गांववालों ने बताया बाहरी लोगों की वजह से हुई भीमा-कोरेगांव हिंसा
पुणे के भीमा-कोरेगांव में महार व अंग्रेजों की सेना और पेशवाओं के बीच लड़ाई के 200 वर्ष पूरे होने पर समारोह के आयोजन के बाद भड़की हिंसा के लिए गांववालों ने सरकार और बाहरी तत्वों को जिम्मेदार ठहराया है।
नई दिल्ली:
पुणे के भीमा-कोरेगांव में महार व अंग्रेजों की सेना और पेशवाओं के बीच लड़ाई के 200 वर्ष पूरे होने पर समारोह के आयोजन के बाद भड़की हिंसा के लिए गांववालों ने सरकार और बाहरी तत्वों को जिम्मेदार ठहराया है।
भीमा कोरेगांव की पंचायत ने शुक्रवार को एक संवाददाता सम्मेलन बुलाकर उनके गांव में हुई अशांति के लिए सरकार की लापरवाही को जिम्मेदार ठहराया। भीमा-कोरेगांव की सरपंच सुनीता कांबले ने कहा, 'यहां वर्षों से दलित और मराठा समाज के लोग एक साथ रहते आए हैं। आज तक कभी दोनों के बीच तनाव नहीं हुआ। हम हमेशा से एक थे और रहेंगे भी।'
उन्होंने कहा, 'हमारे गांव में जो गांव में जो कुछ भी हुआ, बाहरी लोगों के कारण हुआ। हम शांति की अपील करते हैं और सरकार से आग्रह करते हैं उन लोगों को मुआवजे का भुगतान करें जिनकी संपत्ति इस हिंसा में नष्ट हुई है।'
आपतो बता दे कि महाराष्ट्र के भीमा कोरेगांव हिंसा में 28 वर्षीय एक व्यक्ति की मौत भी हो गई थी। हिंसा में कनूर मेसाई गांव के निवासी राहुल फतांगले के मारे जाने के बाद अगले दो दिनों तक महाराष्ट्र के दलित समूहों द्वारा गुस्से में विरोध प्रदर्शन करते हुए महाराष्ट्र बंद बुलाया गया।
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महाराष्ट्र बन्द के दौरान राज्यभर में कई जगहों पर तोड़फोड़ और आगजनी की घटनाएं हुई। इस बंद में सरकारी संपत्तियों को भारी नुकसान पंहुचा है। बंद के दौरान उपद्रवियों की तरफ से की गई तोड़ फोड़ के कारण हुए आर्थिक नुकसान का आकलन किया गया है।
मुंबई की बेस्ट परिवहन पहले से ही घाटे में चल रही है पर बंद के दौरान 200 से भी ज्यादा बसों में तोड़फोड़ हुई जिसे डैमेज और रेवेन्यू दोनों मिलाकर लगभग 2 करोड़ से भी ज्यादा का नुकसान बेस्ट को हुआ है जिसकी भरपाई की मांग बेस्ट महाराष्ट्र सरकार से कर रही है।
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