हवाई सफर में लगेंगे और झटके, कसके बांधियेगा अपनी पेटी
विमान में चलने से डरने वालों के लिए एक और बुरी खबर है। एक शोध के मुताबिक जलवायु परिवर्तन के कारण एयर टरब्यूलेंस बढ़ सकता है।
नई दिल्ली:
विमान में चलने से डरने वालों के लिए एक और बुरी खबर है। एक शोध के मुताबिक जलवायु परिवर्तन के कारण एयर टरब्यूलेंस बढ़ सकता है। इसके कारण विमान में झटके लगने के मामलों में बढ़ोत्तरी हो गई है।
यूनिवर्सिटी ऑफ रीडिंग की एक रिसर्च के मुताबिक भविष्य में हल्के टरब्यूलेंस में 59 फीसदी में बढ़त हो सकती है। वहीं मध्य श्रेणी के टरब्यूलेंस में 94 फीसदी और तेज टरब्यूलेंस में 149 फीसदी में भारी बढ़ोत्तरी हो सकती है।
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जानकारों के अनुसार आधुनिक यात्री विमान 10 से 12 किलोमीटर की ऊंचाई पर आराम से उड़ते हैं। रिसर्चर्स के मुताबिक वातावरण में बढ़ती कार्बन डाय ऑक्साइड (Co2) का तापमान पर गहरा असर पड़ता है। उच्च तापमान ऊंचाई पर चढ़ने पर हवा का प्रवाह बदल देगा।
रॉयल सोसाइटी के रिसर्चर डॉक्टर पॉल विलियम्स कहते हैं, 'यह दावा किया जा सकता है कि साफ आसमान के बावजूद ताकतवर एयर टरब्यूलेंस के वाकये बढ़ेंगे, ऐसे टरब्यूलेंस बिना किसी चेतावनी के आते है।'
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अपने इस दावे के पीछे उनका तर्क है कि अब जलवायु परिवर्तन का असर 12 हजार मीटर की ऊंचाई पर भी दिखने लगा है। हाल के दिनों में इसके संकेत भी दिखने लगे हैं। रिसर्चर्स का मानना है कि स्ट्रोसोफीयर पर जलवायु परिवर्तन के असर की वजह से ऐसा होगा।
इन अलग अलग परतों में हवा अलग- अलग रफ्तार से बहती है। विमान के पायलटों को ये परतें नजर नहीं आती हैं। जैसे ही विमान इन अलग अलग परतों से गुजरती है उसे झटके लगने शुरू हो जाते हैं।
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विलियम्स का कहना है,' ज्यादातर यात्रियों के लिए हल्का टरब्यूलेंस परेशान नहीं करता है। बस थोड़ी सी असुविधा महसूस कराता है। वहीं नर्वस फ्लाइर्स के लिए ये तकलीफदेह हो सकता है।'
हालांकि विमान से ज्यादा सफर करने वालों के लिए 149 फीसदी तेज टरब्यूलेंस खतरनाक हो सकता है। इसके कारण विश्वभर में कई यात्रियों और फ्लाइट अटेंडेंट्स को अस्पताल में भर्ती होना पड़ चुका है।
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तेज टरब्यूलेंस के ऐसे मामले लगातार बढ़ते जा रहे हैं और अगर जल्द ही इसपर कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया तो हालात बेहद खतरनाक भी हो सकते हैं। ये शोध जर्नल एडवांस इन एटमॉसफेरिक साइंस में छपी थी।
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