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क्या बेलारूस में रूस के परमाणु हथियारों की तैनाती विश्वयुद्ध की आहट है?

एक साल से ज्यादा समय युद्ध को बीत चुका है. रूस का दावा था कि तीन दिन के अंदर यूक्रेन को घुटनों पर ला दिया जाएगा. मगर अब तक रूसी सेना ऐसा नहीं कर सकी है.

Updated on: 26 May 2023, 08:36 PM

highlights

  • यूक्रेन युद्ध काफी लंबा खिंचेगा तब रूस ने एक बड़ा फैसला लिया
  • बेलारूस में अपने न्यूक्लियर हथियारों की तैनाती कर दी
  • यूक्रेन युद्ध कहीं परमाणु युद्ध मे तब्दील ना हो जाए

नई दिल्ली:

यूक्रेन युद्ध का आगाज हुए साल भर से भी ज्यादा वक्त हो चला है. तीन दिन के भीतर यूक्रेन को घुटनों पर लाने के रूसी दावे के साथ शुरू हुए इस य़ुद्ध में रूसी सेना भारी नुकसान झेलने के बावजूद ना तो यूक्रेन की राजधानी कीव पर कब्जा जमा सकी और ना ही यूक्रेन के प्रेजीडेंट जेलेंस्की को उनकी गद्दी से हटा सकी. इस जंग के दौरान अमेरिका समेत पश्चिमी देशों ने यूक्रेन को ऐसे  कई हथियार मुहैया कराए हैं जिनकी मदद से यूक्रेनी सेना पुतिन की सेना को कड़ी टक्कर दे रही  है। अब जब ये लगने लगा है कि यूक्रेन युद्ध काफी लंबा खिंचेगा तब रूस ने एक बड़ा फैसला ले लिया है.

रूस ने अपने अपने दोस्त और यूक्रेन के बॉर्डर से सटे मुल्क बेलारूस में अपने न्यूक्लियर हथियारों की तैनाती कर दी है. खबरों के मुताबिक रूस ने बेलारूस में अपने टेक्टिकल न्यूक्लियर हथियार तैनात कर दिए हैं जिनका कंट्रोल रूस के ही हाथ में है. बेलारूस में रूसी परमाणु हथियाीरों की मौजूदगी अपने आप में बहुत बड़ी घटना है क्योंकि इससे पहले रूस ने कभी भी अपनी सीमा के बाहर जाकर न्यूक्लियर हथियार तैनात नहीं किए थे। पुतिन के फैसले से इस बात की आशंका और ज्यादा हो गई है कि यूक्रेन युद्ध कहीं परमाणु युद्ध मे तब्दील ना हो जाए.

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लुकाशेंको को पुतिन का बेहद करीबी दोस्त माना जाता है

बेलारूस के प्रेजीडेंट लुकाशेंको ने इस बात की पुष्टि की है कि उनके देश में न्यूक्लियर हथियार आ चुके हैं. लुकाशेंको को पुतिन का बेहद करीबी दोस्त माना जाता है और वो लगातार छह बार से बेलारूस के प्रेजीडेंट हैं. यूक्रेन युद्ध में बेलारूस शुरू से ही रूस का साथ दे रहा है और बीते साल फरवरी में जब रूस ने यूक्रेन पर हमला किया था, तब उसकी फौज ने उत्तर की दिशा से यूक्रेन की राजधानी कीव पर कब्जा करने के लिए बेलारूस की धरती का ही इस्तेमाल किया था.

हालांकि यूक्रेन की फौज की जवाबी कार्रवाई के चलते रूसी फौज को भारी नुकसान के बाद पीछे हटना पड़ा था लेकिन अब बेलारूस में रूसी न्यूक्लियर हथियारों की तैनाती ने बेलारूस को एक बार फिर से चर्चा में ला दिया है. बेलारूस में रूसी न्यूक्लियर हथियारों की तैनाती यूक्रेन कगे लिए बड़ा खतरा मानी जा रही है क्योंकि ये लंबी दूरी के हथियार नहीं बल्कि टेक्टिकल हथियार हैं जिनका उपयोग कम दूरी के लिए किसी खास टारगेट को हासिल करने के लिए किया जाता है. इन हथियारों में क्रूज मिसाइलों से लेकर रेडिएशन बॉम्ब शामिल होते हैं और रूस के पास ऐसी कई क्रूज मिसाइल्स हैं जो परमाणु हमला करने में सक्षम हैं.

रूस के रक्षा मंत्री सर्गेई शोइगू ने बेलारूस की राजधानी मिंस्क में बेलारूस के रक्षा मंत्री से मुलाकात करके इन हथियारों की तैनाती की प्रक्रियाी को आगे बढ़ाया और कहा कि पश्चिमी देश इस युद्ध को लगातार आगे बढ़ा रहे हैं और अपने सहयोगी देशों की रक्षा का इंतजाम करना हमारी जिम्मेदारी है.

रूस ने इस कदम को गैर जिम्मेदाराना बताया 

अब सवाल ये हैं कि क्या रूस ने बेलारूस में न्यूक्लियर हथियार तैनात करके किसी इंटरनेशनल नियम को तोड़ा है? तो इसका जवाब जानने के लिए हमें परमाणु अप्रसार संधि को समझना होगा. इसके मुताबिक परमाणु शक्ति वाला देश किसी गैर परमाणु शक्ति वाले देश को परमाणु टेक्नोलॉजी नहीं दे सकता लेकिन उस देश में अपने परमाणु हथियार जरूर तैनात कर सकता है. बशर्ते उसका कंट्रोल परमाणु शक्ति वाले देश के हाथ में ही रहे.

ये एक ऐसा फॉर्मूला है जिसका उपयोग करके अमेरिका ने यूरोप के कई देशों में न्यूक्लियर हथियार तैनात किए हुए हैं और रूस अक्सर ये आरोप लगाता आया है कि इन हथियारों का निशाना रूस और उसके सहयोगी देश ही हैं. ये कोई पहली बार नहीं है जब बेलारूस में न्यूक्लियर हथियार तैनात हुए हों. दरअसल बेलारूस सोवियत संघ का ही हिस्सा था और इस लिहाज से वहां न्यूक्लियर हथियार तैनात रहते थे. 1991 में सोवियत संघ के विघटन के बाद बेलारूस और यूक्रेन के पास जो  न्यूक्लियर हथियार थे वो उन्होंने रूस को वापस कर दिए थे.लेकिन अब यूक्रेन युद्ध के चलते  बेलारूस मे फिर से न्यूक्लियर हथियारों की तैनाती हो गई है.

रूस के इस फैसले से ये भी अंदाजा लगाया जा सकता है कि पुतिन इस जंग को लेकर कितने गंभीर हैं और इसे जीतने के लिए वो न्यूक्लियर हथियारों का इस्तेमाल करने की धमकी भी कई बार दे चुके हैं. बहरहाल, अब देखना होगा कि अमेरिका और उसके सहयोगी पुतिन के इस फैसले का कैसे जवाब देते हैं.