पीएम मोदी से 'राष्ट्रवाद' की सीख ले अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप ने शुरू की चुनावी तैयारी
उन्होंने अमेरिकी राष्ट्रपति के आसन्न चुनाव के मद्देनजर 'राष्ट्रवाद' का नारा बुलंद कर ईरान के शीर्ष कमांडर कासिम सुलेमानी को ड्रोन हमले में मारे जाने के आदेश दे दिए.
highlights
- अमेरिकी राष्ट्रपति के चुनाव के मद्देनजर 'राष्ट्रवाद' का नारा बुलंद किया ट्रंप ने.
- सुलेमानी की मौत ने प एशिया के कूटनीतिक और सामरिक समीकरण भी ध्वस्त किए.
- अल-कायदा और आईएसआईएस को जरूरी खाद-पानी ही उपलब्ध कराएगा ईरान-यूएस युद्ध.
नई दिल्ली:
राहत इंदौरी का एक शेर 'सरहदों पर बहुत तनाव है क्या, कुछ पता करो कहीं चुनाव है क्या' फिलवक्त अमेरिका पर मौजूं बैठता है. ऐसा लगता है कि महाभियोग का सामना कर रहे अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल़्ड ट्रंप ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से 'राजनीति' जरूर सीख ली है. यही वजह है कि उन्होंने अमेरिकी राष्ट्रपति के आसन्न चुनाव के मद्देनजर 'राष्ट्रवाद' का नारा बुलंद कर ईरान के शीर्ष कमांडर कासिम सुलेमानी को ड्रोन हमले में मारे जाने के आदेश दे दिए. इस कदम को सही ठहराते हुए ट्रंप का कहना है कि अमेरिकी नागरिकों और हितों की सुरक्षा के लिए सुलेमानी का मारा जाना जरूरी था. गौरतलब है कि लोकसभा चुनाव 2019 से ऐन पहले पुलवामा आतंकी हमले और उसकी प्रतिक्रियास्वरूप पाक अधिकृत कश्मीर में सर्जिकल स्ट्राइक ने भारत में राष्ट्रवाद की ऐसी अलख जगाई कि कांग्रेस और अन्य विपक्ष के राफेल, महंगाई, बेरोजगारी सरीखे मुद्दे धरे के धरे रह गए और मोदी कहीं मजबूती के साथ सत्तानशीं हुए. हालांकि ट्रंप के इस कदम से न सिर्फ पश्चिम एशिया, बल्कि समूची दुनिया को एक और 'विश्व युद्ध' को लेकर आशंकित कर दिया है.
यह भी पढ़ेंः पाकिस्तानी मुस्लिम नेताओं के एक प्रतिनिधिमंडल ने ननकाना साहिब का दौराकर हमले की निंदा की
पश्चिम एशिया के कूटनीतिक और सामरिक समीकरण ध्वस्त
इस हफ्ते की शुरुआत में बगदाद में अमेरिकी दूतावास पर हुए प्रदर्शन के बाद अमेरिकी राष्ट्रपति ने ईरान की कुद्स फोर्स के सर्वेसर्वा कासिम सुलेमानी के मौत के परवाने पर हस्ताक्षर कर दिए थे. इस आदेश के बाद इराक में बगदाद हवाई अड्डे के बाहर अमेरिका के ड्रोन हमले में सुलेमानी समेत कई शिया मिलिशिया के वरिष्ठ सदस्य मारे गए. अमेरिका की इस उकसावेपूर्ण कार्रवाई ने पश्चिम एशिया को युद्ध के मुहाने पर लाकर खड़ा कर दिया है. ईरान की 'जबर्दस्त बदला' लेने की चेतावनी के बाद अगर यह युद्ध भड़कता है, तो उसे तीसरे विश्व युद्ध में तब्दील होने से शायद ही कोई ताकत रोक सके. इसके साथ ही सुलेमानी की मौत ने पश्चिम एशिया के कूटनीतिक और सामरिक समीकरण भी ध्वस्त कर दिए हैं.
यह भी पढ़ेंः पाकिस्तान में ननकाना साहिब पर पथराव का विरोध, कांग्रेस कार्यकर्ताओं ने PAK उच्चायोग के बाहर किया प्रदर्शन
आईएस के खात्मे का श्रेय जाता है सुलेमानी को
गौरतलब है कि ईरान के सर्वोच्च नेता अयातुल्ला अल खामेनेई के बेहद करीबी माने जाने वाले शीर्ष कमांडर कासिम सुलेमानी को देश में तो नायक सरीखा दर्जा प्राप्त ही था, बल्कि कट्टरपंथी शियाओं में भी उन्हें बेहद सम्मान के साथ देखा जाता था. अयातुल्ला ने खुद ईरान-इराक युद्ध में सुलेमानी के रणनीतिक और सामरिक कौशल को देखते हुए 'जीवित शहीद' की उपाधि से नवाजा था. कासिम सुलेमानी सीरिया और इराक में ईरानी कार्रवाई को अंजाम देने वाले बेहद वाहिद शख्स थे. उनकी ही मदद से सीरिया की बशर-अल-असद की सरकार कट्टरपंथी मुल्लाओं के संगठन आईएसआईएस से मुक्ति हासिल कर सकी थी. यही बात इराक पर भी लागू होती है. यहां यह भूलना नहीं होगा कि सुलेमानी के नेतृत्व में ही ईरान ने शिया मिलिशिया का गठन कर उन्हें प्रशिक्षित किया, जिसकी मदद से सीरिया और इराक में आईएस का खात्मा किया जा सका.
यह भी पढ़ेंः शिया मुसलमानों के 'जेम्स बांड' कमांडर सुलेमानी को सऊदी का वर्चस्व बढ़ाने के लिए मारा गया
विद्यमान संकट के लिए ट्रंप ही जिम्मेदार
ट्रंप संभवतः कासिम सुलेमानी के इस योगदान को भूल गए. वह भूल गए कि इराकी सेना और कुर्द अर्ध सैनिक बलों के साथ शिया मिलिशिया ने आईएस के खिलाफ सघन मोर्चा खोला था. अमेरिकी वायुसेना के हवाई हमलों के बल पर जमीन पर इसी कारण आईएस का उत्तरी इराक से खदेड़ा जा सका. इसे दुर्भाग्य ही कहा जाएगा कि अमेरिका और इराक की मदद करने वाला सैन्य अधिकारी इराकी सरजमीं पर अमेरिकी ड्रोन हमले में मारा गया. इस रोमांचकारी कदम को उठाने के साथ ही समग्र विश्व खासकर पश्चिम एशिया को जिस संकट में ला खड़ा किया है, उसके लिए सिर्फ औऱ सिर्फ अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ही जिम्मेदार हैं. 2018 में ईरान के साथ हुई परमाणु संधि से खुद को अलग कर उन्होंने शांति की उस नाजुक डोर को तोड़ दिया जिसे खुद उनके पूर्ववर्ती बराक ओबामा ने बड़ी मेहनत से जोड़ा था. कासिम सुलेमानी को मार कर अमेरिका और ईरान के संबंध कहीं रसातल में पहुंच गए हैं. तनाव का यह दौर उस वक्त भी नहीं जन्मा था, जब 1973 में ईरानी क्रांतिकारियों ने तेहरान में अमेरिकी दूतावास को बंधक बना लिया था.
यह भी पढ़ेंः ईरान का शीर्ष कमांडर सुलेमानी कभी अमेरिका का मददगार रहा लेकिन ट्रंप ने उतारा मौत के घाट, जानिए इसका राज
अल-कायदा और आईएसआईएस को देगा खाद-पानी
एक लिहाज से देखें तो महाभियोग का सामना कर राष्ट्रपति ट्रंप को सुलेमानी का मारा जाना अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव में तारणहार लग रहा हो, लेकिन कई सशस्त्र संघर्ष का गवाह और विदेशी दबाव को झेल रहे एक क्षेत्र के लिहाज से यह बेहद गलत कदम है. कासिम सुलेमानी पर हमले और उनके मारे जाने के बाद परमाणु संधि पर नए सिरे से बातचीत शुरू हो सकने की संभावनाओं को उभरने से पहले ही जमींदोज कर दिया है. ईरान अमेरिका के इस ड्रोन हमले को वैसे ही ले रहा है, जिसे कोई और संप्रभुत्तापूर्ण राष्ट्र लेता. हाल के वर्षों में पश्चिम एशिया में अमेरिका ने जितने युद्ध लड़े हैं, ईरान से संभावित युद्ध उससे बेहद जुदा साबित होगा. यह पूरे पश्चिम एशियाई क्षेत्र में श्रृंखलाबद्ध हमलों की शुरुआत हो सकता है. यानी पहले से पश्चिम एशिया में अस्थिर चल रही स्थितियां और बिगड़ सकती हैं. ईरान और अमेरिका के बीच युद्ध वास्तव में अल-कायदा और आईएसआईएस को संगठित होने के लिए जरूरी खाद-पानी ही उपलब्ध कराएगा. इसके बाद इसकी चपेट में मुस्लिम राष्ट्रों समेत शेष विश्व का आना महज वक्ती बात ही रह जाएगी.
Don't Miss
वीडियो
IPL 2024
मनोरंजन
-
Kajol Workout Routine: 49 की उर्म में ऐसे इतनी फिट रहती हैं काजोल, शेयर किया अपना जिम रुटीन
-
Viral Photos: निसा देवगन के साथ पार्टी करते दिखे अक्षय कुमार के बेटे आरव, साथ तस्वीरें हुईं वायरल
-
Moushumi Chatterjee Birthday: आखिर क्यों करियर से पहले मौसमी चटर्जी ने लिया शादी करने का फैसला? 15 साल की उम्र में बनी बालिका वधु
धर्म-कर्म
-
Vikat Sanakashti Chaturthi 2024: विकट संकष्टी चतुर्थी व्रत कब? बस इस मूहूर्त में करें गणेश जी की पूजा, जानें डेट
-
Shukra Gochar 2024: शुक्र ने किया मेष राशि में गोचर, यहां जानें किस राशि वालों पर पड़ेगा क्या प्रभाव
-
Buddha Purnima 2024: कब है बुद्ध पूर्णिमा, वैशाख मास में कैसे मनाया जाएगा ये उत्सव
-
Shani Shash Rajyog 2024: 30 साल बाद आज शनि बना रहे हैं शश राजयोग, इन 3 राशियों की खुलेगी लॉटरी