लोकसभा में राष्ट्रीय पिछड़ा वर्ग आयोग को संवैधानिक दर्जा देने वाला बिल पास
राष्ट्रीय पिछड़ा वर्ग आयोग को संवैधानिक दर्जा देने के संबंध में 123वां संविधान संशोधन विधेयक लोकसभा से पास हो गया है।
नई दिल्ली:
राष्ट्रीय पिछड़ा वर्ग आयोग को संवैधानिक दर्जा देने के संबंध में 123वां संविधान संशोधन विधेयक लोकसभा से पास हो गया है। गुरुवार (2 अगस्त) दो तिहाई से अधिक बहुमत के साथ सर्वसम्मति से इसे मंजूरी प्रदान कर दी गई।
सदन ने राज्यसभा की तरफ से विधेयक में किए गये संशोधनों को निरस्त करते हुए वैकल्पिक संशोधन और और संशोधनों के साथ ‘संविधान (123वां संशोधन) विधेयक, 2017’ पारित कर दिया। सदन में मतविभाजन के दौरान विधेयक के पक्ष में 406 सदस्यों ने मत दिया। विपक्ष में एक भी वोट नहीं पड़ा।
The Constitution (123rd Amendment) Bill, 2017 passed in Lok Sabha. The bill grants National Commission on Backward Classes (NCBC) constitutional status, par with National Commission for Scheduled Castes and Scheduled Tribes (NCSC and NCST). pic.twitter.com/VuxG4yUGjb
— ANI (@ANI) August 2, 2018
बीजद की ओर से पेश संशोधन को नकार दिया गया
मोदी सरकार के संशोधनों को भी सर्वसम्मति से स्वीकार कर लिया गया। लोकसभा में करीब पांच घंटे तक चली चर्चा के दौरान 32 सदस्यों ने हिस्सा लिया। विधेयक के पारित होते समय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सदन में उपस्थित थे। इससे पहले बीजू जनता दल (बीजद) के भर्तृहरि महताब की ओर से पेश संशोधन को सदन ने 84 के मुकाबले 302 मतों से नकार दिया।
दोबारा लोकसभा में लाया गया बिल
केंद्रीय सामाजिक न्याय मंत्री थावरचंद गहलोत ने विधेयक पर चर्चा के दौरान कहा,’ नरेंद्र मोदी की अगुवाई वाली सरकार ने पिछड़ा वर्ग आयोग को संवैधानिक दर्जा देने का संकल्प लिया था, इसलिए इसे दोबारा लोकसभा में राज्यसभा के संशोधनों पर वैकल्पिक संशोधनों के साथ लाया गया है।‘
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संवैधानिक दर्जा मिलने के बाद यह आयोग होगा मजबूत
उन्होंने कहा, ‘आयोग को संवैधानिक दर्जा मिलने के बाद यह आयोग सक्षम तरीके से समस्याओं का समाधान कर पाएगा। इस सदन में जो भी संशोधन प्रस्ताव आए थे उसे मंजूर किया गया है। जाति में शामिल करने संबंधित मामले राज्य सरकार की सिफारिश पर सुलझाए जा सकते हैं और राज्यों की सिफारिश राजिस्ट्रार, आयोग, कैबिनेट और फिर संसद की मंजूरी के बाद ही उसपर फैसला लिया जा सकता है।‘
महिला सदस्य को शामिल करने का आश्वासन
थावर ने आगे कहा, ‘आयोग में महिला सदस्य को शामिल करने की महताब और अन्य सदस्यों की मांग के संदर्भ में सरकार ने आश्वासन दिया था कि नियम बनाते समय ऐसा किया जाएगा। इस आश्वासन को सरकार दोहराती है। एससी और एसटी आयोग की शब्दावली में भी महिला सदस्य को लेकर कोई उल्लेख नहीं है।
गौरतलब है कि 1993 में गठित पिछड़ा वर्ग आयोग अभी तक सामाजिक और शैक्षणिक आधार पर पिछड़ी जातियों को पिछड़े वर्गों की सूची में शामिल करने या पहले से शामिल जातियों को सूची से बाहर करने का काम करता था। लेकिन अब आयोग को पिछड़े वर्गों की शिकायतों का निवारण करने का अधिकार मिल जाएगा।
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