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Titanic Submarine: बच सकती थी 5 लोगों की जान, सबमरीन हादसे में यहां हुई चूक!

Titanic Submarine: साल 1912 में अटलांटिक महासागर में डूबे दुनिया के सबसे बड़े जहाज टाइटैनिक का मलबा देखने के लिए समुद्र के गर्भ में उतरी टाइटन सबमरीन हादसे का शिकार हो गई है

Updated on: 23 Jun 2023, 08:15 PM

New Delhi:

Titanic Submarine: साल 1912 में अटलांटिक महासागर में डूबे दुनिया के सबसे बड़े जहाज टाइटैनिक का मलबा देखने के लिए समुद्र के गर्भ में उतरी टाइटन सबमरीन हादसे का शिकार हो गई है. बताया जा रहा है कि इसमें सवार सभी 5 लोगों की भी मौत हो गई है. दुनिया भर में ये खबर आग की तरह फैल गई. सोशल मीडिया पर लोग इस हादसे को अलग-अलग तरह से शेयर करने लगे. कुछ लोग साल 2006 में आए एक टीवी शो के एपिसोड से इसकी तुलना करने लगे तो कुछ लोगों का मानना है कि ये हादसा एक बड़ी तकनीकी चूक की वजह से हुआ है. दरअसल रविवार 18 जून को ही इस सबमरीन से यूएस नेवी का संपर्क टूट गया था, जिसके बाद कई तरह के कयास लगाए गए, इसे तलाशने के लिए टीमें भी भेजी गईं. ऐसा बताया गया कि यूएस नेवी ने रविवार को एक तेज ब्लास्ट की आवाज सुनी थी, और उसी दिन से ये सबमरीन लापता हो गई. अब खबर आ रही है कि सबमरीन में सवार सभी 5 लोगों की मौत हो गई है. टाइटन नाम की इस सबमरीन को संचालित करने वाली कंपनी ओशनगेट और यूएस कोस्टगार्ड ने हादसे की पुष्टि कर दी है. अब इसके मलबे को खोजने के लिए सर्च ऑपरेशन किया जा रहा है. 

बता दें कि रविवार को जिस वक्त ये सबमरीन लापता हुई थी उसी वक्त कई जगहों से ऐसी रिपोर्ट्स आई थीं कि सबमरीन में ऑक्सीजन नहीं बची है. ऐसे में सवाल उठता है कि अगर ऑक्सीजन खत्म होने से पहले सर्चिंग टीम सबमरीन का पता लगा लेती, तो शायद इसमें सवार 5 यात्रियों की जान बच सकती थी? लेकिन अब इस सबमरीन की सेफ्टी को लेकर भी अब सवाल खड़ा हो गया है. साल 2018 के कोर्ट के डॉक्यूमेंट्स से पता चला है कि सबमरीन की कंपनी ओशनगेट को इसकी सेफ्टी को लेकर वॉर्निंग दी गई थी.

द न्यूयॉर्क टाइम्स छपी न्यूज रिपोर्ट के मुताबिक, जानकारों ने पहले ही सबमरीन के अंदर और बाहर के संभावित खतरों को लेकर वॉर्निंग दी थी और कंपनी से सर्टिफिकेशन प्रोसेस को फॉलो करने के लिए कहा था. साल 2018 में ओशनगेट के मैरीटाइम ऑपरेशंस (समुद्र संचालन) के निदेशक डेविड लोक्रिज (David Lochridge) ने उसी वक्त एक रिपोर्ट पर काम करना शुरू किया था, और अंततः एक स्ट्रॉन्ग डॉक्यूमेंट तैयार किया, जिसमें उन्होंने कहा कि इस क्राफ्ट को और ज्यादा टेस्ट की जरूरत है. इसके साथ ही उन्होंने टाइटन सबमरीन के यात्रियों के लिए संभावित खतरों पर भी जोर दिया. उन्होंने बताया कि अगर ये सबमरीन समुद्र में ज्यादा गहराई में जाती है तो इससे इसमें सवार लोगों की जान को बड़ा खतरा हो सकता है. 

इसके दो महीने बाद, ओशनगेट को उद्योग जगत की हस्तियों, गहरे समुद्र के खोजकर्ताओं और समुद्र विज्ञानियों से भी ऐसी ही चेतावनी का सामना करना पड़ा, जिन्होंने ओशनगेट के चीफ एक्जिक्यूटिव, स्टॉकटन रश को एक पत्र में चेतावनी दी थी कि कंपनी की एक्पेरिमेंटल एप्रोच और ट्रेडिशनल असेसमेंट को छोड़ने का फैसला टाइटैनिक मिशन के साथ संभावित रूप से "विनाशकारी" समस्याएं पैदा कर सकता है.

मरीन टेक्नोलॉजी सोसाइटी ने भी स्टॉकटन रश को लिखे अपने लेटर में उनसे टाइटन के टेस्ट के लिए अपना प्रोटोटाइप प्रस्तुत करने को कहा ताकि कोई तीसरे पक्ष का विशेषज्ञ सबमरीन को देखकर उसकी सिक्योरिटी से जुड़ी जांच कर सके. हालांकि रश ने ऐसा करने से मना कर दिया था. साल 2018 में इस पत्र पर साइन करने वाले एक अन्य शख्स बार्ट केम्पर ने एक इंटरव्यू में कहा कि ओशनगेट ने इंटरनेशन वॉटर्स में जहाज को तैनात करके कुछ अमेरिकी नियमों का पालन करने से परहेज किया था, जहां कोस्टगार्ड रूल लागू नहीं होते थे. उन्होंने बताया कि ये लेटर मूल रूप से उनसे वही करने के लिए कह रहा था जो अन्य सबमरीन करती हैं, खासकर पैसेंजर सबमरीन.

आपको बता दें 18 जून को ओशनगेट कंपनी की सबमरीन अपने सफर पर निकली थी लेकिन अपने सफर के दो घंटे में ही यूएस नेवी का इससे संपर्क टूट गया. इस सबमरीन में पांच लोग सवार थे. इनमें ब्रिटिश पाकिस्तानी बिजनेमैन अपने बेटे के साथ थे. और साथ में ब्रिटेन के एक अन्य बिजनेसमैन और कंपनी के सीईओ भी शामिल हैं.

रिपोर्ट- नवीन कुमार