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शाहीन बाग में अब आपसी मतभेद ज्यादा, नाम और चेहरा चमकाने की होड़

शाहीन बाग में और कुछ लोग अपनी राजनीति (Politics) चमकाने में लगे हुए हैं, जिस कारण दो महीने से ज्यादा समय से यहां धरना दे रहीं प्रदर्शनकारी महिलाओं को सबसे ज्यादा परेशानी हो रही है.

Updated on: 17 Feb 2020, 01:06 PM

highlights

  • शाहीन बाग में कुछ लोग अपनी राजनीति चमकाने में लगे.
  • प्रदर्शनकारी महिलाओं को हो रही सबसे ज्यादा परेशानी.
  • सुप्रीम कोर्ट के फैसले का इंतजार कर रहे प्रदर्शनकारी.

नई दिल्ली:

शाहीन बाग (Shaheen Bagh) में रविवार को बड़ी संख्या में प्रदर्शनकारी (Protestors) जुटे. सभी प्रदर्शनकारी ने तय किया कि वे केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह (Amit Shah) के आवास पर जानकार उनसे सीएए (CAA) और एनआरसी (NRC) को लेकर बात करेंगे, लेकिन इजाजत न मिलने की वजह से प्रदर्शनकारी शाहीनबाग से आगे नहीं बढ़ पाए. बाद में प्रदर्शनकारियों के बीच मतभेद (Conflicts) दिखने लगा और मीडिया में दिखने की होड़ मच गई. शाहीन बाग में और कुछ लोग अपनी राजनीति (Politics) चमकाने में लगे हुए हैं, जिस कारण दो महीने से ज्यादा समय से यहां धरना दे रहीं प्रदर्शनकारी महिलाओं को सबसे ज्यादा परेशानी हो रही है.

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कैमरे में आने की होड़
रविवार को तय किया गया था कि सभी प्रदर्शनकारी गृहमंत्री अमित शाह के आवास की ओर कूच करेंगे, लेकिन इजाजत नहीं मिलने से आखिरी वक्त में यह नामुमकिन हो गया. उस दौरान वहां पहुंचे मीडिया के कैमरों में दिखने की होड़ मच गई. प्रदर्शनकारी आपसी तालमेल न होने की बात कहते हुए एक-दूसरे से कई बार लड़ते देखे गए. आखिरकार यह तय हुआ कि वहां मौजूद डीसीपी आरपी मीणा और एडिशनल डीसीपी कुमार ज्ञानेश से सिर्फ 'दादियां' बात करेंगी. एक दादी का नाम सरवरी और दूसरी का नाम बिल्किस है. उन्होंने पुलिस के वरिष्ठ अधिकारियों से मार्च निकालने की इजाजत के बाबात बात की.

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प्रदर्शनकारियों की अर्जी भेजी दिल्ली पुलिस को
अधिकारियों ने कहा, 'हमने आपकी अर्जी दिल्ली पुलिस हेडक्वॉर्टर को भेज दी है, चीजें प्रक्रिया में हैं. वहां से इजाजत आएगी तो हम आपको बता देंगे और आपको सुरक्षा मुहैया कराके ले जाएंगे.' प्रदर्शनकारियों में कई लोग ऐसे भी थे जो इस बात पर जोर दे रहे थे कि एक कमेटी होनी चाहिए जो हर चीज तय करे. फिलहाल शाहीन बाग में सभी प्रदर्शनकारी अपनी जगह शांतिपूर्ण तरीके से विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं और सुप्रीम कोर्ट के फैसले का इंतजार कर रहे हैं.