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‘परीक्षा पे चर्चा’ 2.0 में बोले PM नरेंद्र मोदी- एग्‍जाम को लेकर तनाव में न आएं, उत्‍सव की तरह मनाएं

LIVE Updates: प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी आज 29 जनवरी को सुबह ‘परीक्षा पे चर्चा’ कार्यक्रम में देश भर के विद्यार्थियों, शिक्षकों एवं अभिभावकों से तनाव-रहित परीक्षा एवं संबंधित पहलुओं पर चर्चा कर रहे हैं. चर्चा से पहले उन्‍होंने पूर्व रक्षा मंत्री को श्रद्धांजलि दी.

Updated on: 29 Jan 2019, 03:56 PM

नई दिल्‍ली:

LIVE Updates: प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी आज 29 जनवरी को सुबह ‘परीक्षा पे चर्चा’ कार्यक्रम में देश भर के विद्यार्थियों, शिक्षकों एवं अभिभावकों से तनाव-रहित परीक्षा एवं संबंधित पहलुओं पर चर्चा कर रहे हैं. चर्चा से पहले उन्‍होंने पूर्व रक्षा मंत्री को श्रद्धांजलि दी. पीएम ने सोमवार (28 जनवरी, 2019) को ट्वीट में कहा, ‘प्रिय छात्र, अभिभावक एवं शिक्षक… मैं कल सुबह 11 बजे ‘परीक्षा पे चर्चा’ 2.0 कार्यक्रम में अपके साथ तनाव रहित परीक्षा के बारे में चर्चा करूंगा. ’’ छात्रों, अभिभावकों एवं शिक्षकों से इसमें शामिल होने की अपील करते हुए उन्होंने कहा कि यह प्रौद्योगिकी की ताकत का परिणाम है कि परीक्षा पे चर्चा को देशभर में स्कूलों एवं कालेजों में देखा जा सकेगा.

पीएम मोदी ने कहा कि हमें मां बाप के कहे पर तुरंत रिएक्शन नहीं देना चाहिए. पहले ध्यान से सुनिए, सुनते समय चाव से सुनिए, सुनते समय सवाल पूछिए. शाम को मां बोलेंगी, बेटा क्या आज मैंने कुछ ज्यादा कह दिया. पीएम मोदी ने कहा कि वो मां बाप विफल हैं जो अपने जीवन की हार को बेटों पर थोपते हैं.

निराशा की गर्त में डूबा हुआ परिवार, समाज किसी का भला नहीं कर सकता है

पीएम मोदी ने कहा कि मां बाप बच्चों को चलना सिखाते हैं. मां बाप बच्चों के बड़े हो जाने के बाद उनसे आगे बढ़ने की अपेक्षा करते हैं. मां-बाप बच्चों को हमेशा ही गाइड करें तो बेहतर होता है. उन्होंने कहा कि मां-बाप बच्चों से अपेक्षा करते हैं, अपेक्षा ठीक भी होती है. लेकिन ज्यादा नहीं. निराशा की गर्त में डूबा हुआ परिवार, समाज किसी का भला नहीं कर सकता है. इसलिए अपेक्षा जरूरी होती है. पीएम ने कहा कि यह स्वाभाविक है कि समाज में अपेक्षा हो. पीएम ने कहा कि लोग कहते हैं मोदी ने काफी अपेक्षाएं जगा दी हैं. हमें अपेक्षाओं के बोझ तले दबना नहीं चाहिए, पूरा करने के लिए आगे बढ़ते रहना चाहिए.

दबाव से रिएक्शन आता है

पेरेंट्स पर बच्चों के अच्छे नंबरों के दवाब पर अभिभावक के एक सवाल के जवाब में पीएम नरेंद्र मोदी ने कहा कि अभिभावकों के सपने हैं अपेक्षाएं हैं, लेकिन दबाव से स्थिति खराब हो जाती है. उन्होंने कहा कि दबाव से रिएक्शन आता है. ऐसा नहीं होना चाहिए, इसका ध्यान रखना चाहिए. उन्होंंने कहा कि अभिभावकों की अपेक्षा का भी मनोवैज्ञानिक कारण होता है. कई बार सामाजिक कार्यक्रमों में अभिभावक अपने बच्चों के काम को रिपोर्ट कार्ड के तौर पर पेश करते हैं. इससे बच्चों पर बुरा असर पड़ता है. बच्चों की सफलता और विफलता मां-बाप के सामाजित प्रतिष्ठा का प्रश्न बन जाता है. होता यह है कि एक उम्र के बाद मां-बाप बच्चों से एक रिश्ता खत्म कर देते हैं. ऐसा भी होता है कि एक समय मां-बाप बच्चों की गलती सबको बताने लगते हैं. होना यह चाहिए कि मां-बाप को बच्चों के बड़े होने तक उनको देखना चाहिए, उनका ख्याल रखना चाहिए. बच्चों को देखते रहिए दबाव बच्चों पर भी नहीं बनेगा और अभिभावक भी परेशान नहीं होंगे.

तकनीक उसे रोबोट न बनाए, इंसान बनाए.

एक मां ने पूछा कि उनका बच्चा ऑनलाइन गेम्स पर ध्यान दे रहा है और पढ़ाई में खराब हो रहा है. पीएम मोदी ने कहा कि ये समस्या भी है और समाधान भी है. बच्चों टेक्नोलॉजी से दूर हो जाएं तो पीछे की ओर चलना होगा. इसलिए बच्चे को तकनीक की ओर प्रोत्साहित करना चाहिए. लेकिन देखना चाहिए कि तकनीक उसे रोबोट न बनाए, इंसान बनाए. तकनीक का उपयोग विस्तार के लिए होना चाहिए, लोगों को संकुचित न बनाए. पीएम ने कहा कि बच्चों को मेहनत करने के बाद पसीना तक नहीं आ रहा है. बच्चों का हंसना खेलना, खुले मैदान में खेलना जीवन का हिस्सा होना चाहिए. उन्होंने कहा कि तकनीक का अच्छा प्रयोग होना चाहिए. पीएम ने कहा कि अभिभावकों को बच्चों को  गाइड करते हुए तकनीक का सही प्रयोग सिखाना चाहिए. उस दिशा में प्रयास होना चाहिए.

पीएम नरेंद्र मोदी ने कहा - लक्ष्य बड़ा होना चाहिए. 

फरीदाबाद के वंश ने पूछा कि हमें अपने लक्ष्य को निर्धारित करने में कैसी प्रक्रिया अपनानी चाहिए. पीएम नरेंद्र मोदी ने कहा कि लक्ष्य बड़ा होना. पीएम ने कहा कि निशान चूक जाता है तो माफी है, लेकिन निशान नीचा रहे तो कोई माफी नहीं होती है. लक्ष्य ऐसा होना चाहिए जो पहुंच में हो, लेकिन पकड़ में न हो. एक बार लक्ष्य पकड़ में आ जाए तो नए लक्ष्य की प्रेरणा मिलती है. 

calenderIcon 12:51 (IST)
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पीएम मोदी ने कहा- जब बच्‍चा 14 साल का हो तो दिन में कम से कम एक बार आप उसके साथ बैठें और उससे अपने 14वें साल की बातें साझा करें. पीएम मोदी ने अंत में कहा- इस बार एग्‍जाम को उत्‍सव की तरह मनाएं, दबाव में न आएं और आगे की सोचें, परेशान न हों. 

calenderIcon 12:48 (IST)
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आगरा की मौली सिंह ने पूछा - बहुत सारे छात्र घर से दूर रहकर पढ़ाई करते हैं, कई सारे स्‍टूडेंटस को होम सिकनेस का सामना करना पड़ा है, उनकी मदद कैसे की जा सकती है


पीएम मोदी ने कहा- भारत जैसे देश में यह डिप्रेशन वाली बात बहुत परेशान करने वाली है, देश की मूलभूत समाज रचना में इस प्रेशर को रिलीज करने की व्‍यवस्‍था है, दुर्भाग्‍य से समाज व्‍यवस्‍था में जो परिवर्तन आए, उससे ऐसी स्‍थिति पैदा हुई. पहले हमारा परिवार संयुक्‍त होता था, बच्‍चा दो बातें दादी से, पापा से, मम्‍मी से कह लेता था, उसकी बातें सुनी जाती थीं, लेकिन अब एक परिवार में ऐसा नहीं रह गया है. छात्र को चाहिए कि वह अकेलापन महसूस न करे, इसके लिए उसे खुद उपाय करने चाहिए, हमेशा खुश रहने की कोशिश करे, पार्क में जाए, दोस्‍तों के साथ समय बिताए. 

calenderIcon 12:39 (IST)
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हैदराबाद की मूल निवासी कुवैत से सारा सदभ के सवाल पर पीएम मोदी बोले- मानव सभ्‍यता के विकास के साथ नई नई चीजें जुड़ती गई हैं. हमने पढ़ाई को जिंदगी से काटकर एग्‍जाम से जोड़ दिया गया है. जो टीचर बताता है, वो सिलेबस का ज्ञान तो देता है, ये चीज जिंदगी में कैसे काम आती है, टीचर यह नहीं बताता.

calenderIcon 12:35 (IST)
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पीएम ने कहा- बहुत मां बाप अपने बच्‍चे में कोई कमी नहीं महसूस करते, इससे उनको ईगो ही सटिसफायड हो सकता है, बच्‍चे का भला नहीं हो सकता. बच्‍चा, मां बाप और शिक्षक के बीच मेल होना चाहिए. जिन शिक्षक के पास हम पढते हैं, उनके प्रति पूरा आदर होना चाहिए. 

calenderIcon 12:32 (IST)
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पीएम ने कहा- क्‍या किसी बच्‍चे के जन्‍मदिन पर किसी शिक्षक को बुलाया गया, क्‍या शिक्षक के जन्‍मदिन पर उसे मां बाप ने बधाई दी, ऐसा होने पर शिक्षक खुद को बच्‍चे का अभिभावक समझता है. 

calenderIcon 12:30 (IST)
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पीएम ने कहा- आपको यह विश्‍वास होना चाहिए कि कोई सराहे या न सराहे, लेकिन मैं खुद ऐसा बनूंगा कि मुझे नोटिस करना पड़ेगा. 

calenderIcon 12:27 (IST)
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पीएम ने कहा- 90 प्रतिशत न लाने की वजह से उसे कोसते रहना गलत है, इससे वह 90 से ऊपर तो नहीं जाएगा, नीचे जरूर आ जाएगा. मैं सरकार में हूं, परसनली मैं किसी अफसर की कमी को बताता हूं, लेकिन समूह में हमेशा उनकी तारीफ करता हूं. टीम स्‍पिरिट के लिए यह गुर बहुत जरूरी है, आप अपनी तुलना अपने पुराने रिकॉर्ड से कीजिए, अपने रिकॉर्ड ब्रेक कीजिए. इससे आप निराश नहीं होंगे. 

calenderIcon 12:25 (IST)
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मॉस्‍को केंद्रीय विद्यालय की स्‍टूडेंट जेनिथ के सवाल पर पीएम मोदी ने कहा- अभिभावकों का सकारात्‍मक रवैया आपकी ताकत बन जाता है. कभी आप रिश्‍तेदारी में गए होंगे तो वहां मां-बाप रिश्‍तेदारों के बीच में आपका एक तरह से उपहास या तुलना करने लगते हैं, ऐसा मां बाप और टीचर को कभी नहीं करना चाहिए, इससे छात्र हतोत्‍साहित होते हैं, हमारा काम उसे प्रोत्‍साहित करना होना चाहिए. 

calenderIcon 12:22 (IST)
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पीएम ने कहा- मेरी सलाह यही रहेगी कि दबाव में आकर मत सोचिए, अपनी क्षमता के अनुसार और किसी जानकार के सलाह के अनुसार फैसला करें 

calenderIcon 12:21 (IST)
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पीएम ने कहा- साइंस, मैथ उसका अपना महत्‍व है, बाकी का महत्‍व नहीं है, यह सोच गलत है, फिर भी सांइस मैथ स्‍ट्रीम में जितने लोग जाने चाहिए, नहीं गए. 

calenderIcon 12:20 (IST)
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एएमयू के मोहम्‍मद सलीम का सवाल - 12वीं के बाद करियर का चुनाव कैसे करें, 10वीं के बाद हम स्‍ट्रीम के चुनाव को लेकर परेशान रहते हैं


बीएचयू की शांभवी शुक्‍ला ने पूछा - एंट्रेंस एग्‍जाम की तैयारी कर रही हूं, बेहतर जॉब के लिए आने वाली चुनौतियों के लिए मेरा मार्गदर्शन करें. 


 


पीएम ने कहा- आपकी चिंता बहुत स्‍वाभाविक है, सही मार्गदर्शन नहीं मिलता, घर में तमाम सुझाव मिलते हैं, हम कन्‍फ्यूज हो जाते हैं, हमें अपने विषय में पता है, मेरा अपना पैशन क्‍या, मेरी रुचि किसमें है, मैं मेरी रुचि के अनुसार इससे पहले कुछ कर पाया हूं क्‍या, उसके बाद आप मां बाप को भी कन्‍विंस कर सकते हैं कि मैंने तब ऐसा किया था, अपने भीतर के ताकत को पहचानिए, आप टीचर से सलाह लीजिए, समस्‍या यह है कि आप खुद कन्‍फ्यूज रहते हैं, मैं बड़ोदरा में विवि के छात्रों के बीच जाता रहता था, ज्‍यादातर छात्र कहते थे- मैं ग्रेजुएट हो जाऊं, एक छात्र ने कहा- I Want to rule, मैंने पूछा राजनीति में जाओगे क्‍या. बाद में वह अच्‍छे पोजिशन में पहुंचा था. 

calenderIcon 12:14 (IST)
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पठानकोट के एक छात्र अमित चौहान ने पूछा- पढ़ाई को हम फन की तरह कैसे लें


केंद्रीय विद्यालय काठमांडू के एक छात्र ने पूछा - हम प्राथमिक कक्षाओं के साथ ही एग्‍जाम के साथ जीना शुरू कर देते हैं, क्‍या एग्‍जाम व्‍यक्‍तित्‍व को निखारते हैं?


जवाब में प्रधानमंत्री ने कहा- कसौटी कोसने के लिए नहीं होता, अगर वह तहसील में नहीं खेला है, ओलंपिक में कैसे खेलेगा, उसे हर पल कसौटी पर कसना पड़ेगा. यह एक मौका मानेंगे तो आनंद आएगा. परमात्‍मा ने आपके भीतर बहुत सामर्थ्‍य रखा हुआ है, एग्‍जाम आपको अवसर देते हैं आपके सामर्थ्‍य को परखने का. अगर आप जानकारी के लिए एग्‍जाम देते हैं तो मार्कस आपका पीछा करेंगे. हम मार्क्‍स के पीछे भागने लगते हैं. एग्‍जाम को एक उत्‍सव के रूप में लेना चाहिए. 

calenderIcon 12:08 (IST)
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पीएम ने कहा, जो सफल लोग होते हैं, वो कभी लंच बॉक्‍स भूल जाते हैं, कभी चश्‍मा भूल जाते हैं, क्‍योंकि वे अपना समय कीमती मानते हैं.

calenderIcon 12:07 (IST)
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पीएम ने कहा, बीते हुए एक सप्‍ताह में आप यह देखों को मैंने पूरे हफ्ते क्‍या किया, आप तय कर लेंगे कि अपना समय किधर जाया कर रहे हैं, इसके लिए कोई  बड़ी किताब पढ़ना जरूरी नहीं है, आप केवल किसी महिला के काम का तरीका देखिए. आप देखेंगे कि एक काम करने वाली महिला का टाइम मैनेजमेंट कैसा होता है.

calenderIcon 12:05 (IST)
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तमिलनाडु के एक अभिभावक ने पूछा- लक्ष्य को पाने के लिए क्‍या करें, इसके जवाब में पीएम ने कहा- मां अपने बच्‍चों के लिए नहीं थकती, कितनी भी थकी हो, बच्‍चा शाम को स्‍कूल से आती है तो दरवाजे पर उसका इंतजार करती है, इतनी सारी चीजें कैसे करती है वो, क्‍या आपने कभी सोचा है. मेरे लिए भी सवा सौ करोड़ देशवासी मेरे परिवार हें. रात को जब मैं सोने जाता हूं तो सुबह नई उमंग के साथ आता हूं. जीवन में हर पल कसौटी होना जरूरी है.

calenderIcon 12:02 (IST)
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पीएम ने कहा- कोई लक्ष्य बेकार नहीं जाता 

calenderIcon 12:01 (IST)
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प्रधानमंत्री ने कहा, लक्ष्य साफ होने चाहिए, लक्ष्य के साथ जीवन को चला सकते हैं और उसे प्राप्‍त कर सकते हैं, लक्ष्य हासिल न होने पर हमें पीछे देखना चाहिए कि कहां कमी रह गई. ऐसा करते रहे तो बड़ा लक्ष्य भी प्राप्‍त किया जा सकता है. 

calenderIcon 11:37 (IST)
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ठहराव जिंदगी नहीं होती, जिंदगी का मतलब होता है गति. 

calenderIcon 11:34 (IST)
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मेरे लिए ये कार्यक्रम किसी को उपदेश देने के लिए नहीं है। मैं यहाँ आपके बीच खुद को अपने जैसा, आपके जैसा और आपके स्थिति जैसा जीना चाहता हूँ, जैसा आप जीते है : पीएम

calenderIcon 11:34 (IST)
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अभी नहीं तो कभी नहीं. परीक्षा के बाद भी दुनिया है. कुछ खिलौने के टूटने से बचपन नहीं मरता है