पश्चिम बंगाल में ममता का जलवा कायम, उप चुनाव में TMC बड़े अंतर से जीती, BJP को झटका
पश्चिम बंगाल में जड़े जमाने की कोशिश में जुटी बीजेपी को बड़ा झटका लगा है। राज्य की नोआपारा विधानसभा सीट पर हुए उपचुनाव में सत्तारूढ़ टीएमसी ने बड़े अंतर से जीत दर्ज की है।
नई दिल्ली:
पश्चिम बंगाल में जड़े जमाने की कोशिश में जुटी भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) को बड़ा झटका लगा है। राज्य की नोआपारा विधानसभा सीट पर हुए उपचुनाव में सत्तारूढ़ तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) ने बड़े अंतर से जीत दर्ज की है। वहीं उलुबेरिया लोकसभा सीट भी टीएमसी बड़े अंतर से जीत गई है।
दोनों सीटों पर हुए उप चुनाव के नतीजे वामदलों के लिए भी झटका से कम नहीं है। वामपंथी मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा) का उम्मीदवार नोअपारा में तीसरे स्थान पर रहा, उलुबेरिया में भी यही स्थिति है। यह नतीजे आगामी लोकसभा चुनाव पर भी असर डालेंगे।
उलुबेरिया सीट पर नौ उम्मीदवार मैदान में थे। यह सीट तृणमूल के सांसद सुल्तान अहमद के निधन के बाद खाली हुई थी। तृणमूल ने इस सीट पर अहमद की विधवा सजदा को उम्मीदवार बनाया था।
टीएमसी उम्मीदवार सजदा ने 4,74,510 वोटों से जीत दर्ज की है। इस सीट पर बीजेपी 2,93,046 वोटों के साथ दूसरे नंबर पर रही।
नोआपारा विधानसभा सीट
नोआपारा सीट पर चार उम्मीदवार चुनाव मैदान में थे। यह सीट कांग्रेस विधायक मधुसूदन घोष के निधन के बाद खाली हुई थी। इस सीट पर ममता बनर्जी की पार्टी तृणमूल कांग्रेस के उम्मीदवार सुनील सिंह ने बड़ी जीत हासिल की। उन्हें 1,11,729 वोट मिले।
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बीजेपी उम्मीदवार संदीप बनर्जी 38,711 वोटों के साथ दूसरे स्थान पर रहे। वहीं माकपा उम्मीदवार गार्गी चटर्जी ने 35,497 वोट हासिल किए।
वोट प्रतिशत में देखें तो टीएमसी को 58 प्रतिशत वोट मिले, बीजेपी ने 20 प्रतिशत, माकपा ने 19 प्रतिशत तो वहीं कांग्रेस ने मात्र 5 प्रतिशत वोट हासिल की।
कांग्रेस उम्मीदवार गौतम बोस 10,527 वोटों के साथ चौथे स्थान पर रहे। कांग्रेस के लिए यह बड़ी हार इसलिए भी है कि क्योंकि नोआपारा सीट पर उसका कब्जा था। और पिछले विधानसभा चुनाव में कांग्रेस उम्मीदवार ने एक लाख से अधिक वोटों से जीत दर्ज की थी। कांग्रेस ने वाममोर्चा के साथ गठबंधन में नोअपारा सीट जीती थी।
नोआपारा सीट पर 29 जनवरी को वोट डाले गये थे। माकपा ने निर्वाचन आयोग से मतदान में गड़बड़ी की शिकायत की थी। अपनी शिकायत में माकपा ने कहा कि तृणमूल के अराजक तत्वों ने उनके पोलिंग एजेंटों के साथ हाथापाई की और 115 मतदान केंद्रों पर कब्जा कर लिया।
और पढ़ें: कासगंज हिंसा- इलाहाबाद HC ने कहा, नहीं होगी NIA जांच
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