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पीएम मोदी बोले, उपभोक्ता संरक्षण सरकार की प्राथमिकता, जल्द लाएंगे कानून, जीएसटी से भी होगा फायदा

उपभोक्ताओं के संरक्षण के लिये सरकार नया कानून लेकर आ रही जिसमें भ्रामक प्रचारों के खिलाफ कार्रवाई और उपभोक्ताओं की शिकायतें एक समयसीमा के तहत दूर की जाएगी।

Updated on: 26 Oct 2017, 02:45 PM

नई दिल्ली:

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा है कि उनकी सरकार उपभोक्ताओं के संरक्षण के लिये नया कानून लेकर आ रही है। साथ ही कहा कि भ्रामक प्रचारों के खिलाफ कार्रवाई और उपभोक्ताओं की शिकायतें एक समयसीमा के तहत दूर की जाएगी।

उन्होंने कहा कि जीएसटी को लागू किये जाने से कंपनियों में प्रतिस्पर्धा आ रही है जिससे उपभोक्ताओं को फायदा मिलेगा। इस प्रतिस्पर्धा से वस्तुओं के दाम कम होंगे।

प्रधानमंत्री ने उपभोक्ता संरक्षण पर आयोजित कानून पर आयोजित कार्यक्रम में कहा, 'आज हम उपभोक्ता संरक्षण कानून बनाने की प्रक्रिया में हैं, जो देश के व्यापार करने और देश की जरूरतों के आधार पर होगी। इस नए कानून में उपभोक्ताओं को ज्यादा अधिकार देने पर जोर दिया जा रहा है।'

उन्होंने कहा, 'इस कानून में भ्रामक प्रचारों के खिलाफ कड़े प्रावधान प्रस्तावित हैं। एक केंद्रीय उपभोक्ता संरक्षण प्राधिकरण बनेगा जहां शिकायतों का तुरंत निवारण किया जाएगा।'

केंद्र सरकार 2015 के संयुक्त राष्ट्र के दिशानिर्देश के अनुसार एक नया उपभोक्ता कानून लेकर आ रही है, जो उपभोक्ता संरक्षण कानून 1986 की जगह लेगा।

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प्रधानमंत्री ने कहा, 'सरकार की प्राथमिकता उपभोक्ताओं के हितों की रक्षा करना है। यो बात हमारे न्यू इंडिया के प्रस्ताव में भी दिखाई देता है। नए भारत में उपभोक्ताओं के संरक्षण और बेहतर व्यापार नीति भी होगी।'

उन्होंने कहा कि सरकार ने पिछले तीन सालों में कई उज्जवला, बीआईएस एक्ट, रियल इस्टेट लॉ, डीबीडी जैसी कई योजनाएं उपभोक्ताओं के संरक्षण के लिये लेकर आई है।

उन्होंने कहा कि जीएसटी आने से देश में व्यापार करने की एक नई पहल हुई है। उपभोक्ता देख सकते हैं कि कितना टैक्स वो केंद्र और राज्य सरकार को दे रहे हैं।

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उन्होंने कहा, 'जीएसटी के दूरगामी परिणाम होंगे, इससे उपभोक्ताओं को फायदा होगा।इस कानून को जानने के बाद कोई भी उपभोक्ता धोखा नहीं खा सकता है।'

चीन, दक्षिण कोरिया, सिंगापुर, बांग्लादेश और श्रीलंका समेत करीब 20 देशों के प्रतिनिधि इस कार्यक्रम में भाग ले रहे हैं। उपभोक्ता संरक्षण को लेकर सभी देश एक दूसरे से अपने अनुभव और तरीकों पर चर्चा करेंगे। साथ ही इस संबंध में कानूनी रूप-रेखा भी तैयार करेंगे।

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