प्रशांत भूषण को 6 माह की कैद या जुर्माना, SC का फैसला आज
अदालत की अवमानना कानून के तहत प्रशांत भूषण को छह महीने की सामान्य कैद या दो हजार रुपये का जुर्माना या एक साथ दोनों सजा हो सकती है.
नई दिल्ली:
प्रशांत भूषण (Prashant Bhushan) के खिलाफ अवमानना मामले (Contempt Case) में सोमवार को सर्वोच्च न्यायालय (Supreme Court) अपना फैसला सुनाएगी. न्यायपालिका के खिलाफ दो आपत्तिजनक ट्वीट (Tweet) करने के मामले में शीर्ष अदालत ने 14 अगस्त को प्रशांत भूषण को दोषी ठहराया था. जस्टिस अरुण मिश्र की अध्यक्षता वाली तीन सदस्यीय पीठ प्रशांत भूषण को सजा सुनाएगी. अदालत की अवमानना कानून के तहत प्रशांत भूषण को छह महीने की सामान्य कैद या दो हजार रुपये का जुर्माना या एक साथ दोनों सजा हो सकती है.
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राजीव धवन ने की माफ करने की अपील
इससे पहले सुप्रीम कोर्ट ने प्रशांत भूषण को माफी मांगने के लिए समय दिया था, लेकिन उन्होंने माफी मांगने से इंकार कर दिया था. इसके बाद 25 अगस्त को सुनवाई के दौरान प्रशांत भूषण के वकील राजीव धवन ने पीठ से भूषण को सजा नहीं देने का आग्रह किया था. पिछली सुनवाई पर जस्टिस मिश्र की अध्यक्षता वाली तीन सदस्यीय पीठ ने भूषण से कहा था कि आखिर वह क्यों माफी नहीं मांग सकते. माफी शब्द बोलने में उन्हें दिक्कत क्या है.
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पिछली सुनवाई में फैसला रखा सुरक्षित
इसके बाद मंगलवार को प्रशांत भूषण की सज़ा पर सुप्रीम कोर्ट ने फैसला सुरक्षित रख लिया था. सुप्रीम कोर्ट ने अवमानना के मामले में प्रशांत भूषण को सजा सुनाने के मुद्दे पर अटार्नी जनरल से उनकी राय मांगी थी. जिस पर अटारनी जनरल ने कहा कि भूषण का ट्वीट यह बताने के लिए था कि ज्यूडिशरी को अपने अंदर सुधार लाने की जरूरत है, इसलिए चेतावनी देकर भूषण को छोड़ देना चाहिए. पिछली सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि भूषण ने सोमवार को कोर्ट में जो अपना बयान दाखिल किया है उसमें उम्मीद थी कि अपने रवैये में भूषण कुछ सुधार करेंगे, लेकिन ऐसा नहीं है.
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अंतरात्मा का हवाला देकर भूषण ने किया था माफी से इंकार
सुप्रीम कोर्ट ने अटार्नी जनरल से कहा कि हमने भूषण को मौका दिया था. गलती हमेशा गलती होती है और संबंधित व्यक्ति को यह महसूस होना चाहिए. इससे पहले, सोमवार को वरिष्ठ वकील और सामाजिक कार्यकर्ता प्रशांत भूषण ने अवमानना मामले में सुप्रीम कोर्ट से बिना शर्त माफी मांगने से इनकार कर दिया था. उनका कहना था कि उनके बयान सद्भावनापूर्ण थे और अगर वे माफी मांगेंगे तो ये उनकी अंतरात्मा और उस संस्थान की अवमानना होगी जिसमें वह सर्वोच्च विश्वास रखते हैं.
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दो ट्वीट को एससी ने माना अदालत की अवमानना
गौरतलब है कि 20 अगस्त को प्रशांत भूषण अवमानना मामले में शीर्ष अदालत ने सजा पर सुनवाई टाल दी थी. कोर्ट ने उनको अपने लिखित बयान पर फिर से विचार करने को कहा था और उन्हें इसके लिए दो दिन समय भी दिया था. भूषण ने 29 जून को एक ट्वीट किया था, जिसमें उन्होंने प्रधान न्यायाधीश एसए बोबडे की एक तस्वीर पोस्ट की थी, जिसमें वह एक महंगी बाइक पर बैठे थे. उन्होंने तस्वीर के साथ आपत्तिजनक टिप्पणी भी की थी. उसके बाद दूसरे ट्वीट में उन्होंने देश के हालात को लेकर पिछले चार प्रधान न्यायाधीशों की भूमिका पर सवाल उठाए थे. भूषण के खिलाफ अवमानना का एक और मामला सुप्रीम कोर्ट में लंबित है.
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