Delhi MCD चुनावों में आखिर बीजेपी को पीछे छोड़ने में आप की किसने और कैसे मदद की...
दिल्ली एमसीडी चुनाव में रविवार को हुए मतदान में दक्षिणी दिल्ली के संपन्न इलाकों में सबसे कम मतदान हुआ, जबकि ग्रामीण इलाकों और पूर्वोत्तर दिल्ली के कुछ हिस्सों में सबसे अधिक मतदान प्रतिशत देखा गया.
highlights
- दिल्ली में केजरीवाल की लोकप्रियता वाला बीजेपी के पास एक भी नेता नहीं
- केजरीवाल सरकार की योजना के लाभार्थियों को डबल इंजन का वादा भाया
- बीजेपी के लिए हार का एक बड़ा कारण सत्ता विरोधी लहर से उबरना था
नई दिल्ली:
अपनी सरकार की योजनाओं के लाभार्थियों पर ध्यान केंद्रित करना, मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल (Arvind Kejriwal) को एमसीडी चुनाव (MCD Election 2022) अभियान का चेहरा बनाना और राज्य नागरिक निकाय पर शासन करने वाली एक ही पार्टी यानी 'डबल इंजन' का वादा... ये प्रमुख कारण रहे जिन्होंने एमसीडी चुनाव में आम आदमी पार्टी (AAP) को बहुमत दिलाने में केंद्रीय भूमिका निभाई. इसमें कोई शक नहीं है कि इस बार एमसीडी चुनाव में भारतीय जनता पार्टी (BJP) के लिए चुनौतिय़ां भी कतई कम नहीं थी. दिल्ली एमसीडी (MCD Elections) में लगातार तीन बार से बीजेपी ही कब्जा करती आ रही थी. ऐसे में उसे एक बड़ी सत्ता विरोधी लहर का सामना करना पड़ा; उसके पास दिल्ली में एक ऐसे नेता की कमी भी थी, जो लोकप्रियता के मामले में केजरीवाल की बराबरी कर सके. बीजेपी यह भी बताने में असफल रही कि कैसे उसके नेतृत्व में दिल्ली एमसीडी भ्रष्टाचार और अक्षमता के दाग को धोने में असफल रही. यह अलग बात है बुधवार को एमसीडी चुनाव के बाद शुरू हुई मतगणना के शुरुआती दौर में बीजेपी एग्जिट पोल कराने वालों समेत आप को कुछ समय के लिए डराने में सफल रही.
पॉश इलाकों के कम मतदान ने आप को दिलाई बढ़त
आरडब्ल्यूए के वर्चस्व वाले पॉश इलाकों और नागरिक समस्याओं से जमीनी स्तर पर प्रभावित शहर के गरीब हिस्सों ने मतदान में बड़ी भूमिका निभाई. दिल्ली के वे लोग जो टीवी पर हो रहे शोर को सुनते हैं उनके लिए एमसीडी चुनाव बहुत मतलब का नहीं रहता है. हालांकि शहर के समस्या प्रधान इलाके आप के काम से रूबरू थे. एमसीडी चुनाव में विधानसभा या लोकसभा चुनाव सरीखा शोर नहीं करते हैं. दिल्ली राज्य चुनाव आयोग के आंकड़े प्रमाण हैं कि दिल्ली एमसीडी चुनाव में रविवार को हुए मतदान में दक्षिणी दिल्ली के संपन्न इलाकों में सबसे कम मतदान हुआ, जबकि ग्रामीण इलाकों और पूर्वोत्तर दिल्ली के कुछ हिस्सों में सबसे अधिक मतदान प्रतिशत देखा गया. गरीब पड़ोस, अनधिकृत कॉलोनियां, जेजे क्लस्टर और ग्रामीण दिल्ली सरकार की योजनाओं से लाभान्वित होने वालों में एक बड़ी संख्या रखते हैं. बिजली सब्सिडी से लेकर महिलाओं के लिए मुफ्त बस सवारी इन्हीं इलाकों में रहती है. उन्हें दिल्ली की आप सरकार की इन योजनाओं से लाभ मिला था, तो उन्होंने आप के पक्ष में मतदान करने में एक बार भी नहीं सोचा.
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कचरा और टूटी सड़कों ने तोड़ा बीजेपी का सपना
दिल्ली एमसीडी चुनाव में हाशिये पर रहने वाले लोगों पर केंद्रित अभियान और मध्यवर्गीय इलाकों के लिए आप के और वादे रंग लाए. खासकर दिल्ली में केजरीवाल की सरकार और केजरीवाल के पार्षद का नारा इस वर्ग को दिल से भाया, क्योंकि इसमें वादा था कि क्षेत्र में एक ही पार्षद और विधायक होने से जन समस्याओं का समाधान आसान होगा. जिन कॉलोनियों में आरडब्ल्यूए काम करते हैं, वे अक्सर खुद को आप के विधायकों और भाजपा पार्षदों के बीच फंसा पाते हैं. एक बार जब वे महसूस करते हैं कि उनकी आवाज़ अधिक आसानी से सुनी जाएगी, तो वे विचारधारा के बारे में भूल जाते हैं. सभी पार्टियों के नेताओं को अपने-अपने मोहल्लों में दो नागरिक मुद्दे सबसे ऊपर सुनाई पड़े... कचरा और टूटी सड़कें. एक आप विधायक ने कहा, 'हमने इन पर विशेष रूप से स्वच्छता और साफ-सफाई पर ध्यान देना सुनिश्चित किया.' भाजपा पर दबाव बनाने वाला एक अन्य कारक आप द्वारा ऐसे मुद्दों पर लगातार प्रेस कांफ्रेंस करना था. गौरतलब है कि अप्रैल 2020 और एमसीडी चुनावों के बीच आप ने नागरिक मसलों पर 800 से अधिक प्रेस कांफ्रेंस कीं.
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