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संसद में मोदी-शाह ने किया था बतौर सीएम देवेंद्र फडणवीस के इस्तीफे पर फैसला

महाराष्ट्र के सियासी संग्राम की पटकथा अगर दिल्ली में ही लिखी गई, तो महाराष्ट्र के सबसे कम दिनों के मुख्यमंत्री बनने का 'गौरव' हासिल करने वाले देवेंद्र फडणवीस के इस्तीफे रूपी परवाने पर दस्तखत भी दिल्ली में हुए.

Updated on: 27 Nov 2019, 07:01 AM

highlights

  • फ्लोर टेस्ट में नाकामी तय जान मोदी-शाह ने कहा फडणवीस इस्तीफा दें.
  • अजित पवार के तय विधायकों को नहीं ला पाने की स्थिति भी बनी वजह.
  • किरकिरी की भरपाई के लिए आगे की रणनीति पर चर्चा शुरू.

New Delhi:

महाराष्ट्र के सियासी संग्राम की पटकथा अगर दिल्ली में ही लिखी गई, तो महाराष्ट्र के सबसे कम दिनों के मुख्यमंत्री बनने का 'गौरव' हासिल करने वाले देवेंद्र फडणवीस के इस्तीफे रूपी परवाने पर दस्तखत भी दिल्ली में हुए. सूत्रों के मुताबिक सुप्रीम कोर्ट के अंतरिम आदेश के आने पर संसद भवन में मंगलवार दोपहर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह और कार्यकारी अध्यक्ष जे.पी. नड्डा की बैठक में महाराष्ट्र में मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस से इस्तीफा दिलाने का फैसला हुआ.

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फ्लोर टेस्ट में किरकिरी से बचने के लिए फैसला
सूत्रों के मुताबिक इसकी सबसे बड़ी वजह यही रही कि सुप्रीम कोर्ट का फैसला आने के बाद ही अजित पवार ने डिप्टी सीएम पद से इस्तीफा दे दिया. इसके बाद पार्टी के शीर्ष नेताओं को किसी भी स्थिति में सरकार बचाने के लिए बहुमत की व्यवस्था होती नहीं दिख रही थी. ऐसे में उन्हें लगा कि अल्पमत में होने के बावजूद फ्लोर टेस्ट का सामना करने पर ज्यादा किरकिरी की गुंजाइश है. इसके बाद ही देवेंद्र फडणवीस से इस्तीफा देने को कह दिया गया.

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आधे घंटे तक मोदी-शाह और नड्डा में हुआ मंथन
गौरतलब है कि 26 नवंबर को संविधान दिवस पर राज्यसभा और लोकसभा के विशेष संयुक्त सत्र में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भाग ले रहे थे. इस दौरान महाराष्ट्र मसले पर सुप्रीम कोर्ट का फैसला आ गया. सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार तक बहुमत परीक्षण कराने का आदेश दे दिया. विशेष संयुक्त सत्र खत्म होने के बाद तुरंत बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के कक्ष में अमित शाह और जेपी नड्डा महाराष्ट्र के राजनीतिक घटनाक्रम पर बात करने पहुंचे. करीब आधे घंटे तक तीनों नेताओं की इस मसले पर चर्चा चली.

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अजित पवार नाकाम रहे एनसीपी विधायकों को तोड़ने में
सूत्र बता रहे हैं कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बहुमत की संभावनाओं के बारे में बात की. जब यह पता लगा कि अजित पवार वादे के मुताबिक समुचित विधायक लाने में नाकाम दिख रहे हैं, तो तय हुआ कि फ्लोर टेस्ट से पहले ही इस्तीफा देकर पार्टी का सम्मान बचाया जाए. माना जा रहा है कि फ्लोर टेस्ट से पहले ही इस्तीफा देने से पार्टी को लगा कि इससे कुछ डैमेज कंट्रोल हो सकता है. अल्पमत में होने के बावजूद अगर भाजपा फ्लोर टेस्ट का इंतजार करती और फिर मुंह की खाती तो ज्यादा किरकिरी होती. यह मीटिंग खत्म होने तक अजित पवार के भी इस्तीफा देने की खबर आ गई.

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अब भरपाई के प्रयास शुरू
सूत्र बताते हैं कि इस मीटिंग के बाद देवेंद्र फडणवीस को भी इस्तीफा देने का संदेश पार्टी नेतृत्व ने भेज दिया. इसके बाद फडणवीस की ओर से साढ़े तीन बजे प्रेस कांफ्रेंस की सूचना जारी की गई.। फिर इस प्रेस कांफ्रेंस में उन्होंने इस्तीफे का ऐलान किया. हालांकि बीजेपी नेतृत्व अब इस पर विचार विमर्श कर रहा है कि महाराष्ट्र के इस पूरे सियासी संग्राम से बीजेपी की जो किरकिरी हुई है, उसकी भरपाई कैसे की जाए.