितैषी मानता हूं, राष्ट्रपति के रूप में हम रामनाथ कोविंद का चयन करते हैं और शिवपुरी में बच्चों की हत्या करते हैं, सीवर में दलितों का दम घुटते देखते हैं, अपने घर के बाहर किसी अपने जैसे के लिए बर्तन रखते हैं, उसे मोची, चमड़े और सफाई का काम सौपते हैं, कब तक चलेगा ये. कब तक हम संत रविदास के सपनों को टूटता देखेंगे, चंदशेखर को संघर्ष करते देखेंगे, संत कबीर को बंटता देखेंगे, ज्योतिबा फुले की मेहनत को बर्बाद होते देखेंगे, पेरियर के सपने को मरता देखेंगे, कब तक हमारे सामने गाडगे बाबा, स्वामी अछुतानंद और श्री नारायण गुरु जैसे लोग संर्घष करते रहेंगे और हम आंखों पर पट्टी बांधें रहेंगे.
यह भी पढ़ेंःकश्मीर मुद्दे पर पाकिस्तान का समर्थन कर रहे तुर्की को भारत ने दिया करारा जवाब, जानें कैसे
हमारे राम ने तो कभी किसी को नहीं बांटा, गांधी तो खुद ही समाज में समानता लाने के लिए दलित बन गए, बुद्ध तो ब्राह्मणवाद, जातिवाद और अंधविश्वास के खिलाफ पूरी उम्र लड़ते रहे, क्या फिर भी हमारी आंखें नहीं खुलेंगी?. इसी भेदभाव के चलते भारत में ज्यादातर दलितों ने बौद्ध धर्म अपना लिया है, ताकि वो सुकून की जिंदगी जी सकें, साल 2001 से 2011 तक बौद्ध धर्म में 24 फीसदी लोगों का इजाफा हुआ है, ये लंदन से नहीं आए थे, ये हमारे और आपके बीच के ही लोग हैं, जो मजबूर हो गए ये करने के लिए, पर अफसोस की अहंकार के चूरन में हम इतना व्यस्त हैं, कि कभी इनकी जिंदगी की खोली में हमने झांकने की कोशिश ही नहीं की.
(यह लेखक के अपने विचार हैं, इससे न्यूज स्टेट का कोई संबंध नहीं है.)
Don't Miss
वीडियो
IPL 2024
मनोरंजन
-
Kajol Workout Routine: 49 की उर्म में ऐसे इतनी फिट रहती हैं काजोल, शेयर किया अपना जिम रुटीन
-
Viral Photos: निसा देवगन के साथ पार्टी करते दिखे अक्षय कुमार के बेटे आरव, साथ तस्वीरें हुईं वायरल
-
Moushumi Chatterjee Birthday: आखिर क्यों करियर से पहले मौसमी चटर्जी ने लिया शादी करने का फैसला? 15 साल की उम्र में बनी बालिका वधु
धर्म-कर्म
-
Vikat Sanakashti Chaturthi 2024: विकट संकष्टी चतुर्थी व्रत कब? बस इस मूहूर्त में करें गणेश जी की पूजा, जानें डेट
-
Shukra Gochar 2024: शुक्र ने किया मेष राशि में गोचर, यहां जानें किस राशि वालों पर पड़ेगा क्या प्रभाव
-
Buddha Purnima 2024: कब है बुद्ध पूर्णिमा, वैशाख मास में कैसे मनाया जाएगा ये उत्सव
-
Shani Shash Rajyog 2024: 30 साल बाद आज शनि बना रहे हैं शश राजयोग, इन 3 राशियों की खुलेगी लॉटरी