logo-image

PAK कोर्ट ने सिख लड़की को अपने मुस्लिम शौहर के साथ जाने को लेकर दिया ये आदेश

पाकिस्तान में एक सिख लड़की द्वारा अपने परिवार के खिलाफ जाकर कथित तौर पर एक मुस्लिम लड़के से शादी करने के मामले में एक अदालत ने फैसला सुनाया है.

Updated on: 13 Aug 2020, 06:27 PM

लाहौर:

पाकिस्तान में एक सिख लड़की द्वारा अपने परिवार के खिलाफ जाकर कथित तौर पर एक मुस्लिम लड़के से शादी करने के मामले में एक अदालत ने फैसला सुनाया है कि लड़की नाबालिग नहीं है और वह अपने शौहर के साथ जहां चाहे जा सकती है. अदालत के इस फैसले से दोनों समुदायों के बीच तनाव बढ़ गया है. ननकाना साहिब की रहने वाली जगजीत कौर ने पिछले साल सितंबर में कथित तौर पर अपने परिवार के खिलाफ जाकर मोहम्मद हसन से शादी की थी.

लाहौर उच्च न्यायालय ने बुधवार को दिए अपने फैसले में कहा कि कौर अपने शौहर के साथ जहां चाहे वहां जा सकती है। कौर के परिवार का आरोप है कि हसन ने उसका अपहरण कर जबरदस्ती शादी की थी. सितंबर 2019 से कौर लाहौर स्थित दारुल अमन (आश्रय गृह) में रह रही है. भारत ने इस मसले पर पाकिस्तान से आपत्ति दर्ज कराई थी और पाकिस्तान सरकार से तत्काल कार्रवाई करने को कहा था. लाहौर उच्च न्यायालय के न्यायाधीश चौधरी शेहराम सरवर ने हसन की याचिका पर फैसला सुनाया जिसमें उसने कौर को अपने पास रखने की याचना की थी.

हसन ने कौर का नाम ‘आयेशा’ रख दिया है. पुलिस सिख लड़की को कड़ी सुरक्षा में अदालत लेकर आई जहां उसके परिजन भी मौजूद थे. लड़की के परिजनों ने अदालत के फैसले पर दुख प्रकट किया. सिख परिवार की ओर से पेश हुए वकील खलील ताहिर सिंधु ने कहा कि स्कूल के प्रमाण पत्र के अनुसार लड़की नाबालिग है. सिंधु ने अदालत को यह भी बताया कि दोनों पक्षों के बीच पंजाब के गवर्नर मुहम्मद सरवर की मौजूदगी में हुए समझौते के अनुसार लड़की को उसके माता पिता को सौंपा जाना चाहिए.

उन्होंने कहा कि अगर लड़की को मुस्लिम पुरुष के साथ जाने की इजाजत दी जाती है तो इससे सिख समुदाय की भावनाएं आहत होंगी. याचिकाकर्ता के वकील सुल्तान शेख ने अदालत को बताया कि राष्ट्रीय डेटाबेस और पंजीकरण प्राधिकरण (नड्रा) के दस्तावेजों के अनुसार लड़की की उम्र 19 साल है. उन्होंने कहा कि अदालत द्वारा गठित चिकित्सकीय बोर्ड के परीक्षण में पहले ही तय किया जा चुका है कि लड़की नाबालिग नहीं है.

न्यायाधीश ने वकील सिंधु की दलीलों को खारिज कर दिया और कहा कि नड्रा के दस्तावेज ही किसी व्यक्ति की उम्र तय करने के लिए पर्याप्त हैं. न्यायाधीश ने कहा कि देश का संविधान कौर के अधिकारों की रक्षा करता है और वह अपने मर्जी से किसी भी पुरुष के साथ रह सकती है. अदालत ने हसन से मेहर की रकम पचास हजार रुपये से बढ़ाकर 10 लाख रुपये करने को भी कहा. न्यायाधीश ने याचिका खारिज करते हुए कहा कि लड़की आश्रय गृह छोड़ कर अपने शौहर के साथ या अपनी मर्जी के किसी भी स्थान पर जाने के लिए स्वतंत्र है. इससे पहले हुई सुनवाई में कौर ने अदालत को बताया था कि उसने अपनी मर्जी से इस्लाम अपनाया और हसन से शादी की.