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SC में केंद्र ने बताया, PM कर्नाटक चुनाव में बिजी, इसलिए नहीं तैयार किया जा सका कावेरी जल मसौदा

अटॉर्नी जनरल के के वेणुगोपाल ने गुरुवार को सुप्रीम कोर्ट से कहा कि सरकार कावेरी जल बंटवारे मामले में न्यायालय की योजना लागू करने पर फैसला नहीं ले सकी, क्योंकि प्रधानमंत्री और अन्य मंत्री कर्नाटक में चुनाव प्रचार कर रहे हैं।

Updated on: 03 May 2018, 04:44 PM

highlights

  • कावेरी जल विवाद पर सुप्रीम कोर्ट में केंद्र सरकार की दलील
  • केंद्र ने कहा कि पीएम कर्नाटक चुनाव में बिजी, इसलिए तैयार नहीं हुआ मसौदा

नई दिल्ली:

कावेरी बोर्ड के गठन को लेकर हो रही देरी को लेकर केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट को बताया कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के कर्नाटक चुनाव में व्यस्त होने की वजह से इसका ड्राफ्ट तैयार नहीं किया जा सका है।

अटॉर्नी जनरल के के वेणुगोपाल ने गुरुवार को सुप्रीम कोर्ट से कहा कि सरकार कावेरी जल बंटवारे मामले में न्यायालय की योजना लागू करने पर फैसला नहीं ले सकी, क्योंकि प्रधानमंत्री और अन्य मंत्री कर्नाटक में चुनाव प्रचार कर रहे हैं।

वहीं तमिलनाडु सरकार ने अदालत में अपना पक्ष रखते हुए कहा कि केंद्र कर्नाटक चुनाव से पहले इस मुद्दे का 'राजनीतिकरण' कर रही है।

योजना लागू करने के लिए 10 दिन का समय मांगते हुए वेणुगोपाल ने चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा, जस्टिस ए एम खानविलकर और डी वाई चंद्रचूड़ की पीठ से कहा, 'मंत्रिमंडल के समक्ष इस संबंध में मसौदा योजना पेश कर दिया गया है। कर्नाटक चुनाव की वजह से, प्रधानमंत्री और सभी मंत्री अभी कर्नाटक में हैं। इससे पहले प्रधानमंत्री विदेश (चीन) में थे।'

तमिलनाडु की तरफ से पेश वरिष्ठ वकील शेखर नेफाड़े ने अपने कड़े प्रत्युत्तर में कहा, 'अफसोस के साथ कहना पड़ रहा है, केंद्र सरकार मुद्दे का राजनीतिकरण कर रही है। वे लोग कर्नाटक में अपने चुनावी परिणाम को लेकर चिंतित हैं। कर्नाटक चुनाव 12 मई को है और वे तब तक किसी भी तरह इस पर फैसला लेना नहीं चाहते। अब बहुत हो गया, यह भारतीय संघ का बेशर्मी भरा पक्षपात है। यह सहकारी संघवाद का खात्मा है।'

अदालत ने इसके बाद कर्नाटक सरकार को यह बताने का निर्देश दिया कि राज्य शासन महीने के अंत तक चार टीएमसी पानी में से कितना पानी छोड़ेगा। कोर्ट ने साथ ही केंद्र से जवाब मांगा कि इस संबंध में निर्देश देने के बाद अब तक क्या कदम उठाए गए हैं, जिसके अंतर्गत कावेरी जल का बंटवारा कर्नाटक, तमिलनाडु, केरल और पुडुचेरी में किया जाना था।

सुनवाई के दौरान, अदालत ने कर्नाटक को सोमवार तक 4 टीएमसी पानी छोड़ने का निर्देश दिया।

अदालत ने कहा कि अगर केंद्र ने इस योजना को तैयार नहीं भी किया है, तो भी कर्नाटक कावेरी जल विवाद प्राधिकरण के अंतर्गत तमिलनाडु को मासिक आधार पर पानी देने के लिए बाध्य है।

अदालत ने इस मामले की अगली सुनवाई मंगलवार को मुकर्रर कर दी।

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