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PM मोदी ने सबसे बड़े सोलर पावर प्लांट का किया उद्घाटन, बोले- 21वीं सदी की ऊर्जा जरूरतों को पूरा करने का सबसे बड़ा माध्यम बनेगी सौर ऊर्जा

बता दें कि इसी साल जनवरी में 750 मेगावाट की क्षमता के साथ यहां बिजली उत्पादन शुरू हो गया था, लेकिन प्रधानमंत्री मोदी से समय नहीं मिलने की वजह से इसका लोकार्पण नहीं हो पाया था.

Updated on: 10 Jul 2020, 11:55 AM

नई दिल्ली:

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Prime Minister Narendra Modi) ने मध्यप्रदेश के रीवा में एशिया के सबसे बड़े सौर संयंत्र (Solar Project) का वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए उद्घाटन किया. संयंत्र की क्षमता 750 मेगावट बिजली उत्पादन की है. यह संयंत्र रीवा जिला मुख्यालय से 25 किलोमीटर दूर गुढ़ में 1590 एकड़ में फैला हुआ है. बता दें कि इसी साल जनवरी में 750 मेगावाट की क्षमता के साथ यहां बिजली उत्पादन शुरू हो गया था, लेकिन प्रधानमंत्री मोदी से समय नहीं मिलने की वजह से इसका लोकार्पण नहीं हो पाया था.

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750 मेगावॉट क्षमता की रीवा अल्ट्रा मेगा सौर परियोजना को राष्ट्र को किया समर्पित
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से मध्य प्रदेश में 750 मेगावॉट क्षमता की रीवा अल्ट्रा मेगा सौर परियोजना को राष्ट्र को समर्पित किया. उन्होंने कहा कि आज रीवा में वाकई इतिहास रच दिया है. रीवा की पहचान मां नर्मदा के नाम से और सफेद बाघ से रही है. अब इसमें एशिया के सबसे बड़े सोलर पावर का नाम भी जुड़ गया है. रीवा का ये सोलर प्लांट इस पूरे क्षेत्र को, इस दशक में ऊर्जा का बहुत बड़ा केंद्र बनाने में मदद करेगा. इस सोलर प्लांट से मध्य प्रदेश के लोगों को, यहां के उद्योगों को तो बिजली मिलेगी ही, दिल्ली में मेट्रो रेल तक को इसका लाभ मिलेगा. इसके अलावा रीवा की ही तरह शाजापुर, नीमच और छतरपुर में भी बड़े सोलर पावर प्लांट पर काम चल रहा है.

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सस्ती और साफ-सुथरी बिजली का हब बनेगा मध्यप्रदेश
उन्होंने कहा कि ये तमाम प्रोजेक्ट जब तैयार हो जाएंगे, तो मध्य प्रदेश निश्चित रूप से सस्ती और साफ-सुथरी बिजली का हब बन जाएगा. इसका सबसे अधिक लाभ मध्य प्रदेश के गरीब, मध्यम वर्ग के परिवारों, किसानों, आदिवासियों को होगा. उन्होंने कहा कि सौर ऊर्जा आज की ही नहीं बल्कि 21वीं सदी की ऊर्जा ज़रूरतों का एक बड़ा माध्यम होने वाला है, क्योंकि सौर ऊर्जा Sure है, Pure है और Secure है. उन्होंने कहा कि जैसे-जैसे भारत विकास के नए शिखर की तरफ बढ़ रहा है, हमारी आशाएं-आकांक्षाएं बढ़ रही हैं, वैसे-वैसे हमारी ऊर्जा की, बिजली की ज़रूरतें भी बढ़ रही हैं. ऐसे में आत्मनिर्भर भारत के लिए बिजली की आत्मनिर्भरता बहुत आवश्यक है.

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उन्होंने कहा कि जब हम आत्मनिर्भरता की बात करते हैं, प्रगति की बात करते हैं तो अर्थव्यवस्था उसका एक अहम पक्ष होता है. पूरी दुनिया के नीति निर्माता बरसों से दुविधा में है, कि अर्थव्यवस्था की सोचें या पर्यापरण की. आज आप देखेंगे कि सरकार के जितने भी कार्यक्रम हैं, उनमें पर्यावरण सुरक्षा और Ease of Living को प्राथमिकता दी जा रही है. हमारे लिए पर्यावरण की सुरक्षा सिर्फ कुछ प्रोजेक्ट्स तक सीमित नहीं हैं, बल्कि ये Way of Life है. जब हम renewable energy के बड़े projects लॉन्च कर रहे हैं, तब हम ये भी सुनिश्चित कर रहे हैं कि साफ-सुथरी ऊर्जा के प्रति हमारा संकल्प जीवन के हर पहलू में दिखे. हम कोशिश कर रहे हैं कि इसका लाभ देश के हर कोने, समाज के हर वर्ग, हर नागरिक तक पहुंचे.

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LED बल्ब से रुक रही है करीब साढ़े 4 करोड़ टन कम कार्बनडाइऑक्साइड
उन्होंने कहा कि LED बल्ब से बिजली का बिल कम हुआ है. एलईडी बल्ब से करीब 600 अरब यूनिट बिजली की खपत कम हुई है. बिजली की बचत के साथ लोगों को रोशनी भी अच्छी मिल रही है. साथ ही हर साल करीब 24,000 करोड़ रुपये की बचत मध्यम वर्ग को हो रही है. इसके अलावा LED बल्ब से करीब साढ़े 4 करोड़ टन कम कार्बनडाइअकसाइड पर्यावरण में जाने से रुक रही है, यानि प्रदूषण कम हो रहा है. बिजली सबतक पहुंचे, पर्याप्त बिजली पहुंचे. हमारा वातावरण, हमारी हवा, हमारा पानी भी शुद्ध बना रहे, इसी सोच के साथ हम निरंतर काम कर रहे हैं. यही सोच सौर ऊर्जा को लेकर हमारी नीति और रणनीति में भी स्पष्ट झलकती है. उन्होंने कहा कि जिस तरह से भारत में सोलर पावर पर काम हो रहा है, ये चर्चा और बढ़ने वाली है. ऐसे ही बड़े कदमों के कारण भारत को क्लीन एनर्जी का सबसे आकर्षक बाजार माना जा रहा है. उन्होंने कहा कि दुनिया की, मानवता की, भारत से इसी आशा, इसी अपेक्षा को देखते हुए, हम पूरे विश्व को जोड़ने में जुटे हुए हैं. इसी सोच का परिणाम आइसा यानि इंटरनेशनल सोलर अलायंस है. वन वर्ल्ड, वन सन, वन ग्रिड, के पीछे की यही भावना है.

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सौर ऊर्जा ने आम ग्राहक को भी बना दिया उत्पादक 

उन्होंने कहा कि एक प्रकार से सौर ऊर्जा ने आम ग्राहक को उत्पादक भी बना दिया है, पूरी तरह से बिजली के बटन पर कंट्रोल दे दिया है. बिजली पैदा करने वाले बाकी माध्यमों में सामान्य जन की भागीदारी ना के बराबर रहती है. जो पहला प्लांट है, जो पारंपरिक खेती है, वो हमारा किसान ऐसी जमीन पर लगाता है जो उपजाऊ होती है, लेकिन ये जो दूसरा सोलर एनर्जी प्लांट है, ये ऐसी जमीन पर भी लगेगा जो उपजाऊ नहीं है, फसल के लिहाज से अच्छी नहीं है. उन्होंने कहा कि मुझे पूरा विश्वास है कि मध्य प्रदेश के किसान साथी भी अतिरिक्त आय के इस साधन को अपनाने और भारत को Power Exporter बनाने के इस व्यापक अभियान को ज़रूर सफल बनाएंगे. ये विश्वास इसलिए अधिक है क्योंकि मध्य प्रदेश के किसानों ने संकल्प को सिद्धि में बदलकर दिखाया है. उन्होंने कहा कि सोलर पावर की ताकत को हम तब तक पूरी तरह से उपयोग नहीं कर पाएंगे, जब तक हमारे पास देश में ही बेहतर सोलर पैनल, बेहतर बैटरी, उत्तम क्वालिटी की स्टोरेज कैपेसिटी का निर्माण ना हो. अब इसी दिशा में तेज़ी से काम चल रहा है.